मुगलों ने अपने क्रूर दौर में हिंदुस्तान में इस्लाम कन्वर्जन को जितनी तेजी से फैलाया था उसी रफ्तार पर रोक लगाने का काम सिख गुरुओ ने किया था। ऐसे ही एक सिख गुरु तेग बहादुर जी का आज के दिन शहादत दिवस है जिन्हें मुगल सम्राट औरंगजेब के आदेश पर दिल्ली के चांदनी चौक में सिर कलम कर दिया गया था।
दरअसल संग 1675 में कश्मीरी ब्राह्मणों का एक दल गुरु जी के दरबार में आया और बताया कि मुगल बादशाह औरंगजेब जबरन कश्मीरी पंडितों का धर्म परिवर्तन करा रहा है और उन पर अत्याचार कर रहा है तब गुरु तेग बहादुर जी ने कहा कि वे स्वयं औरंगजेब से इस बाबत जाकर मुलाकात करेंगे और कश्मीरी पंडितों के हक की मांग करेंगे। नौवें गुरु तेग बहादुर जी कश्मीरी पंडितों के धार्मिक अधिकारों की रक्षा के लिए औरंगजेब से मिलने दिल्ली रवाना हो गए ।
मुगल दरबार में गुरुजी के सामने तीन शर्ते रखी गई इस्लाम कबूल करें, करामात दिखाएं या शहादत दे।
गुरुजी ने उत्तर दिया मैं धर्म परिवर्तन के विरुद्ध हूं ..चमत्कार दिखाना ईश्वर की इच्छा की अवहेलना है ..परिणाम स्वरूप गुरु जी के साथ आए तीन सिखों भाई मती दास, भाई सती दास और भाई दयाला को यातनाएं देकर शहीद कर दिया गया। गुरु तेग बहादुर जी पर भी अनेक अत्याचार किए गए, अंततः 8 दिनों की यातना के बाद 24 नवंबर 1675 को गुरु जी को दिल्ली के चांदनी चौक में शीश काटकर शहीद कर दिया गया जहां आजकल गुरुद्वारा शीश गंज साहिब स्थित है।
DISCLAIMER: The author is solely responsible for the views expressed in this article. The author carries the responsibility for citing and/or licensing of images utilized within the text.