दिल्ली में आने को आमादा तथाकथित किसान, उनकी उग्र रैली और उस रैली में लगने वाले भारत विरोधी नारे, आप समय मे पीछे जाते रहिये और आपको ऐसे देश विरोधी कार्यों की एक सूची मिलेगी, पर आइये हम इसकी शुरुवात कांग्रेस की स्थापना से करते हैं। 28 दिसंबर 1885 के दिन ए. ओ. ह्यूमस नाम के एक अंग्रेज ने जब भारत मे कांग्रेस की स्थापना की थी तब उसका उद्देश्य भारत को स्वतंत्र करवाना नही बल्कि स्वतंत्रता आंदोलन को कमज़ोर करना था, 1857 की क्रांति ने अंग्रेजों को अंदर से झकझोर दिया था, उन्होंने एक चाल चली और अपने लोगों को स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल करके उसे कमज़ोर करने का षड्यंत्र रचा, पर भारत को तो स्वतंत्र होना ही था। 1947 में भारत उनकी इच्छा के विरुद्ध स्वतंत्र तो हुआ लेकिन उन्होंने ये सुनिश्चित किया कि उनके पूर्वज मैकाले ने जो भारत को छिन्न भिन्न करने का सपना देखा उसे किसी भी कीमत पर पूरा किया जाए, भारत को स्वतंत्रता देने की शर्त रखी गई और धार्मिक विभाजन की झूठी आधारशिला पर पाकिस्तान अलग किया गया करोड़ो लोग मारे गए, विभाजित भारत को 565 रियासतों में और तोड़ दिया गया, हालांकि भारत का सौभग्य था कि सरदार वल्लभ भाई पटेल जैसा नेता था जिसने कांग्रेस की इस साजिश को नाकाम कर दिया, इस विभाजनकारी कांग्रेस का मन यहीं नही भरा, इंदिरा गांधी ने भिंडरावाला जैसा भस्मासुर पैदा किया और उसका इस्तेमाल करके आतंकी घोषित किया, सैकड़ों भिंडरावाला समर्थक सिखों को मार दिया गया और स्वर्ण मंदिर का सरोवर रक्त से लाल कर दिया गया, नतीजतन इंदिरा को अपनी जान देकर इसकी कीमत चुकानी पड़ी, उनकी अगली पीढ़ी ने राजीव के रूप में दस्तक दी और 1984 का हुआ वो भीषण नरसंघार न केवल दुखदायी था अपितु भारत के लिए एक नासूर बन गया, कांग्रेसियों ने सिखों को खालिस्तानी ही नही बनाया, आदिवासियों को नक्सली और बोडो भी बनाया, उन्होंने तमिलों को भी आतंक के रास्ते पर धकेला और बाद में उन्ही को मारने सेना भेजी, नतीजा राजीव के चिथड़े लिट्टे नाम के आतंकी संगठन ने उड़ा दिए। राजीव के बाद ह्यूमस के अरमानों की बागडोर सोनिया एंटोनियो माइनो ने संभाली और देश मे JNU, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी, जैसे संस्थानों में उमर खालिद जैसे देशद्रोहियों की नई फौज तैयार होने लगी। आप लिस्ट बना लीजिए, जाट आंदोलन, गुर्जर आंदोलन, Anti CAA आंदोलन जैसे हाल ही में हुए आंदोलनों को देखेंगे तो पाएंगे कि कुछ विशेष लोगों का समूह ही इनके पीछे रहता है जिनके सबके मूल में कांग्रेस को ही पाएंगे।
अच्छी बात ये है कि अब भारत मे राष्ट्रवाद की एक ऐसी पीढ़ी ने मोर्चा सम्हाल लिया है, जो अपनी आवाज़ उठाती है, इनकी साज़िशें समझती है, प्रतिकार करती है और इनसे निपटने में प्रभावी रूप से सक्षम है, आप जिस मंच पर ये पोस्ट पढ़ रहे हैं वो एक उदाहरण है इस बात का की भारत का युवा जागृत है, संकल्पित है और इस देश को इन दीमकों से बचाने में सक्षम है।
।।जय श्रीराम।।
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