क्योकि इस मामले में वो पूरा सच नही बता रहे है , ये मामला इतना आसान नही है

दो महीने पहले यूपी में एक सुदीक्षा भाटी नाम की लडकी की सडक हादसे में दुःखद मौत हो गयी घटना के बाद परिवार ने बोला की छेड़छाड़ हुई थी उस समय मिडिया ने इसी तरह नौटंकी मचाई परिवार ने ये तक बोल दिया की छेड़छाड़ वाले की गाडी में जाट लिखा था लोगो ने इसको जाति से जोड़कर देखना शुरू कर दिया

सच्चाई क्या थी ?

बात छोटी सी थी लड़की अपने चचेरे भाई के साथ जा रही थी उसके आगे एक बुलेट में एक आदमी अपने मजदूर को बैठा कर जा रहा था , अचानक से ट्रक आ गया आ गयी और उसने ब्रेक लगाया तो पीछे लडकी का चचेरा भाई गाड़ी संभाल नही पता और गाडी बुलेट से टकरा जाती है लडकी गिर गयी सिर में चोट से मौत हो गयी क्योकि उसने और उसके भाई ने हेलमेट नही पहना था ,और 70 कि स्पीड से गाड़ी चला रहा था अचानक हुई टक्कर वो संभाल नही पाया

आगे बुलेट वाला डर के मारे भाग गया जबकि उसकी कही कोई गलती नही थी

लेकिन परिवार ने भी झूठ बोला उसके दो कारण थे एक तो भाई नाबालिग था और बिना ड्राईविंग लाइसेंस गाड़ी चला रहा था जो स्वयं एक अपराध है ऐसे में परिवार बोल रहा था की चाचा मोटर साईकिल चला रहा था जो साफ़ झूठ था सीसीटीवी में साफ़ पकड़ आ रहा था भाई जो मोटर साईकिल चला रहा और हेलमेट नही पहना था और मामला छेड़छाड़ और और भावनाओं के नजरिये से देखा जाने लगा

और पुरे जिले की पुलिस इसमें लगी रही बाद में पूरे सड़क किनारे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज देखकर सबित हुआ की सच्चाई क्या है

सरकार से मुआवजा भी मिला जो समझ से परे है ऐसी सड़क हादसे रोज होते है अगर सरकार हर हादसे पर पैसे देने लग जाय तो ये कितना उचित होगा लेकिन मीडिया के दबाब में मामले को शांत करने के लिए सरकार ने दिया लेकिन उसी दिन जो दूसरे सड़क हादसे हुए उनके साथ ये अन्याय नही है क्या ?

अगर मिडिया के हिसाब से या सुदीक्षा के परिवार की बात मान ली जाती तो आज दो परिवार और बर्बाद हो गये होते इनकी भरपाई कौन करता ?
अब आप खुद सोचिए लोग अपनी बेटी की मौत के बाद भी इतना झूठ बोल लेते है

और अपनी गलती के बजाय दूसरो पर दोष मढ़ते रहते है

इस मामले में भी काफी बात छिपाई जा रही है जो पता करना जरूरी है?

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