लोकतंत्र को स्वस्थ और मजबूत बनाए रखने के लिए कितने ही उपाय क्यों न कर लिये जाएं , कितने ही नियम-कानून क्यों न बन जाएं, लेकिन सरकारें और सियासी पार्टियां अपने स्वार्थ के लिए रास्ता निकाल ही लेते हैं। राजनीतिक स्वार्थ पूरा करने के लिए जनता की आंखों में धूल झोंक कर ऐसे-ऐसे कदम उठाए जाते हैं कि भले ही इसके लिए संविधान की भावना के साथ कितना भी खिलवाड़ क्यों ना करना पड़े। लोकतंत्र की बुनियाद कितनी भी कमजोर कितनी ही खोखली क्यों न करनी पड़े। हाल के दिनों में कुछ ऐसी ही तस्वीरें बंगाल और महाराष्ट्र से सामने आयी है.

दरअसल बात सबसे पहले उस बंगाल की जहां की सीएम किसी तानाशाह से कम नहीं है. जहां बीजेपी के पक्ष में बोलना, बीजेपी को वोट देना मतलब अपनी जान से हाथ धोने के समान है. 2021 में हुए विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद बंगाल जिस तरह से रक्तरंजित हुआ है वैसी हालत पहले कभी भी देश के इतिहास में नहीं हुई है. वैसे बंगाल आज भी जल रहा है और TMC सत्ता के मजे लेते हुए बीजेपी पर बरसने के अलावा और कुछ करती नजर नहीं आ रही है. बीरभूम में 10 लोगों को जिंदा जलाने की घटना के बाद भी TMC डराने-धमकाने की राजनीति करने से बाज नहीं आ रही है.

दरअसल पश्चिम बंगाल उपचुनाव में बीजेपी ने टीएमसी विधायक नरेन चक्रवर्ती पर मतदाताओं को धमकाने का आरोप लगाया है। बीजेपी आईटी सेल प्रमुख ने नरेन का एक वीडियो ट्विटर पर शेयर किया है। इसमें वह बीजेपी वोटरों को धमकाते हुए नजर आ रहे हैं। नरेन चक्रवर्ती  वीडियो में कह रहे हैं कि बीजेपी को वोट दिया तो चुनाव के बाद देख लेंगे। इसके साथ ही वह यह भी कह रह हैं कि अगर बीजेपी को वोट नहीं दिया तो वे राज्य में रह सकेंगे और काम-धंधा कर सकेंगे, टीएमसी उनका समर्थन करेगी। बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख और बंगाल के सह-प्रभारी अमित मालवीय ने बंगाल की सीएम और टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी की भी आलोचना की और उन पर ऐसे विधायकों को संरक्षण देने का आरोप लगाया है।

ये तो रहा बंगाल का हाल उधर महाराष्ट्र में भी खुलेआम मुख्यमंत्री और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के खिलाफ आपत्तिजनक पोस्ट करने पर शिव सैनिकों ने एक शख्स को बीच सड़क पर पीटा है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक 27 मार्च को हेमंत जलगांव में ‘द कश्मीर फाइल्स’ फिल्म देखने गए थे. शिवसैनिक भी वहीं पहुंच गए. और उन्हें बेरहमी से पीटा गया. मारपीट की घटना के बाद जलगांव में शिवसेना के जिला प्रमुख गुलाबराव वाघ ने कहा कि ‘जो भी उद्धव ठाकरे जी के बारे में आपत्तिजनक पोस्ट करेगा, उसकी सार्वजनिक रूप से पिटाई की जाएगी. इस लड़के ने हमारे मुख्यमंत्री के खिलाफ आपत्तिजनक पोस्ट की, इसी वजह से हमने आज इसकी पिटाई की. आगे भी ऐसी हरकत करने वाले का यही हाल होगा.’

उधर बीजेपी प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने ट्विट कर कहा कि “पिछले कुछ दिनों में जलगांव में ऐसी कई घटनाएं हुई हैं जिनमें शिवसैनिकों ने कानून हाथ में लिया है और लोगों को उद्धव ठाकरे की आलोचना वाले उनके पोस्ट्स के लिए मारा है. बंगाल से महाराष्ट्र तक ये हंगामा सिलेक्टिव क्यों है?”

वहीं उत्तर प्रदेश में ऐतिहासिक जीत हासिल करते हुए बीजेपी दोबारा सत्ता में आयी जिसके बाद यूपी में जबरदस्त जश्न मना, लेकिन इस बीच कई ऐसी खबरें भी सामने आयी जिसने लोकतंत्र में मिले अधिकार के इस्तेमाल करने पर ही सवाल खड़े कर दिये. दरअसल कुछ दिन पहले कुशीनगर में बाबर नाम के लड़के की उसी के रिश्तेदारों ने सिर्फ इसलिए हत्या कर दी क्योंकि उसने योगी जी की जीत के बाद मिठाई बांटी थी. वहीं उससे पहले बरेली में एक मुस्लिम महिला को सिर्फ इसलिए घर से निकाल दिया गया क्योंकि उसने चुनावों में बीजेपी को वोट दिया था।

जाहिर है ये सिर्फ कुछ उदाहरण है. सत्ता के नशे में चूर और वोट हासिल करने के चक्कर में सियासी पार्टियां किस तरह से लोकतंत्र में मिले अधिकारों के साथ खेल रही है, जनता को मिले अधिकारों को छीनने की कोशिश करती है इसकी बानगी बंगाल से लेकर महाराष्ट्र तक और राजस्थान से लेकर केरल तक साफ दिखती है. ये वही लोग हैं जो समय-समय पर राग आलापते हैं कि लोकतंत्र खतरे में है लेकिन सच्चाई तो ये है कि इन लोगों की वजह से ही लोकतंत्र खतरे में है !

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