हमे भारत मे सिखाया जाता है की Speed of Light को दुनिया मे सबसे पहले Ole Roemer ने बताया पर ये नही सिखाया जाता है की ऋग्वेद के 1.50.4 मे Speed of Light का वर्णन किया है जिसे आचार्य सायना (1315-1387) ने बडे ही आसन शब्द मे बताया था । दुःख की बात तो ये है कि हम अपने ही प्राचीन भारत के ज्ञान को तवज्जो नही दे रहे है ।

आज हम ही भारतीय अपनी महान सिद्धांत को मान नही रहे है वो जो ओढ हम मे लगी है पश्चिम देशो से तुलना करणे की इसी वजह से हम और अपने आप को कमकुवत बनाते जा रहे है ।

हमे सिखाया जाता है Wright Brothers ने Aerodynamics का शोध लगाके पहला plane उडाया पर ये क्यू नही पढाया जाता है की हजारो साल पहले रामायण मे विमान के बारे मे बताया गया है और महर्षी भारद्वाज ने विमान कई साल पहले Aerodynamic का शोध लगाया था और लिखा था हवाई जहाज एक देश से दूसरे देश और पृथ्वी से अन्य ग्रहों और पीछे भी जा सकते हैं। और शिवाकर बापूजी तळपदे ने विमान शाष्ट्रा के बारे मे ब्रिटिश राज मे बताया था पर दुःख की बात यह है की भारत के ही लोक अपने इस बात का मजाक उडाते है।

प्राचीन भारत विज्ञान मे कितना आगे था ये इस बात से समज आता है की आज भी रुद्राक्ष माला मे 108 रुद्राक्ष बीडस होते है जो भारतवर्ष मे ऋषी मुनी के माला मे भी 108 रुद्राक्ष होते थे इनको बडा ही पवित्र माना गया है अगर हम अगर देखे तो सूर्य का Diameter पृथ्वी के diameter से 108 गुना बडा है और पृथ्वी और सूर्य की दुरी सूर्य के diameter से 108 गुना ज्यादा है इतनी सटीक जाणकारी वो जमाने मे ऋषी मुनी को ज्ञात थी । सच मे ये बात अविश्वसनीय है। इसला मतलब हम कितने महान धर्म से आते है इसका ये एक उदाहरण है ।

इसके  पिछे और कई कारण है जैसे वैदिक ज्योतिष्य शास्त्र मे हर नक्षत्र मे 4 पाढा होते है और कुल 27 नक्षत्र होते है ऐसे 27*4 किये तो बराबर 108 आते है । प्राचीन भारत मे ज्योतिष्य शास्त्र को ज्यादा महत्व था ज्योतिष  शास्त्र ग्रह तारे की स्तिथी का आकलन लगाया जाता था । इस माला के 109 वे रुद्राक्ष को गुरु कहते है जो आकार मे बडा होता है । ब्रह्मांडीय चक्र हमारे ब्रह्मांड को नियंत्रित करते हैं।

दुसरे सभी धर्म के स्थापना और उनके पवित्र ग्रंथ के लिखने का एक तय समय पता है जैसे बौद्ध धर्म की स्थापना 500 BCE समय हुई थी। कुराण को 1200 साल पहले लिखा गया था पर अभी तक कोई वेद की आयु नही बता पाया है की कितने साल पहले उन्हे लिखा गया है संभवत है की 7000 साल पहले  वेद लिखा गया हो । हम यही सूनते आये है की ऋषी मुनी ने मौखिक रूप से अपने शिष्य को वेद प्रदान किये थे और बाद मे कई साल बाद इन्हें लिखा गया है ।

प्राचीन भारत मे ऋषी मुनी ज्योतिष्य विद्या मे निपुण थे। वेद   मे भी ग्रह तारे और उनके होणे वाले असर के बारे मे बताया गया है हमारी वेदिक ज्योतिष चंद्र पर आधारित है और पश्चिम देशो की ज्योतिष कला सूर्य पर आधारित है । चंद्र पृथ्वी के पास है इसलीये वैदिक ज्योतिष पश्चिम ज्योतिष कला से कई गुना सटीक है । सूर्य पृथ्वी से चंद्र से ज्यादा दूर है इसलीये ग्रह तारे के बारे मे सटीक जाणकारी पाना मुश्किल है। दुनिया मे ग्रह तारे के स्तिथी बस कुछ साल पहले ही वैज्ञानिक ने लगाया था पर वेद मे ये सब पहले से लिखा हुआ था।

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