भारतवर्ष! हमारा प्राणप्रिय, गौरवशाली भारत! भारत, उन चंद चुनिंदा देशों में है, जिसने कोविड-19 से बचाव के लिए दो-दो वैक्सीन ईजाद किया है। यह किसी भी भारतवासी के लिए एक ऐतिहासिक, गौरवशाली, अविस्मरणीय पल है। अपने महान राष्ट्र की इस महानतम उपलब्धि पर प्रत्येक भारतवासी का सीना गर्व से चौड़ा हुआ है, मस्तक ऊँचा उठा है। यह हमारे लिए उत्सव एवं उल्लास का क्षण है, हर्ष एवं गौरव का क्षण है, स्वाभिमान एवं आत्मविश्वास का क्षण है। यह आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक ठोस एवं मज़बूत क्षण है।

 
रीढ़विहीन, स्पंदनशून्य, सांस्कृतिक चेतना विहीन, औपनिवेशिक मानसिकता में क़ैद और जकड़े ‘तोतों’ को जो रुचता हो बोलें, पर हर सच्चा भारतीय राष्ट्र के इस जयघोष में अपना स्वर भी बुलंद कर रहा है। कृतज्ञ-भाव से अपने चिकित्सकों-वैज्ञानिकों को धन्यवाद और बधाई दे रहा है। कोरी राजनीति करने वाले, मातम मनाने वाले, चौबीसों घंटे मर्सिया का कोरस गाने वाले, रुदाली को अपना पेशा बना लेने वाले राजनीतिज्ञों, कूढ़मगज बुद्धिजीवियों, प्रलय के तमाम प्रवक्ताओं और पैरोकारों को उनके हाल पर छोड़ें। उनकी नियति उन्हें हाशिए की ओर धकेल चुकी है। दुम कटी छिपकली की भाँति वे अंतिम छटपटाहट और तिलमिलाहट की अवस्था में है। समय उन्हें छोड़कर आगे बढ़ चुका है। हमें भी ऐसों की बिलकुल परबाह नहीं करनी है।

 
आएँ, अपनी सरकार, अपने चिकित्सकों, अपने वैज्ञानिकों का मनोबल बढ़ाते हुए राष्ट्र के सामूहिक मनोबल को ऊँचा उठाएं। यही समय की पुकार है। यही व्यक्ति-धर्म, नागरिक-धर्म और राष्ट्र-धर्म है! एक बार अपने-आप से बोलें- भारत माता की जय! वंदे मातरम!

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