असम से लेकर उत्तर प्रदेश तक मदरसों को लेकर दोनों राज्यों की सरकारों ने सख्त रुख अपना लिया है. असम में एक के बाद एक सीएम हिमंता असम में आतंकी कनेक्शन के कारण हाल ही में 3 मदरसों पर बुलडोजर चलवा चुके हैं. इसके साथ ही उन्होंने साफ कर दिया कि कई मदरसे आतंक का हब हैं वहां पढ़ाई के बदले आतंकियों की ट्रेनिंग होती हैं। वहीं उन्होंने अपने एक बयान में कहा कि मदरसों की आड़ में देश विरोधी गतिविधि करने वाले संस्थान तोड़े जाएंगे उन्होंने कहा, “अगर हमें कोई विशेष जानकारी मिलती है कि मदरसे की आड़ में भारत विरोधी गतिविधियों के लिए संस्थान का इस्तेमाल किया जा रहा है, तो हम उन्हें तोड़ देंगे।”

वहीं दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश में भी सीएम योगी की तरफ से मदरसों के सर्वे का आदेश दिया गया है जिसके तहत किन मदरसों को कहां से फंडिंग मिल रही है, मदरसों में पढ़ा रहे शिक्षक कौन हैं और वो क्या पढ़ा रहे हैं। मदरसों का सिलेबस क्या है, रिपोर्ट में ये जुटाया जाएगा।

लेकिन मदरसों पर कार्रवाई क्या शुरू हुई घड़ियाली आंसू बहाने वाले भी सामने आने लगे. यूपी में मदरसों के सर्वे के आदेश के बाद ही ओवैसी साहब उखड़े हुए हैं. AIMIM अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने सीएम योगी पर निशाना साधते हुए इसे मिनी-NRC करार दिया है। उन्होंने कहा”मदरसे अनुच्छेद 30 के अनुसार हैं तो उत्तर प्रदेश सरकार ने सर्वेक्षण का आदेश क्यों दिया है? यह कोई सर्वेक्षण नहीं है बल्कि एक मिनी एनआरसी है। कुछ मदरसे उत्तर प्रदेश मदरसा बोर्ड के अधीन हैं। राज्य सरकार अनुच्छेद 30 के तहत हमारे अधिकारों में हस्तक्षेप नहीं कर सकती। वे मुसलमानों को परेशान करना चाहते हैं।”

दरअसल मदरसों पर कार्रवाई को लेकर सियासी घमासान सीएम हिमंता के प्रदेश असम में भी मचा हुआ है. असम में मदरसों को बुलडोजर से गिराए जाने के बाद ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट के चीफ़ बदरुद्दीन अजमल ने असम सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि “मदरसों और मुस्लिमों पर हमले बढ़ने लगे हैं क्योंकि 2024 के लोकसभा चुनाव के नज़दीक आ रहे हैं. मदरसे इसलिए तोड़े जा रहे हैं ताकि मुसलमान 2024 के चुनाव में डर कर बीजेपी को वोट दे दें.”

वहीं मदरसों पर कार्रवाई को लेकर AIMIM के राष्ट्रीय प्रवक्ता वारिस पठान ने तो आंसू की नदियां ही बहा दी है. उन्होंने बोंगाईगांव जिले के मदरसे को गिराने की तस्वीर शेयर करते हुए लिखा कि “असम की हिमंता बिस्वा की सरकार एक के बाद एक मदरसों को बुलडोज़र से गिरा रहा है, उन हज़ारों बच्चों का क्या होगा जो यहां पढ़ाई करते थे? सब याद रखा जाएगा!!!”

मदरसों पर सियासी घमासान के बीच घड़ियाली आंसू निकालने वालों नेताओं से ये सवाल पूछना बनता है कि क्या इनमें से किसी ने भी अपने बच्चों को मदरसे में तालीम दिलवाई है? जवाब है नहीं . घड़ियाली आंसू बहाकर अपनी राजनीति करने वाले ज्यादातर नेताओं के बच्चे विदेश में जाकर पढ़ाई करते हैं ना कि मदरसा में!

देखा जाए तो हाल के दिनों में अलग-अलग राज्यों में मदरसों को आतंकियों के ट्रेनिंग हब के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है. इन मदरसों में तालीम के बजाय आतंक की ट्रेनिंग दी जा रही है. जो मौलवी मदरसों में बच्चों को तालीम दे रहा है उसका कनेक्शन किसी न किसी आतंवादी संगठन से जुड़े होने का खुलासा कई बार किया जा चुका है .

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