मामला 21 साल का नहीं है।
मामला बामपंथ का है।
इसलिये बचाने के लिये नये नये नैरेटीव गढ़ लिये जायेंगे।
कभी गर्भवती तो कभी कम उम्र का
कभी महिला तो कभी वृद्ध
कभी लेखक तो कभी कवि
कभी दलित तो कभी अल्पसंख्यक
कभी छात्र तो कभी जंगल का आदिम
कभी किसान तो कभी मज़दूर
कभी गायक तो कभी कलाकार
कुल मिलाकर बामपंथी हमेशा समाज में असहजता, विद्रोह, असंतुष्टि, अप्रसन्नता को हवा दे कर तंत्र को तबाह करने में लगा रहता है।
पर तंत्र में पलट कर नियमानुसार सर्वमान्य, सर्वस्वीकार्य न्यायविधि से कार्यवाई कर दी तो कोई न कोई घटिया बहाना लेकर बचकाने ढंग से बचाव मे खड़ा होकर समाज में औसत बुद्धि के भावनात्मक लोगों की भीड़ को चारे की तरह इस्तेमाल करता है।
16 वर्ष की ग्रेटा इनके हिसाब से बुद्धिमान होती है पर 21 साल की दिशा नासमझ है।
21 साल का सैनिक कश्मीर में बलात्कार करता है पर 21 साल का कसाब बेचारा भटका हुआ है।
बामपंथ हर समाधान में समस्या खोज लेगा।
आप अपनें प्रतिष्ठान में एक टॉयलेट बनायेंगे तो ये इसे महिलाओं पर अत्याचार कहेंगे।
आप दो टॉयलेट बनायेंगे तो ये इसे महिलाओं से विभेद बतायेंगे और जेंडर न्युट्रल टॉयलेट की मांग करेंगे।
महिला के मासिक धर्म के समय आप छुट्टी नहीं देंगे तो ये आपको अत्याचारी बतायेंगे।
और आप उस समय महिला को आने से मना करेंगे तो ये आपको महिला विरोधी मानसिकता वाला करार देंगे।
एक तरफ ये लोकतांत्रिक देशों में चुनी हुई सरकार को गाली देते हुए तानाशाह कहेंगे।
दूसरी तरफ ये एक मौका पाते ही देश को तानाशाही की तरफ ले जाते हैं।
ये पूंजीवादियों को जमकर गाली देते हैं।
दूसरी तरफ ये सरकार को ही पूंजी कमाने में लगाने की पैरवी करते हैं।
कुल मिलाकर हर परिस्थिति में असन्तुष्ट
जब तक की खुद की तानाशाही सरकार न हासिल कर ले।
एक औसत बामपंथी नेता धूर्त होता है जबकी एक औसत बामपंथी समर्थक मूर्ख होता है।
धूर्तों और मूर्खो की इस फौज से देश को बचाकर रखना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिये।
जय हिन्द
(गौरव जी की दें)
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