भारतीय सेना में भर्ती की अग्निपथ स्कीम को लेकर देश के कई राज्यों में बवाल बढ़ता जा रहा है लेकिन उपद्रवियों का सबसे ज्यादा तांडव बिहार में दिख रहा है जहां शुक्रवार को तीसरे दिन भी बवाल जारी है .

शुक्रवार सुबह से ही प्रदर्शनकारियों ने बिहार के समस्तीपुर और लखीसराय में ट्रेन में आग लगा दी. भीड़ ने कई ट्रेनों के AC कोच को आग के हवाले कर दिया. जम्मूतवी गुवाहाटी एक्सप्रेस ट्रेन की कुछ बोगियों को प्रदर्शनकारियों ने आग के हवाले कर दिया गया. जिसमें आगजनी में ट्रेन की दो बोगियां जलकर खाक हो गई हैं. वहीं बिहार की उपमुख्यमंत्री रेणु देवी के बेतिया आवास पर भी प्रद्रर्शनकारियों ने हमला किया है.

ये कहना गलत नहीं होगा कि भारत सरकार की अग्निपथ योजना को अपने ही देश में अग्निपरीक्षा देनी पड़ रही है. सबसे दुखद और विडंबना यही है कि प्रदर्शन करने वाले वही युवा हैं, जो सेना में भर्ती की तैयारी कर रहे हैं, जो देश की रक्षा करने के लिए सेना में जाना चाहते हैं, आज वही युवा अपने देश में आग लगा रहे हैं. सरकारी संपत्ति को स्वाहा कर रहे हैं और पुलिस पर पत्थर बरसा रहे हैं. क्या ऐसे उपद्रवियों से देश सेवा की उम्मीद करना सही है ?

देश के युवाओं को ये गुस्सा और बदले की आग पाकिस्तान और चीन जैसे देशों के लिए बचा कर रखना चाहिए, अपने ही देश के खिलाफ इस गुस्से का क्या मतलब है? सेना अनुशासन और संयम बरतने की जगह है, ऐसे लोग किस तरह की देश सेवा करना चाहते हैं?  ये तो बस सब कुछ जला देने पर अमादा हैं. इनकी ऐसी हरकतों से साफ दिख रहा है कि हमें नौकरियां दे दो, नहीं तो हम सब कुछ जला देंगे !

देश की संपत्ति को आग के हवाले कर देने वाले किसी भी हालत में दया के लायक नहीं हैं. देश में किसी भी मुद्दे का विरोध करने के लिए संवैधानिक और लोकतांत्रिक तरीके हैं। बावजूद इसके हिंसा का रास्ता अपनाया जा रहा है. ये सभी किसी गुंडे से कम नहीं हैं. इसलिए उनकी पहचान होनी चाहिए क्योंकि ऐसे लोग सेना तो क्या किसी भी नौकरी के योग्य नहीं हैं !

 

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