गोडसे की अंतिम इच्छा अभी अधूरी – जब सिंधु नदी भारत में हो, अखंड भारत बन जाएं, तब उसी सिंधु में मेरी अस्थियां विसर्जित हो
फाँसी से एक दिन पहले लिखी वसीयत के अनुसार उनकी अंतिम इच्छा अभी अधूरी
अखंड भारत में सिंधु नदी में अस्थियां विसर्जित करने की अंतिम इच्छा थी नाथूराम गोडसे की
क्या आपको पता है मरने के बावजूद आज तक गोडसे की अस्थियों (Asthi Kalash) को नदी में प्रवाहित नहीं किया गया है, बल्कि इसे एक चांदी के डिब्बे में भरकर सुरक्षित रखा गया है।
यहां अस्थ्यिों के अलावा गोडसे के कुछ कपड़े और हाथ से लिखे नोट्स भी रखे हुए हैं। नाथूराम गोडसे के परिजनों की ओर से दिए गए एक इंटरव्यू के तहत फांसी के बाद गोडसे का शव उन्हें नहीं दिया गया था। सरकार ने खुद घग्घर नदी के किनारे उनका अंतिम संस्कार कर दिया था। इसके बाद उनकी अस्थियों को एक डिब्बे में भरकर उन्हें दिया गया था।
गोडसे की भतीजी हिमानी सावरकर ने एक इंटरव्यू के बताया था कि नाथूराम गोडसे की अस्थियों को नदी में प्रवाहित न करने के पीछे गोडसे की अंतिम इच्छा (Last Wish) रही है। दरअसल मरने से पहले उन्होंने कहा था कि उनकी अस्थियों को तब तक संभाल कर रखा जाए और जब तक कि सिंधु नदी स्वतंत्र भारत में समाहित न हो जाए। इसके बाद ही उनकी अस्थियों को सिंधु नदी में प्रवाहित किया जाए। उनके इस सपने के सच होने की आस में ही परिवार ने उनकी अस्थियों को संभालकर रखा है।
गोडसे की अंतिम इच्छा आज भी अधूरी है, जिसमें उन्होंने अपनी राख सिंधु नदी में विर्सजित करने की बात कही थी। क्या लिखा है वसीयत में…
– यह वसीयत (पत्र) गोडसे ने 14-11-1949 यानी अपनी फांसी से ठीक एक दिन पहले अपने छोटे भैया दत्तात्रेय विनायक गोडसे के नाम जेल से लिखा था।
– उनके भाई गोपाल गोडसे ने इसे अपनी किताब ‘गांधी, वध और मैं’ ने इसे प्रकाशित किया है।
– इस पत्र में नाथूराम गोडसे ने अपने बीमा के पैसों को भाई दत्तात्रेय गोडसे, उनकी पत्नी और उनके दूसरे भाई की पत्नी को देने को कहा था।
– साथ ही, अंतिम संस्कार का सारा अधिकार भी दत्तात्रेय गोडसे को दिया था।
– गोडसे ने अपनी अस्थियों को सिंधु नदी में प्रवाहित करने की बात भी लिखी है। वसीयत में नाथूराम गोडसे का नाम सबसे नीचे लिखा हुआ है।
यहां आज भी रखी है गोडसे की अस्थियां
– पुणे के जिस इमारत में गोडसे की अस्थियां रखी हैं वहां एक रियल एस्टेट, वकालत और बीमा क्षेत्र से जुड़े ऑफिस है।
– शीशे के एक केस में गोडसे के कुछ कपड़े और हाथ से लिखे नोट्स भी संभालकर रखे गए हैं।
– गोडसे से जुड़ी यह निशानियां शिवाजी नगर इलाके में बने जिस कमरे में रखी हैं वह अजिंक्य डेवलपर्स का दफ्तर है।
– इसके मालिक और नाथूराम गोडसे के भाई गोपाल गोडसे के पोते अजिंक्य गोडसे ने कहा “इन अस्थियों का विसर्जन सिंधु नदी में ही होगा और तभी होगा जब उनका अखंड भारत का सपना पूरा हो जाएगा।”
– “मेरे दादाजी की अंतिम इच्छा यही थी, इसमें कई पीढ़ियां लग सकती है, लेकिन मुझे उम्मीद है कि वह एक दिन जरुर पूरी होगी।
– शनिवार पेठ के इसी घर में कभी नाथूराम गोडसे रहा करते थे। अब यह मकान बेहद जर्जर हो चुका है। इस घर में इन दिनों कई छोटी-छोटी प्रिटिंग प्रेस हैं।
नाथूराम गोडसे ने अपनी अंतिम इच्छा में कहा था कि उनकी अस्थियों को तब तक संभाल कर रखा जाए जब तक सिंधु नदी स्वतंत्र भारत में समाहित न हो जाए और फिर से एक बार अखंड भारत का निर्माण न हो जाए। जब ऐसा हो जाए तभी मेरी अस्थियों को सिंधु नदी में प्रवाहित करा जाए।
नाथूराम गोडसे
इसी वजह से गोडसे के परिवार ने आज तक उनकी अस्थियों को संभाल कर रखा हुआ है।
DISCLAIMER: The author is solely responsible for the views expressed in this article. The author carries the responsibility for citing and/or licensing of images utilized within the text.