मुगलों और रोहिंग्याओं की अपनी ,ममता बनर्जी के संरक्षण और मौन सहमति समर्थन से , पश्चिम बंगाल में चुनाव के उपरान्त हिन्दुओं और भाजपा समर्थकों से जिस तरह से बदला लेने के लिए उनकी बस्तियां जला दी गईं , उनके घर बार लूट क्र , उन्हें मार पीट कर क़त्ल और बलात्कार करके उन्हें डरा धमका कर घर से उन्हें भगा देने पर मजबूर किया गया। महीनों तक बंगाल ऐसे ही जलता रहा , लोग मदद के लिए गुहार लगाते रहे और हिन्दू प्रताड़ित और शोषित होते रहे।
अभी इस दर्द की टीस चुभ ही रही थी कि , वो पडोसी देश जिसे पैदा करने के लिए भारत ने पहले से पैदा हुए दुश्मन से बाकायदा युद्ध किया था , उस बांग्लादेश में , पूरे देश भर सुनियोजित तरीके से , नवरात्रि पर्व के बीच में अष्टमी नवमी दशहरा के दिन , सौ से अधिक मंदिरों पर हमला किया गया , वहाँ उपस्थ्ति लोगों को मारा पीटा लूटा गया , कई मौत के घाट उतार दिए गए , देवी देवताओं की प्रतिमाओं , मूर्तियों को क्षत विक्षत करके ,उन्हें नष्ट कर तोड़ कर गिरा दिया गया फेंक दिया गया और डुबा दिया गया।
इस पोस्ट के लिखे जाने तक भी बांग्लादेश के हालात बहुत ही नाजुक और खतरनाक बने हुए हैं
मामले पर गहरी नज़र बनाए हुए जानकार इसकी क्रोलॉजी को इस तरह से समझ रहे हैं –
सरकार द्वारा नागरिकता संशोधन कानून से संभावित खतरे का डर – जिनके लिए दिखाया गया उनमें -बांग्लादेश से घुसपैठ करके भारत में छिपे बैठे अवैध बांग्लादेशी और रोहिंग्या भी शामिल और प्रभावित
सीएए विरोधी दंगे फसाद उपद्रव प्रदर्शनों में ,भारत में रह रहे रोहिंग्याओं ने अपने मज़हबी भाई जानों का साथ देते हुए , भारत की पुलिस और फ़ौज तक के विरुद्ध हिंसक अपराध किए थे और वे इसके अभ्यस्त हो रहे थे
पश्चिम बंगाल चुनाव में ममता बनर्जी का रुख और चुनाव के उपरान्त अपने वोट बैंक से अलग हुए लोगों के साथ वो भयानक प्रतिशोध की पूरा बंगाल धधक उठा। अपने ही घर अपने ही शहर और अपने ही देश में रह रहे लोगों के घरों में घुस कर उन्हें मार काट डाला गया। क्या बूढ़ी क्या युवती और क्या अबोध बच्ची सब की सब , हैवानों की हैवानियत की आग में झुलसती रहीं। मगर क्या मजाल जो प्रदेश की मुखिया जिनका नाम इत्तेफाक से ममता है के कानों तक एक भी चीख पहुँची हो।
इधर सरकार द्वारा भारत में दशकों से छिप कर बैठे बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठियों को कान पकड़ कर घसीट कर देश से बाहर करने के काम में और भी तेजी , न्यायलय के आदेश के बाद आई।
सरकार ने , असम , पश्चिम बंगाल , आंध्र प्रदेश और जम्मू कश्मीर आदि जैसे बहुत से राज्यों में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशियों की पहचान करके उन्हें वापस भेजने की प्रक्रिया भी शुरू की। और न सिर्फ शुरू की बल्कि इस बात का पूरा ढिंढोरा भी दुनिया भर में पीट दिया गया जिससे बचा जा सकता था।
रही सही कसर पूरी हो गई बांग्लादेश से लगे भारत की सीमा को तारबंदी से , लेसर किरणों से और अन्य निषेधात्मक रक्षा उपायों से सील कर देने के कारण बांग्लादेश के तस्करों , गुंडों , अपराधियों की कमाई का एक बहुत बड़ा जरिया बंद हो गया।
जानकार इस मामले को इन सारी उपरोक्त घटनाओं के परिप्रेक्ष्य में देख कर चल रहे हैं और ये भी जानने की कोशिश कर रहे हैं कि जिस तरह से ये पूरे देश भर में किया गया है और जैसे दिनों को , पूजा को , पांडाल और ,मूर्तियों को और उसके बाद हिन्दू बस्तियों को निशाना बना कर सारे अपराध किए गए हैं ये सब सुनियोजित साजिश है और भारत को प्रतिक्रया दिखाने जताने के लिए किया गया है।
इस बात को बल इस घटना से भी मिल रहा है क्यंकि अभी अभी भारत से सटे सीमा क्षेत्र वाले हिन्दू बाहुल्य क्षेत्रों में बांग्लादेशी जेहादियों की उन्मादी भीड़ पूरे शहर के शहर और बस्ती की बस्ती लूटते चले जा रहे हैं। ठीक वैसे ही जैसे पहले तुर्क मंगोल और नाज़ी किया करते थे।
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