महाराष्ट्र में शिवसेना और कांग्रेस के गठबंधन वाली अघाड़ी सरकार में कितने बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार पनप रहा था इसका अंदाज़ा शायद ही किसी को हो पता यदि एंटीलिया केस में राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी ने जाँच नहीं शुरू की होती। सिर्फ कल्पना करके देखिये कि , किस तरह से एक राज्य का गृह मंत्री , मुम्बई जैसे महानगर का पुलिस कमिश्नर से लेकर सचिन वाज़े जैसा महा भ्रष्ट पुलिस अधिकारी कैसे एक नापाक गठजोड़ बना कर पूरी मुम्बई के “वसूली भाई ” बन जाते हैं।

पैसे की उगाही के लिए न सिर्फ एक एक होटल रेस्टोरेंट और अन्य कारोबारियों को निशाना बनाया जाता है बल्कि उस रास्ते में आने वाले या विरोध करने वाले तमाम छोटे बड़े लोगों को , येन केन प्रकार से झूठे मुकदमों में फँसा कर प्रताड़ित करने और यहाँ तक कि क़त्ल तक करने में गुरेज़ नहीं किया जाता। और फिर डर भी क्यों लगे जब पुलिस से लेकर गृह मंत्री तक सब इस पैसे वसूली के खेल में ऊपर से नीचे तक लिथड़े पड़े रहते हैं। यही कारण है कि चाहे कंगना राणावत हों या अर्नब गोस्वामी किसी न जो भी इन सबके बीच आया उसे निशाने पर लिया गया।

अब जबकि प्रवर्तन निदेशालय की जाँच और पूछताछ चल रही है तो गृह मंत्री अनिल देशमुख और मुंबई पुलिस के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह का प्यारा सचिन वाज़े एक एक काले चिट्ठे को एजेंसी के अधिकारियों के सामने खोल कर रख रहा है। और ये सच ऐसा है कि हठात ही किसी की भी आँखें खोल कर रख दे।

बकौल सचिन वाजे , अनिल देशमुख ने उसे दोबारा पुलिस में बहाल करने के एवज़ में दो करोड़ की रिश्वत ली थी। इतना यही नहीं अर्नब गोस्वामी को परेशान , प्रताड़ित करने , गिरफ्तार करने सम्बंधित एक एक निर्देश देशमुख खुद वाजे को अपने घर और दफ्तर पर बुला कर देते थे। वाजे ने एजेंसी को बतया कि की दिलीप छाबड़िया वाले मामले में उसके सहयोगी के साथ सेटलमेंट करने के एवज़ में अनिल देशमुख ने 150 करोड़ रूपए की मांग रखी थी।

न्यायालय के आदेश पर , सीबीआई जाँच के आधार पर प्रवर्तन निदेशालय द्वारा दर्ज़ किए मुक़दमे में गिरफ्तार वाज़े ने अपने बयान में विस्तारपूर्वक , अनिल देशमुख और परमबीर सिंह की सांठ गाँठ से करोड़ों रुपए की उगाही को सिलसिलेवार ढंग से सामने रख दिया है।

वाजे ने बतया कि उसे सौंपे गए कुल 1,750 बार और रेस्त्रां की सूची से वसूली करके सिर्फ दिसंबर 2020 से लेकर फरवरी 2021 के बीच में कुल 4 करोड़ 70 लाख रूपए अनिल देशमुख को दिया था। प्रवर्तन निदेशालय के अनुसार ये लोग मिलकर हर महीने पूरी मुंबई से 100 करोड़ हर महीने उगाही करते थे।

उगाही के इस गोरखधंधे में महाराष्ट्र के परिवहन मंत्री अनिल परब का भी नाम आया है। बकौल वाजे ,पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह ने 10 डीसीपी के स्थांनांतरण के आदेश जारी किए जिस पर गृह मंत्री अनिल देशमुख ने रोक लगा दी और फिर इन तमाम पुलिस अधिकारियों से कुल 40 करोड़ रूपए की उगाही करके इन्हें मनमाने स्थान पर नियुक्त किया गया। वाजे ने ये भी बताया कि अनिल देशमुख के परिवार के नाम पर चल रही कुल 27 कंपनियों में ये काला धन , उनके सचिव संजीव पलांडे के माध्यम से पहुँछाया जाता था।

अभी ये जांच और पूछताछ दोनों ही चल रही हैं। लेकिन गौर करने वाले बात ये भी है कि जिस राज्य में गृह मंत्री , परिवहन मंत्री , पुलिस कमिश्नर जैसे बड़े बड़े ओहदेदार लोग मिल कर उगाही का ऐसा माफिया और सिंडिकेट चला रहे हों कि अंडरवर्ल्ड माफिया तक पीछे छूट जाए तो क्या ये संभव है कि इन सबकी जानकारी या भनक , सरकार के मुखिया और उद्धव ठाकरे तथा उनके सहयोगी शरद पवार को न हो ?? जो भी है ये निहायत ही गंभीर बात है और एक ऐसा अपराध जिसके लिए इन्हे कठोर दंड दिया जाना चाहिए और ये भी एक बड़ा सच है कि न्याय व्यवस्था और न्याय प्रक्रिया को देखते हुए इन्हें को सज़ा मिल पाएगी इसमें भी पूरा संदेह है।

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