पीएम नरेंद्र मोदी जी का नारा “आत्मनिर्भर” आखिर कितना “आत्म – निर्भर” – हिंदुस्तान को बड़ी डिजिटल क्रांति की जरूरत है
मेरा डेटा लेकर कोई कर भी क्या लेगा ? सोचने वाले ज़रा ये पढ़ लें!
✅ आप कहां रहते हैं ? कहां टहलते हैं ? किससे बात करते हैं ? कितनी देर बात करते हैं ? किस वक़्त बात करते हैं ?
✅ आपके दोस्त कौन हैं ? आपके रिश्तेदार कौन हैं ? आप किस-किस को जानते हैं ?
✅ आपका ईमेल क्या है ? आपका मोबाइल नंबर क्या है ?
✅ आप फोन कौन सा चलाते हैं ? SIM कौन सा इस्तेमाल करते हैं ?
✅ आपके बैंक अकाउंट कहां है और कितने हैं ? आप पैसा कहां और कितना खर्च करते हैं ?
✅ आपकी हॉबी क्या हैं ? आपकी सेहत कैसी है ? बीमारी है तो क्या है और कब से है ?
✅ आपकी पॉलिटिक्स में रुचि है कि नहीं ? है तो किसे पसंद करते हैं और किसे नापसंद करते हैं ?
✅ आपका धर्म क्या है ? आपकी आइडियोलॉजी क्या है ? आपने पढ़ाई कहां की है और कब की है ?
✅ आपकी फैमिली में कौन-कौन हैं ? बच्चे हैं कि नहीं ? हैं तो कितने साल के हैं ? स्कूल कहां जाते हैं ?
✅ और ये सब तो सिर्फ़ एक नमूना भर है ?
आपकी असल जानकारी कितनी है और उसका इस्तेमाल करके आपके बारे में और कितना कुछ जाना जा सकता है ?
इसका तो अंदाजा भी ठीक से नहीं लगाया जा सकता है, मगर फ़िर भी ऐटिट्यूड वही है, ये सब जानकर फ़ेसबुक या कोई और ऑनलाइन प्लैट्फॉर्म कर क्या लेगा ?
✅ क्या कर लेगा उस पर भी आएंगे, मगर उससे पहले कुछ और बात
अगर आम ज़िंदगी में प्राइवेसी की तरह डिजिटल प्राइवेसी जरूरी नहीं है तो फ़िर हर किसी के सोशल मीडिया अकाउंट, बैंकिंग ऐप्स, ईमेल पर पासवर्ड लॉक क्यों लगा होता है ?
ज़्यादातर स्मार्टफोन यूजर्स के डिवाइस पर फोन लॉक क्यों लगा होता है ?
अब सोचिए कि अगर आपका इतना सारा डेटा सरकार के पास हो तब क्या-क्या हो सकता है ? और अगर ये डेटा लीक होकर गलत हाथों में पहुंच गया तब ?
डेटा चाहे अमीर इंसान का हो या गरीब इंसान का, दोनों ही केस में बराबर इम्पॉर्टेन्स रखता है. ये पावर डिसाइड करता है. आपका डेटा आपके पास है तो पावर आपके पास है, दूसरे के पास है तो पावर उसके पास है. इस डेटा के इस्तेमाल होने के अनगिनत रास्ते है
पिछले कई महीनों से हिंदुस्तान की जनता और जागरूक लोग महसूस कर रहे होंगे कि किस प्रकार से एफडीआई के निवेश के माध्यम से हिंदुस्तान में अपनी दस्तक दे चुकी है विदेशी कंपनियां अपने टर्नओवर और अपनी फंडिंग की ताकत पर हिंदुस्तान की यथास्थिति को अपनी तरफ मोड़ने का असफल प्रयास करती नजर आ रही है विदेशी ताकतों के सहारे पर हिंदुस्तान की राजनीति को अपने पक्ष के करने में तथा हिंदुस्तान के अंदर राजनीतिक स्थिरता को अस्थिर करने में भी इन विदेशी कंपनियों में रोज रोज नए नए हथकंडे अपनाए जा रहे हैं संयुक्त राष्ट्र के तहत आने वाले कानूनों के मध्य नजर हिंदुस्तान में एफडीआई निवेश की पात्रता को पूरी करके 1 तरीके से आधुनिक युग का सहारा लेकर हिंदुस्तान की ही जनता को एक बार फिर विदेशी ताकतों के सहारे गुलाम बनाने का प्रयास इन विदेशी कंपनियों द्वारा किया जा रहा है Apple, Amazon, Google, Facebook, Microsoft, Netflix & Twitter इन सभी कंपनियों ने यही प्रयास किया है हिंदुस्तान की जनता को सबसे पहले डाटा के नाम पर कमजोर बनाया जाए हिंदुस्तान की जनता की जरूरत और उसकी खामियों का पता लगाया जाए सर्वे के नाम पर अलग अलग तरीके से डाटा प्राइवेसी को कमजोर करने का प्रयास निरंतर इन कंपनियों द्वारा किया गया सूचना व प्रसारण मंत्रालय के द्वारा ऐसी किसी भी गाइडलाइन को इन्होंने अप्रूव नहीं होने दिया जिसके माध्यम से इनके कार्य में रुकावट आए भारत सरकार का कानून मंत्रालय भी इनकी शर्तों पर लगाम लगाने में कुछ हद तक असफल रहा…
डेटा सुरक्षा व गोपनीयता के नाम पर आप देखेंगे कि हिंदुस्तान के अंदर खूब सारे लेखकों ने खूब सारे राजनीतिक व कानूनी सलाहकारों ने भारत के अलग-अलग क्षेत्रों से सरकार को सचेत करने के लिए भलीभांति प्रयास किए तथा निरंतर जारी है बावजूद उसके लगातार फेसबुक, व्हाट्सएप तथा ट्विटर इन तीनों कंपनियों ने हिंदुस्तान के करोड़ों अरबों लोगों के डाटा जिससे उसके निजी जीवन उसके बैंकिंग व्यवहार उसके खान पान रहन सहन और अन्य प्रकार की सभी सूचनाओं को गोपनीयता की श्रेणी से बाहर रखा और अगर जरूरत पड़ी तो उस डाटा को विदेशी कंपनियों को बेचने में भी इन कंपनियों ने कोई कसर नहीं छोड़ी यह कहीं ना कहीं इस बात का एहसास कराती है हिंदुस्तान की जनता की निजी जिंदगी कितनी सुरक्षित है ?
गूगल नेटफ्लिक्स और माइक्रोसॉफ्ट ने भी हिंदुस्तान से डाटा उठाकर वापस हिंदुस्तान को ही बेचने में कोई कमी नहीं छोड़ी गूगल के कारनामे आप सबके सामने हैं गूगल कभी हिंदुस्तान के नक्शे से कश्मीर को अलग करता है कभी हिंदुस्तान के नक्शे से लद्दाख को अलग करता है तो कभी हिंदुस्तान के नक्शे से चाइना की जमीन को काफी हद तक हिंदुस्तान के अंदर बताता है इस प्रकार की गूगल की गुस्ताखी इस बात की ओर संकेत दे रही है कि यह कंपनियां अपनी विदेशी ताकतों के सहारे किस प्रकार से हिंदुस्तान की कानून और जनता के साथ मजाक करने का प्रयास कर रही है आज गूगल का जो जाल हिंदुस्तान की व्यवस्था पर हिंदुस्तान की जनता पर फैला हुआ है उससे कहीं ना कहीं यह लग रहा है कि अगर गूगल ने किसी प्रकार से हमारे डाटा लीक कर दिए तो निश्चित रूप से हमारे जीवन में किसी भी प्रकार की प्राइवेसी नाम की कोई जगह रहेगी ही नहीं नेटफ्लिक्स के माध्यम से आज युवा हिंदुस्तान को हिंदुस्तान की ही विरासत से किस प्रकार से अलग किया जा रहा है यह किसी से परे नहीं है तकनीक के सहारे हिंदुस्तान की विरासत हिंदुस्तान के इतिहास और हिंदुस्तान जिंक संस्कारों के लिए जाना जाता रहा है उस आर्यव्रत को चोट पहुंचाने के लिए इन विदेशी कंपनियों ने बहुत कुछ प्रयास किए
अब सवाल यह उठता है किस विकासशील हिंदुस्तान का सपना देखने वाले हमारे वर्तमान के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा दिया गया नारा आत्मनिर्भर बनो यह किस हद तक लोगों को प्रेरित कर रहा है क्या वाकई प्रधानमंत्री जी की बात के ऊपर हिंदुस्तान की जनता या सरकार के नुमाइंदे या यूं कहें तो भारतीय जनता पार्टी के लोग वास्तव में अमल कर रहे हैं इसके ऊपर थोड़ा सा सवालिया निशान इसलिए उठता है की 3 दिन पहले मैंने देखा कि ट्विटर जिस प्रकार से विदेशों के साथ-साथ हिंदुस्तान में भी पिछले दिनों में कुछ बदमाशियां ट्विटर के माध्यम से की गई फिर वह भले ही देश के गृहमंत्री अमित शाह जी की फोटो को उनकी प्रोफाइल से हटा देना हो या फिर हिंदुस्तान की वर्तमान सरकार के खिलाफ में जो वामपंथी नकारात्मक शक्तियां काम कर रही है उनको प्रमोट करने में ट्विटर का जो हाथ रहा है वह किसी से छुपा हुआ नहीं है ट्विटर ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का भला भला दुरुपयोग करते हुए वह तमाम काटते जो वर्तमान सरकार के खिलाफ कार्य कर रही है वह तमाम कोशिश है जो हिंदुस्तान को बदनाम करने का प्रयास कर रही है उन सब कोशिशों की आग को हवा देने का कार्य ट्विटर ने किया है और जब सौ टका स्वदेशी तोड़ या यूं कहें तो इसका एक तैयार किया गया किसी हिंदुस्तानी द्वारा जिसका नाम दिया गया टूटर, जिसे डवलप किया गया एक हिंदुस्तानी द्वारा जिसे चलाया जा रहा है एक हिंदुस्तानी कंपनी के द्वारा और उसी गति और उसी थीम से चलाया जा रहा है जिस थीम से ट्विटर चल रहा है फर्क इतना है कि इसे चलाने वाले लोग वर्तमान हिंदुस्तान की सरकार की विचारधारा से कार्य कर रहे हैं इस प्लेटफार्म पर वामपंथियों और लेफ़्टिस्ट को आना मना नहीं है लेकिन वह किसी सोच को अगर इस प्लेटफार्म के माध्यम से प्रवाहित करना चाहे तो वह भी संभव नहीं है क्योंकि यह प्लेटफार्म ट्विटर की तरह किसी भी प्रकार से ऐसी किसी ताकतों को प्रमोट करने का कार्य नहीं करता है बावजूद उसके 3 दिन पहले बीजेपी के राष्ट्रीय आईटी हेड अमित मालवीय ने साफ साफ शब्दों में इस स्वदेशी प्लेटफार्म टूटर को नीचे गिराने का सीधा सीधा वार अपने पद पर बैठकर कर दिया इसकी कार्यशैली और उसकी सोच को जाने बगैर सीधा सीधा हमला इस बात को प्रदर्शित कर रहा था कि कहीं ना कहीं चोट सही जगह लगी है कहीं ना कहीं भारतीय जनता पार्टी के अंदर बैठे हुए लोग भी नहीं चाहते हैं कि ट्विटर का कोई विकल्प हिंदुस्तान के किसी व्यक्ति द्वारा खड़ा किया जाए या यूं कह दे कि कहीं ना कहीं ऐसे लोगों को हिंदुस्तानी इस स्वदेशी प्लेटफार्म का भविष्य नजर आ गया कि अगर यह प्लेटफार्म खड़ा हो जाता है तो आने वाले निकट भविष्य में ट्विटर को हिंदुस्तान से बोरिया बिस्तर बांध कर वापस जाना पड़ेगा इस बात को अपने दिल पर लेते हुए आईटी हेड के बाद कुछ चर्चित भारतीय जनता पार्टी में अलग-अलग पदों पर बैठे हैं (पुनीत अग्रवाल, नूपुर शर्मा, तेजिंदर बग्गा) उन्होंने भी टूटर पर हमले जारी रखें किसी ने भी यह जानने का प्रयास नहीं किया किस प्लेटफार्म को चलाने वाले व्यक्ति की विचारधारा क्या है क्या चाहता है छोटी मोटी बातों को बतंगड़ बना कर प्रस्तुत किया गया नुकसान इस प्लेटफार्म टूटर को नहीं हुआ लेकिन इस वाक़िए के माध्यम से ऐसे लोगों की सोच उजागर हो गई कि वास्तव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के आत्मनिर्भर के नारे के प्रति यह लोग कितने आत्मनिर्भर हैं
Apple, Amazon, Google, Facebook, Microsoft, Netflix & Twitter – Big Tech combined market cap is 8 Trillion $ (more than double the size of India’s national GDP)
Plus, they have 502 Billion $ hard cash (equal to India’s foreign exchange reserves)
And, they can act coordinate!
एप्पल अमेजॉन गूगल माइक्रोसॉफ्ट नेटफ्लिक्स और ट्विटर इनकी मार्केट कैपिटल आज की डेट में 8 ट्रिलियन डॉलर है जो कि करीबन करीबन भारत की जीडीपी से डबल है तथा इसके साथ-साथ 502 billion-dollar नगद इन कंपनियों के पास है जोकि करीबन करीबन हिंदुस्तान के विदेशी भंडार के बराबर की रकम है अब आप कल्पना करिए कि जितनी हिंदुस्तान की विदेशी भंडारण की पूंजी है उसके जितना नगद इन कंपनियों के पास है इसके अलावा जितनी हिंदुस्तान की जीडीपी है उसके डबल इन सारी कंपनियों की मार्केट कैपिटल है अगर निकट भविष्य में भारत के आत्मनिर्भर के फार्मूले से भारत के डिजिटल करने के रास्ते के विकल्प अगर खड़े नहीं किए गए तो बहुत जल्द हम तकनीकी एक नई गुलामी के बीच में फस जाएंगे ना केवल हमारे डाटा असुरक्षित रहेंगे बल्कि हमारा उठना बैठना खाना-पीना और एक अलग प्रकार की गुलामी के बीच हम जी रहे होंगे विदेशी कंपनियां किसी भी सूरत में हिंदुस्तान का भला नहीं सोच सकती क्योंकि वह केवल और केवल यहां व्यवसाय की दृष्टि से हिंदुस्तान में आई है इस स्थिति में हिंदुस्तान से अगर कोई स्वदेशी के नाम से हमारी अपनी पत्नी के माध्यम से हिंदुस्तान के लोगों को सुविधा मुहैया करवाता है तो बजाए उसके ऊपर हमला करने के हमें उसके द्वारा किसी भी प्रकार की की जा रही गलती को सुधार करके हमारे अपने लोगों के सामने प्रस्तुत करना चाहिए लेकिन पिछले दिनों से मैं देख रहा हूं कि चंद लोग ना जाने किस कुंठित मानसिकता से ग्रसित हैं लेकिन कहीं ना कहीं उनकी तड़प इस बात की और हमें आश्वस्त कर रही है कि यह रास्ता बिल्कुल सही है डगर मुश्किल जरूर हो सकती है लेकिन एक दिन सफलता जरुर मिलेगी यह कहीं ना कहीं प्रतीत हो रहा है
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