ग्रीटा द्वारा लीक हुए दस्तावेजों की मानें तो भारत मे शुरू हुआ किसानों का आंदोलन कोई आम आंदोलन नही बल्कि एक पूरी की पूरी मुहिम है, संदेह तो तभी हो गया था, जब किसानों के मंच से योगेंद्र यादव, स्वरा भास्कर और खालिस्तानियों के पालतू कुत्ते भौंक रहे थे, पर ये षड्यंत्र इतना बड़ा और भयानक होगा इसकी कल्पना किसी को नही थी, अब लगता है कि 26 जनवरी को दिल्ली में जो कुछ भी हुआ वो कितना बुरा और बड़ा हो सकता था, भगवान की कृपा और अपने वीर पुलिस और सेना के जवानों का पराक्रम ही समझिए जो उस दिन षड्यंत्रकारी वो नही कर पाए जो वो करना चाहते थे।

आप सोचिए कनाडा के प्रधानमंत्री से लेकर रिहाना और मियां खलीफा जैसी पोर्न स्टार ट्वीट कर इस मुद्दे का समर्थन कर रही हैं जिसके विषय मे उन्हें कुछ भी नही पता होगा, 26 जनवरी के दंगों की कवरेज पाकिस्तान मीडिया और चीनी मीडिया प्रमुखता से क्यों कर रहे थे ये भी अब समझ आने लगा है। राहुल गांधी की ताबड़तोड़ विदेश यात्राओं का रहस्य भी अब समझ आता है।

दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने अभी जब मैं ये ब्लॉग लिख रहा हूँ उस से कुछ समय पहले आदेश जारी किया है कि सभी DTC बसें जो जवानों और पुलिस के आवागमन के लिए रिजर्व रखी गई थीं वो दिल्ली सरकार के आदेशानुसार तुरंत डिपो पहुंचें, DTC की यूनियन ने इसका लिखित विरोध भी किया है। दिल्ली की ये अराजक सरकार अब अपने असली रूप में पूरी तरह आ चुकी है, ये विदेशी टुकड़ों पर पलने वाले कुत्ते देश तोड़ने का स्वप्न देख रहे हैं।

ये बात अब समझने में कोई दिक्कत नही की ये आत्मनिर्भर होते भारत का विरोध है कोई किसान आंदोलन नहीं, दुनिया को अपनी बपौती मानने वाले देश ये समझ गए हैं कि भारत जिस राह पर चल पड़ा है उसे अब विश्व का सिरमौर बनने से कोई रोक नही सकता, ये षड्यंत्र इसी बौखलाहट और घबराहट का प्रमाण है, एक प्रयास लाल बहादुर शास्त्री जी ने भी किया था जिसकी कीमत उन्हें ताशकंद में जान देकर चुकानी पड़ी, वही साज़िशों का सिलसिला एक बार पुनः चल पड़ा है, आइये हम सब एकजुट होकर अपने सरकार के साथ खड़े हों और इन विदेशी ताकतों को बताये की उनकी क्या औकात है।

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