पड़ोसी देश चीन की जासूसी की आदत आज की नहीं बहुत पुरानी है। वह केवल भारत नहीं बल्कि पूरी दुनिया के देशों में जासूसी का कारोबार फैला के बैठा है।ऐसा ही एक जासूसी नेटवर्क चीन के शंघाई स्थित भारतीय दूतावास में भी बनाया हुआ है, जहां से वो भारत की जासूसी करने में मदद पाता है।

ये जासूस उन सभी कंपनियों में भी हैं जो कि कोरोना की वैक्सीन बना रही हैं, इनके सदस्य चीन की कम्युनिस्ट पार्टी को दुनियाभर की सभी बारीक जानकारियां उपलब्ध कराते हैं। ये खुलासा साबित करता है कि चीन अपनी हरकतों से बाज आने वाला नहीं है।

जनसत्ता ने शंघाई के सर्वर की लीक रिपोर्ट के हवाले से बताया है कि चीन ने भारत के शंघाई दूतावास में अपना सदस्य बैठा रखा है जो कि चीन की कम्युनिस्ट पार्टी को भारत की महत्वपूर्ण जानकारियां पहुंचाता है। चीन की सत्ताधारी चाइनीज़ कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) की सात शाखाओं का संबंध भारत के शंघाई वाले दूतावास से है, क्योंकि शंघाई में भारतीय दूतावास में भी सीसीपी का एक सदस्य तीन साल से काम कर रहा था।

चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की कोई एक शाखा नहीं बल्कि कई शाखाएं एक चैन के रूप में काम करती है। पार्टी की अनेकों कमेटियां सभी बड़े कॉर्पोरेशन में काम करती है और यह सीधे चीनी राष्ट्रपति को रिपोर्ट देती हैं।

चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की करीब 79,000 शाखाएं हैं जो कि सीधे जिनपिंग तक अपनी रिपोर्ट पहुंचाती हैं। इसके अंतर्गत काम करने वाले 19.5 लाख सदस्य विश्व के सभी प्रमुख संस्थानों में कार्यरत हैं। इनमें फाइजर, फोक्सवैगन, एचएसबीसी जैसी बड़ी कंपनियां भी हैं जिसकी सीधी जासूसी के जरिए चीन तक रिपोर्ट जाती है। ये सारा डेटा शंघाई के सर्वर से चुराया गया है। इसके मुताबिक सात सीपीसी शाखाओं का संबंध भारत से हैं जिसके अंतर्गत 91 लोग काम कर रहे हैं।

इस जानकारी के मुताबिक चीन केवल भारत ही नहीं बल्कि दुनियाभर के 30 देशों के दूतावास में अपनी जासूसी का नेटवर्क बिछा के बैठा है और वहां से उन देशों की व्यापारिक और कूटनीतिक सभी तरह की गतिविधियों पर अपनी पैनी नजर रखता है। खास बात ये है कि इस काम के लिए सीसीपी स्थानीय पेशेवर लोगों का ही इस्तेमाल करती है।

चीन न केवल भारत बल्कि इस वक्त दुनियाभर की कोरोना वायरस की वैक्सीन बनाने वाली कंपनियों में भी जकर जासूसी कर रहा है। फाइजर इसका एक सबसे सटीक उदाहरण है। चीन अपने इसी नेटवर्क के चलते दुनियाभर में अपनी तानाशाही वाली नीतियों का विस्तार कर रहा है।

अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप अपने यहां इसीलिए ह्यूस्टन के चीनी काउंसलेट समेत कई संस्थाओं को बंद करवा चुके हैं। यही नहीं भारत समेत जापान जैसे देशों ने चीन से आने वाले लोगों के वीजा आवेदन की स्वीकृति के लिए सख्ती पहले से ज्यादा कर दी है।

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