ऐसा लगता है जैसे मुगलों ने ये सोच रखा है कि कोई भी नियम कानून हो वे उसे ताक पर रख कर ,उसे तोड़ कर अपनी जहालत बार बार साबित करेंगे फिर चाहे उस कानून से उनकी स्थिति और सेहत पर कोई फर्क पड़ता हो या न पड़ता हो।

इसका उदाहरण पूरे देश ने तब देख लिया जब , नागरिकता संशोधन कानून में किसी भी भारतीय मुग़ल का कोई सम्बन्ध नहीं होने के बावजूद किस तरह से महीनों तक देश के कोने कोने हिंसा और दंगा फसाद का नंगा नाच किया गया।

नागरिकता संशोधन कानून तो फिर भी थोड़ा सा कानूनी मसला होने के कारण उसके नहीं समझ में आने की बात समझी जा सकती है लेकिन अगर कोई कहे कि , कोरोना महामारी से बचने के लिए सबसे अनिवार्य मास्क को भी ये कह कर पहनने से इंकार करना कि , मैं मास्क नहीं लगाता। इतना ही नहीं इस बात पर पुलिसकर्मियों द्वारा रोकने टोकने पर उल्टा पुलिस वालों के साथ ही मारपीट पर उतारू हो जाए तो ऐसी जहालत पर कोई अफ़सोस के अलावा और क्या कर सकता है।

मामला पूर्वी दिल्ली के मुग़ल बाहुल्य बस्ती सीलमपुर का है जहां रेहान नाम के एक युवक ने मास्क न पहने जाने को लेकर पुलिस वालों के साथ जम कर हाथापाई और मारपीट की। थक हार कर पुलिस वालों को उसे गिरफ्तार कर ढंग से मिजाजपुर्शी करनी पड़ी।

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