हाथरस मुद्दे को लेकर क्रेटली मीडिया लगातार बताता रहा है कि कुछ ताकतें इस मुद्दे को जातीय हिंसा में तब्दील करने की कोशिश कर रही हैं । साजिश की परतें अब खुलनी शुरू हो गई हैं। हाथरस कांड की पीड़िता को इंसाफ दिलाने के लिए एक वेबसाइट बनी थी- जस्टिस फॉर हाथरस। उस वेबसाइट से इंसाफ के नाम पर पैसे भी उगाहे जा रहे थे, लेकिन यूपी सरकार का दावा है कि उस वेबसाइट की साजिश को उसने बेनकाब कर दिया है। इतना ही नहीं, यूपी पुलिस का ये भी दावा है कि उसके पास इतने पुख्ता सबूत हैं, जिन्होंने उन लोगों को बेनकाब कर दिया, जिनका हाथ इस साजिश में हो सकता है। सवाल है कि रातोंरात कैसे बनाई गई जस्टिस फॉर हाथरस जैसी वेबसाइट? कैसे उसमें रातों रातों हजारों हजार लोगों को जोड़ा गया? वेबसाइट पर बताया गया कि कैसे दंगा करना है. दंगों के बाद कैसे बचना है..

यूपी पुलिस के सूत्रों के मुताबिक इस वेबसाइट के लिए कुछ इस्लामिक देशों से फंडिंग के भी सबूत मिल रहे हैं। फंडिंग के सबूत मिलने पर जल्द ही ईडी यानी प्रवर्तन निदेशालय इस पूरे मामले की जांच को अपने हाथ में लेने जा रही है और इस पूरे मामले को मनी लॉन्ड्रिंग के नजरिए से तफ्तीश करेगी।

यूपी पुलिस के मुताबिक इस पूरे मामले में पीएफआई और उसके सहयोगी संस्था CFI पर शक की सुई चल रही है। सरकारी सूत्रों के मुताबिक यह वेबसाइट इसलिए बनाई गई थी ताकि यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि को विदेशों में खराब किया जा सके।

DISCLAIMER: The author is solely responsible for the views expressed in this article. The author carries the responsibility for citing and/or licensing of images utilized within the text.