सरकार संभाले नहीं तो जनता के हवाले करे ये फर्जी किसान आंदोलन, देश को हो रहा है भारी नुकसान….

जब से किसान बिल लोकतंत्र के पवित्र मंदिर लोकसभा में तथा राज्यसभा में स्वीकृत हुआ तब से लेकर अब तक कृषि कानून के नाम पर हिंदुस्तान में जिस प्रकार से अशांति फैलाने का कार्य चंद्र तथाकथित फर्जी किसान संगठनों तथा फर्जी किसान नेताओं द्वारा सुचारू रूप से चालू है यह किस प्रकार की ताकत है जिसमें आंदोलन अपनी जगह चल रहा है सरकारें अपनी जगह कार्य कर रही है लेकिन गंभीर विचार करने का विषय जो है वह यह है कि आज इस आंदोलन की आड़ में जो सबसे ज्यादा नुकसान हो रहा है उस व्यक्ति को हो रहा है जिसे ना सीधे किसान से पाला पड़ता है और ना ही उसके सरकार के किसी कार्यकलापों से लेना देना है बिल्कुल इस देश का आम व्यक्ति जो प्रभावित हो रहा है इस आंदोलन से खास तौर पर जब दिल्ली की तरफ कोई व्यक्ति जाता है तो वही राजस्थान हरियाणा उत्तर प्रदेश या फिर किसी भी राज्य से आ रहा हूं सबसे बड़ी दरिंदगी जो देखने को मिलती है वह घंटों लगा जाम हाईवे के ऊपर किसी भी प्रकार की आपातकालीन व्यवस्था से परे हटकर है चाक-चौबंद राष्ट्रीय राजमार्ग होने के बावजूद इन फर्जी किसान संगठनों द्वारा राष्ट्रीय राजमार्ग को रोक कर यातायात को बाधित करना और लगातार बाधित करना सीधे-सीधे राष्ट्रद्रोह है देशद्रोही और जिसका हर जाना आम व्यक्ति को भरना पड़ता है वास्तविक स्तर पर आपको कहूं तो जयपुर से दिल्ली जाने वाले व्यक्ति को बॉर्डर के पास हाइवे से गुजरने नहीं दिया जाता है और वह गांव में होते होते होते होते करीबन करीबन 2 से 3 घंटे की अतिरिक्त यात्रा करके दिल्ली की तरफ पहुंचता है क्या कसूर है उस व्यक्ति का क्या वह समय पर टैक्स नहीं देता क्या वह इस देश का नागरिक नहीं है क्या उसे सरकार में किसानों से कोई लेना देना नहीं है बावजूद उसके आम व्यक्ति को परेशान करना और वह भी तथाकथित फर्जी किसान संगठनों द्वारा और सरकार द्वारा किसी भी प्रकार की कार्यवाही ऐसे तथाकथित फर्जी नेताओं पर ना करना कहीं ना कहीं इस बात को दर्शाता है कि लोगों को आम व्यक्ति की तकलीफ हो से कोई लेना देना नहीं है अब हम बात करते हैं अगर कोई व्यक्ति दिल्ली से जयपुर की तरफ आता है तो वही स्थिति है किलोमीटर के ऊपर जाम लगा हुआ है जो माल परिवहन के रूप में लेकर ट्रक निकलते हैं ट्रांसपोर्ट के उनकी दसों दिशाओं किलोमीटर लंबी दूरी में लाइने लगी हुई है आप कल्पना करिए कि उसके अंदर जो सामान एक जगह से दूसरी जगह भेजने का कार्य किया जा रहा है वही काम व्यक्ति द्वारा किया जा रहा है और उसको प्रभावित करना कहीं ना कहीं देश की अर्थव्यवस्था को प्रभावित करना है आम व्यक्ति की पीठ के पीछे छुरा घोंपने का कार्य है

कोरोना काल में आम व्यक्ति का जीवन प्रभावित तो हुआ ही है आर्थिक रूप से भी लोग टूटे हैं उस स्थिति में जैसे तैसे आम व्यक्ति अपनी दैनिक दिनचर्या को वापस पटरी पर लाने के लिए प्रयासरत हैं उसी स्थिति में आंदोलन के नाम पर जिस प्रकार से गंदगी फैलाने का कार्य है कुछ लोग और कुछ फर्जी संगठन करने का प्रयास कर रहे हैं उस पर तुरंत प्रभाव से केंद्र सरकार को रोक लगानी चाहिए क्योंकि इस वजह से बेवजह मानवाधिकारों का हनन हो रहा है और लोगों को परेशान करके कहीं ना कहीं जिस प्रकार से मैंने व्यक्तिगत रूप से ऐसे आंदोलनों को नजदीक से देखा वहां केवल और केवल केंद्र सरकार और देश को तोड़ने की गतिविधियों के अलावा कोई कार्य नहीं होता है वह सिर्फ और सिर्फ हिंदुस्तान को तोड़ने के प्रयास में ही बातें करते हैं वैसी ही स्पीच उनके द्वारा दी जाती है उसी तरह के भाषणों से जहर घोलकर वातावरण को दूषित करने का प्रयास इन तथाकथित फर्जी नेताओं द्वारा करने का हो रहा है जिस पर तुरंत प्रभाव से लगाम लगनी चाहिए और तुरंत प्रभाव से ऐसे लोगों पर कड़ी से कड़ी कार्यवाही होनी चाहिए

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