जावेद जाफरी : नाम, पैसा, इज्जत, पहचान सब एक तरफ, लेकिन दिल में काफिरों के लिए जहर और नफरत

नाम, पैसा, इज्जत, पहचान सब एक तरफ, लेकिन दिल में काफिरों के लिए जहर और नफरत, ये है जावेद जाफरी का असली चेहरा। वैसे तो जावेद जाफरी अपना ये कट्टर इस्लामिक जेहादी चेहरा कई बार दिखा चुके हैं लेकिन इस बार तो इस्लाम के नाम पर खुलकर हिंसा, कत्ल, दंगो और आगजनी के पक्ष में खड़े हो गए हैं।
दुनिया के सबसे शांत देशों में से एक स्वीडन आजकल हिंसा में झुलस रहा है। स्वीडन के माल्मो शहर में कुरान जलाए जाने की खबर फैलने के साथ ही मुस्लिम उपद्रवियों ने यहां दंगों को अंजाम दिया। सैकड़ों की संख्या में कट्टर मुस्लिमों की भीड़ सड़कों पर उतर गई। अल्लाह-हू- अकबर के नारों के साथ जगह-जगह आगजनी और तोड़फोड़ की गई। दंगे के पीछे सीरिया और इराक जैसे देशों से आए वो शरणार्थी बताए जा रहे हैं जिन्हें स्वीडन की सरकार ने कुछ साल पहले मानवता के आधार पर अपने देश में शरण दी। स्वीडन ने जिन्हें शरण दी उन्होंने ही शहर को आग के हवाले कर दिया।
इन उपद्रवी मुसलमानों ने स्वीडन में भी बेंगलुरु जैसी हिंसा को अंजाम दिया। लेकिन ताज्जुब की बात तो यह है कि कई पढ़े-लिखे लोग और कलाकार इस हिंसा कि वकालत कर रहे हैं। बॉलीवुड अभिनेता जावेद जाफरी ने कुरान के नाम पर दंगों का पक्ष लेते हुए ट्वीट किया कि यह तस्वीरें देखने के बाद हम अमेरिका की नागरिकता लेने पर विचार कर रहे हैं। हर तरह की हिंसा ( ना कि विरोध) निंदनीय है। लेकिन आपने हिंसा के कारण का उल्लेख क्यों नहीं किया? हैरानी की बात है कि आप वजह को भूल गए।
जावेद जाफरी कारण पर जोर देकर दंगे को सही ठहराने की कोशिश कर रहे हैं। मुस्लिम शरणार्थियों के आने के बाद जिस स्वीडन में पहले अपराध नहीं होते थे, अब वहां लगातार रेप, लूटमार और हत्याएं होने लगी हैं। स्वीडन में बढ़ते इस्लामीकरण के विरोध में स्थानीय लोगों ने पिछले सप्ताह एक कार्यक्रम का आयोजन किया। जिसमें कुरान जलाए जाने की खबर फैलते ही मुस्लिम दंगाइयों ने शहर को जमकर तोड़फोड़ और आगजनी की। अब जावेद जाफरी इसे कुरान जलाने का कारण बताकर सही ठहराना चाहते हैं। जावेद ने एक ट्वीट के जवाब में स्वीडन दंगों की खुलकर वकालत की
actually we were thinking of taking US citizenship after watching these pics.
— Jaaved Jaaferi (@jaavedjaaferi) August 31, 2020
All violence (not protests) is condemnable.
Btw why didn’t you mention the cause of the violence ??? I wonder..just in case you missed it :https://t.co/yrKuz0xW0B pic.twitter.com/oPy80XJxNm
शब्दों के साथ खेलते हुए जावेद जाफ़री ने स्वीडन में हुई हिंसा का समर्थन किया। जिस वजह के उल्लेख पर जाफरी साब ने जोर दिया, एक बार वो वजह भी जान लिया जाए। वजह है – मुस्लिम भीड़ ने स्वीडन के दक्षिणपंथियों द्वारा ‘कुरान जलाओ रैली’ आयोजित करने के विरोध में दंगों को अंजाम दिया। मतलब जाफरी साब ने क्रिया की प्रतिक्रिया पर बल दिया। क्रिया की प्रतिक्रिया कानूनी रूप से हो, इस पर से ध्यान हटा दिया।
दंगों के दौरान कट्टर इस्लामी भीड़ ने पुलिस पर पत्थर चलाए, सार्वजनिक और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुँचाया। इसमें कई निर्दोष लोग घायल हुए। इन सारी बातों को जानने और समझने के बावजूद जावेद जाफ़री स्वीडन में हुई हिंसा की वजह तलाश रहे हैं। इसके अलावा जावेद जाफ़री ने विरोध प्रदर्शन की सूरत में हुई हिंसा का पक्ष भी लिया। जिससे सिर्फ कुछ ही देर में स्वीडन के मोल्मो शहर का बुनियादी ढाँचा ही बिगड़ गया।
सवाल ये कि अगर जावेद जाफरी जैसा आदमी दिल में इतना जहर लेकर घूम रहा है तो इसका इलाज क्या है? जिन लोगों को एक हिन्दू बहुल देश में नाम, पहचान, इज्जत, पैसा सब मिला, वो भी इस्लाम के नाम पर हिंसा के साथ खुलकर खड़े हैं। ऐसे जाफ़रियों पर भरोसा कैसे किया जाये?
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