I am facing a very bad “Judicial Misadventure” as I am being harassed by the Judges of the Panipat court in a false case for last 10 yrs.
Criminal Complaint No. -254/2014 & Crl Appeal No. 163/2015; (Dist Court Panipat-Haryana), are the striking examples to show how the Judges manipulate the facts and misuse their power to harass innocent people.
This is a case where there was absolutely no evidence to suggest that the said complaint was maintainable in any manner known to the LAW of the land.
That complaint was not only registered by the court but I was convicted that too with maximum punishment available.
Only a compromised agency can act on such complaints.
Modus Operandi of such Judges is that they do the Judicial Misconduct, Frauds, Perpetuation of Frauds, etc. – Through their Orders – Knowing fully well that they have the Judges’ Protection Act to Protect them, so they can’t be Prosecuted for this but the ONLY Option available to the Poor, Honest and Innocent Litigants like me is to Approach Hon’ble SC/HC to Challenge each and every such Fraudulent Order again and again, which is a costly affair.
After seeing my CASE DETAILS even a common man can say that “INJUSTICE” is being done deliberately and consciously to cause me harassment with the malicious intentions that I will succumb to buy peace.
Being aggrieved by the persistent harassment by the Trial Court and the Session Court judges, I filed a regular complaint dated 22/02/2019, as per Article 235 of the Constitution, with the Registrar High Court (Punjab-Haryana) to take action against the “Erring Judges”.
The copy of the complaint was also sent to the Hon. Chief Justice of P&H High Court.
Thereafter, I sent the complaint 4-5 times to the Hon. President/PM/Law Mister of India and the CM & Governor of Haryana, which was everytime forwarded to the Registrar (High Court-P&H) for appropriate action.
Till date I have sent 4 reminders to the Registrar (HC) but no action.
This is highly unconstitutional that Even after such recommendations and rigorous follow up my complaint is still pending for last 19 months what to talk about a common man.
I have no hesitation to say that High Court is trying to save their subordinate Judicial Officers and allowing them to continue “Harassing ME”.
I can say it so confidently because if any of the allegations in my this COMPLAINT was false they would have surely booked me, after all complaining against 8 Judges (Including the District Sessions Judge) and 2 Advocates is not an ordinary matter.
I can only say that today “Corruption & Misconduct” have taken such a claim that Truth & Honesty seems week in front of it. It requires corrective measures to be taken immediately otherwise it is going to create BIG PROBLEMS in the path of good governance…
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Everybody please raise your voice against INJUSTICE….
The Hon. Courts are for We the people of India and Judiciary the noble 3rd Estate is supposed to protect the poor, honest & innocent people from the rough and corrupt public servants and powerful criminals.
But today it is very unfortunate that level of corruption in judiciary is increasing day by day.
The nexus of corrupt judges, Advocates, Politicians and the criminals is getting strong with every lapse of time, and there is nobody to take action against them.
Today corruption (especially in judiciary) is the biggest threat in India.
It is duty of every citizen to uphold & protect the sovereignty, unity & integrity of the country.
The lymph nodes of corruption have creeped deep into the vital veins of judiciary which need immediate surgery to stem it out.,…
न्यायपालिका, अन्यायपालिका बन गई है….
न्यायपालिका के कुछ भ्रष्ट न्यायाधीशों की वजह से
एक हँसता खेलता परिवार बर्बाद हो गया
और खून के आंसू रोने पर मजबूर है…
ऐसे में आम आदमी करे तो क्या करे?
कहां जाकर अपना दुखड़ा रोये?
इस देश में आम आदमी का जीना दूभर हो गया है.
मेरे देश का यारों क्या होगा….??
न्यायपालिका/पुलिस विभाग और सरकारी संस्थानों में भ्रष्टाचार चरम सीमा पर है.
कुछ भ्रष्ट न्यायिक अधिकारी/पुलिस/दलाल वकीलों/भ्रष्ट नेताओं और शक्तिशाली अपराधियों का गठजोड़ बढ़ते हुए अपराध का मुख्य कारण है…
जब तक सरकार भ्रष्टाचार पर शिकंजा कसने को सख्त कानून नहीं लाती है, अपराध दिन प्रतिदिन ऐसे ही बढ़ता रहेगा…
अगर सरकार जल्दी ही भ्रष्टाचार की दुकान पर ताला लगाने का बंदोबस्त नहीं करती है तो देश के हालात जल्दी ही भयावह हो जायेंगे….
ऐसे विषम हालात में रामराज्य की स्थापना की कल्पना करना मात्र दिवा स्वप्न जैसी ही है…
#भ्रष्टाचार_मुक्त_भारत
#अपराध_मुक्त_भारत
#Justice_For_RajeevRana
कड़वा सच:-
अगर न्यायपालिका और पुलिस अपना काम पूर्ण निष्ठा और ईमानदारी से करने लगे,
तो फिर किसी की क्या मजाल कि वो कोई अपराध करने के बारे मे सोच भी सके….
देश में बढ़ते अपराध की जड़ ये दोनो विभाग ही हैं.
#Justice_For_RajeevRana
न्यायपालिका में भ्रष्टाचार की सारी हदें पार कर दी है और उसकी कहीं भी कोई सुनवाई नहीं है.
ऐसी स्थिति में आम आदमी के पास आत्महत्या के सिवाय कोई रास्ता नहीं बचता है…
मैंने हाई कोर्ट में शिकायत की कि मुझे एक झूठा केस में न्यायाधीशों द्वारा प्रताड़ित किया जा रहा है.
मेरी शिकायत को विचार के लिए लंबित रखने का कारण [waiting for outcome of the appeal] कितना उचित है….?
सोचने वाली बात है कि मेरे साथ मुख्य केस व अपील में अगर न्याय हो रहा होता तो मुझे शिकायत करने की क्या जरूरत थी.?
मतलब साफ है कि भ्रष्ट को बचाया जा रहा है और मुझे और प्रताड़ित करने की खुली छूट दी जा रही है.
दूसरी बात ये है कि अगर मेरी शिकायत झूठी है तो मेरे खिलाफ कार्यवाही क्यों नहीं करते, आखिर न्यायपालिका के खिलाफ शिकायत करना कोई मामूली बात तो है नहीं.
इससे ज्यादा शर्मनाक क्या होगा कि मुझे 10 साल से झूठे केस में प्रताड़ित किया जा रहा है और मेरी सच्ची शिकायत पर भी कोई कार्यवाही नही….
ऐसा लगता है कि भारत में आम आदमी के लिये न्याय नहीं है.
न्यायपालिका लोक आस्था का भंडार है। यह लोगों की आस्था का ट्रस्टी है। यह लोगों की आखिरी उम्मीद है।
सभी दरवाजों की हर दस्तक विफल होने के बाद, लोग अंतिम उपाय के रूप में न्यायपालिका से संपर्क करते हैं।
इसी भावना के कारण इस राष्ट्र के प्रत्येक नागरिक द्वारा धर्म, जाति, लिंग या जन्म स्थान की परवाह किए बगैर इसकी पूजा की जाती रही है।
लोगों की यही भावना न्यायपालिका को शक्ति प्रदान करती है।
ईमानदारी (Integrity) ही न्यायिक अनुशासन की पहचान है….
न्यायपालिका को यह देखने के लिए अत्यंत सावधानी बरतनी चाहिए कि न्याय का मंदिर अंदर से नहीं फटेगा, जिससे न्याय वितरण प्रणाली में तबाही होगी।
न्यायपालिका को यह याद रखना चाहिए कि अंदर का कठफोड़वा बाहर के तूफान से भी बड़ा खतरा पैदा कर सकता है…
आजकल न्यायपालिका में न्याय कम अन्याय ज्यादा हो रहा है,
अतः न्यायपालिका में दिन प्रतिदिन बढ़ते भ्रष्टाचार को देखते हुए, अब समय आ गया है कि न्यायपालिका ने अपने अंदर के कठफोड़वाओं को पिंजरे में डाल देना चाहिए…
वरना वह दिन दूर नहीं जब त्रस्त जनता न्यायपालिका का ही फैसला कर देगी|
सत्यमेव जयते
#Justice_For_RajeevRana
आज भ्रष्टाचार और दुराचार इतना ज्यादा बढ़ गया है कि सत्य और ईमानदारी इसके सामने कमजोर पड़ गई है।
इसके लिए तुरंत सुधारात्मक उपाय किए जाने चाहिए अन्यथा यह सुशासन की राह में बड़ी समस्याएं पैदा करने वाला है।
जहां लोकतंत्र का तीसरा महत्वपूर्ण स्तंभ न्यायपालिका ही लोकतंत्र का चीरहरण करने लगे, वहां रामराज्य की स्थापना की कल्पना भी कैसे की जा सकती है…