ग्वालियर, जेएनएन। रास्ते में कचरा बीनता भिखारी एक समय का अचूक निशानेबाज और सब इंस्पेक्टर निकलेगा, यह अंदाजा भी नहीं था। 10 नवंबर की रात गश्त पर निकले डीएसपी रत्नेश तोमर और विजय भदौरिया कचरा बीनते भिखारी के पास रुके तो दंग रह गए। वह भिखारी उनका ही बैचमेट एसआइ मनीष मिश्रा था, जो मानसिक संतुलन खोने के कारण इस हाल में पहुंच गया।

भिखारी ने अचानक डीएसपी विजय भदौरिया को आवाज दी और नाम से पुकारा, तब जाकर यह मामला खुला। मनीष को सामाजिक संस्था के आश्रय स्थल स्वर्ग सदन भिजवाया गया है, जहां उसकी देखरेख की जा रही है। मनीष के भाई उमेश मिश्रा निरीक्षक हैं। पिता व चाचा एएसपी पद से रिटायर हुए हैं। परिवार के अन्य सदस्य भी ऊंचे पदों पर हैं। पत्नी से तलाक हो चुका है।

1999 बैच के सब इंस्पेक्टर हैं मनीष

मनीष मिश्रा 1999 बैच के सब इंस्पेक्टर रहे हैं। 2005 तक मनीष नौकरी में रहे और आखिरी समय तक दतिया जिले में पदस्थ थे। इसके बाद मानसिक स्थिति बिगड़ गई और पांच साल तक घर में ही रहे। फिर वे घर से निकल गए। इलाज के लिए जिन सेंटरों व आश्रय स्थलों में रहे, वहां से भी भाग गए। परिवार को भी वर्तमान में पता नहीं था कि मनीषष मिश्रा अब कहां रह रहे थे। उनकी तलाकशुदा पत्नी न्यायिक सेवा में हैं और चचेरी बहन दूतावास में पदस्थ है।

अमूमन ऐसे मामले आजकल आपके आसपास देखने को मिल जाएंगे, कई बार जब इस तरह के मामलों को नजदीक से देखने की कोशिश की तो पाया कि अक्सर प्यार में धोखाधड़ी, व्यापार में असफलता, अपनों से विश्वासघात, निजी जीवन में असफलता जैसे मामले ज्यादा देखने को मिलते है और फिर एक कहानी एक नया रूप लेती है कभी कभी ऐसे मामलों में अपने आसपास के निजी लोगो द्वारा अनदेखी भी ऐसी घटनाओं को अंजाम देती है

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