चंद्रयान उड़ने की तैयारी हो रही थी तो देश में किस तरह का माहौल था, लोग क्या सोच रहे थे और कैसे एक भक्त भगवान बजरंगबली से, श्री हनुमान जी से प्रार्थना करते हुए क्या बोलता है ?उसको यहां पर लिखा गया है भक्ति भाव से 🙏।
है पवन पुत्र, जैसे तुमने खींचा था महाभारत में अर्जुन का रथ, वैसे लेकर तुम उड़े चलो हमारा यह चंद्र रथ।
यहां असुर उड़ते नहीं आसमानों में, सामना होता है उनका धरती में सजी हुई दुकानों में। एक योद्धा की पूजा पर जो हंसी उड़ाते हैं, वैज्ञानिक को ही विज्ञान पर ज्ञान देकर जाते हैं, उसकी श्रद्धा विश्वास को जो मिलकर छोटा बनाते हैं।
हे पवन पुत्र तुम उनका करो प्रतिकार , जैसा तुमने किया था रावण की सेना का संघार।
के सीवन की आंखों में जब आए थे आंसू, बस पहुंचकर रुक गई थी उनकी चंद्रयान, कुछ मिल की थी दूरी, टकटकी लगाए बैठा था सारा देश , कर रहा था तुमसे आस, निस्फल ना होने देते अगर वह प्रयास, पर तब मोदी जी बने वह भागीरथ, जो बैठेगा तभी शांत जब आएगी धरती पर गंगा का रथ।
फिर क्या लेकर तेरा नाम, शुरू हुआ मंगल प्रयास, 650 करोड़ के बजट में, तैयार हुआ अपना चंद्रयान, ईश्वर की स्तुति से देवताओं का आह्वान कर अंतरिक्ष में बैठे सभी देवी देवताओं को जगा कर, ग्रहों का आह्वान कर, राशियों को नमन कर, फिर से उड़ चला हमारा चंद्रयान, जैसे उड़ रहा हो संजीवनी लेकर हनुमान।
हे बजरंगबली बनकर ध्वजा विराजे इसबार चंद्रयान, उड़ कर ले चलो उसे चंद्रमा के सायन तक, मोदी जी का है या निश्चल प्रयास, करो तुम इसको सकल साज, ना गिरने देना तुम इस बार नयन से अश्रुओ को, कर दो कुछ ऐसा काम ,हो जाए फूलों की बरसात, गूंजे आसमान से चंद्रमा तक जय-जय जय-जय श्री राम।🙏🙏
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