अमेठी की हार का बदला यूपी को जलाकर लेना चाहते हैं

यूपी में निवेश रोकने, यूपी की छवि खराब करने और हिंदुओं को बांटने का कांग्रेसी खेल

पहले CAA विरोधी दंगो की कोशिश, फिर जमातियों द्वारा कोरोना फैलाने की साजिश, फिर दिल्ली मुम्बई से पलायन करवाना, राम मंदिर निर्माण रुकवाने की कोशिशें, फिर जातिवाद भड़काना और अब हाथरस मामलें में झूठी खबरें

गांधी परिवार भिन्नाया हुआ हैं। वो यूपी जिसे गरीबी और पिछड़ेपन में बांध कर रखा गया था, वो यूपी अब बदलते भारत का प्रतीक बन रहा हैं। भगवान राम का मंदिर बन रहा हैं, विकास और निवेश की गाड़ी तेजी से चल पड़ी हैं, अपराधियों पर नकेल कसी जा रही हैं और मुख्यमंत्री योगी एक धर्मपरायण विकासोन्मुख सत्ता संचालन के प्रतीक पुरुष के रूप में उभर रहे हैं।

ये सब गांधी परिवार के किये एक दुःस्वप्न के जैसा हैं। अमेठी और रायबरेली को बरसों तक केवल वोट लेने और गरीब रखने वाला गांधी परिवार अब हताशा में यूपी वालों से अमेठी की हार का बदला लेना चाहता हैं। यूपी को जलाकर और दंगो की आग में झोंककर यूपी का विकास और निवेश रोकने की ये साजिशें अब बंद कमरों से निकल कर खुलेआम कुछ पालतू मीडिया चैनलों के माध्यम से खेली जा रही हैं।

गांधी परिवार को पता हैं, यूपी को बांटना हैं तो हिंदुओं को बांटो। मोदी योगी की सत्ता को कमजोर करना हैं तो जातिवाद का जहर फैला दो। यूपी पर , यूपी की जनता पर गांधी परिवार के ईकोसिस्टम के द्वारा लगातार हमले किये जा रहे हैं।

सबसे पहले CAA विरोधी दंगो में यूपी को जलाने की कोशिश की गई। पश्चिमी यूपी में तो पुलिस वालों को घेरकर सामुहिक जलाने तक की कोशिश की गई। लेकिन गांधी परिवार का दुर्भाग्य कि मुख्यमंत्री योगी के नेतृत्व में CAA विरोधी हिंसात्मक लोगों को कठोरता के साथ कुचल दिया गया।

जब CAA विरोधी हिंसा का एक्सपेरिमेंट यूपी में फेल हो गया तो यूपी की जनता को जमातियों के द्वारा कोरोना फैलाकर मारने की कोशिशें की गई। यूपी के सुदूर गांवों में छिपे हुए सैकड़ो जमातियों को पकड़ा गया। उसके बाद राम मंदिर निर्माण को रोकने की आखिरी पल तक विषैली कोशिश गांधी परिवार के पालतू इको सिस्टम द्वारा की गई। लेकिन भगवान राम के आशीर्वाद से गांधी परिवार की यूपी के खिलाफ हर साजिश फेल हुई।

इसके बाद अब शुरू हुआ हैं जातिवाद का भयानक खेल। गांधी परिवार के इस भयानक खेल में राहुल और प्रियंका ने यूपी को जलाने के लिए अपना सब कुछ झोंक दिया हैं।

गांधी परिवार की जूतियों में दाल पीकर बड़े हुए कई पत्रकार भी इस खेल का हिस्सा हैं। यूपी में पहले ब्राह्मणों को भड़काने की कोशिश हूई और वो कोशिश फेल होते ही हाथरस मामले को जातिगत हिंसा का रूप देने के लिए चन्द्रशेखर रावन जैसे अपराधियों का इस्तेमाल शुरू किया गया।

गांधी परिवार जहां एक और राजस्थान के भयानक महिला अपराधों पर चुप्पी साधे बैठा हैं वहीं दूसरी और यूपी के बलरामपुर में दलित महिला के भयानक हत्याकांड में मूकबधिर बन गया हैं। गांधी परिवार को पता हैं कि अपराधी अगर मुस्लिम हैं तो उसका नाम भी लेना गुनाह हैं सेकुलर राजनीति के नए बंटी बबली के लिए।

हाथरस कांड जहां जिन पर आरोप हैं वो गिरफ्तार हो चुके हैं, पीड़ित परिवार को मुआवजा घोषित हो चुका हैं, SIT गठित हो चुकी, CBI जांच तक मंजूर हो चुकी, जहां पीड़ित परिवार के बयानों में खुद ही बार बार बदलाव हो रहा हैं, जहां मूल अपराध ही संशय के घेरे में हैं। उस हाथरस कांड में गांधी परिवार अपना सबकुछ झोंक रहा हैं, क्योंकि मकसद यूपी को जलाना हैं।

जबसे मुख्यमंत्री योगी ने यूपी में फिल्मसिटी बनाने की घोषणा की। नकली सेकुलर ब्रिगेड में आग लगी हुई हैं। यूपी को बदनाम करो, यूपी को जलाओ, यहां कोई इन्वेस्टमेंट मत आने दो। योगी को रोको।

जिस प्रकार एक चैनल की वो पत्रकार जो प्रियंका गांधी के सचिव संदीप की खास मित्र हैं, उसने खुलेआम ना केवल पीड़ित परिवार को भडकाया बल्कि पैसो के लालच तक दिया झूठ बोलने के लिए, वो ये बताने के लिए पर्याप्त हैं कि गांधी परिवार का पालतू इकोसिस्टम अब यूपी को जलाने के लिए किसी भी हद्द तक गिरने को तैयार हैं।

अमेठी की हार का दंश इतना गहरा हैं कि राहुल और प्रियंका अब यूपी की जनता से बदला लेने पर उतारूँ हैं।

हाथरस कांड की निष्पक्ष जांच हो रही हैं। नार्को टेस्ट से लेकर CBI जांच तक कि घोषणा ही चुकी हैं। सच सामने आने ही वाला हैं। लेकिन कांग्रेस का सच सामने आ चुका हैं। गांधी परिवार की यूपी से नफरत और झल्लाहट दोनों पूरे देश के सामने हैं।

आज मुख्यमंत्री योगी के खिलाफ वो ही गैंग उतरा हुआ हैं जो पिछले 20 सालों से मोदी और अमित शाह के खिलाफ षड्यंत्र रचा रहा था। वो ही पत्रकार, वो ही नेता और बिल्कुल वैसा ही झूठ, छल, प्रपंच और षड्यंत्रो का जाल।

लेकिन जनता देख रही हैं। गांधी परिवार की इस निर्लज्ज राजनीति व कुटिल साजिशों को यूपी की जनता समझ रही हैं। घर घर में इन षड्यंत्रो की चर्चा हैं।

अब तक यूपी में सामान्य नागरिकों में गांधी परिवार मतलब एक हास्य का पात्र, मनोरंजक, मूर्खतापूर्ण, अविवेकी ऐसा कुछ होता था पर अब ये हास्यबोथ गांधी परिवार के खिलाफ आक्रोश और क्षोभ का रूप ले रहा हैं। सड़क चलते सामान्य लोग राहुल और प्रियंका की घटिया राजनीति और साजिशों पर नाराजगी व्यक्त कर रहे हैं।

योगी जी के नेतृत्व में यूपी तो नहीं रुकने वाला लेकिन यूपी की जनता से ये पंगा गांधी परिवार के लिए राजनैतिक तौर पर भारी पड़ेगा।

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