संसद की लॉन, घर से मंगाए गद्दे, तकिये, पंखे, बिसलेरी की बोतलें, ऑडोमास के बावजूद एक रात में सारी क्रांति हवा हो गयी

सुबह होते होते क्रांति का हौसला टूट चुका था माननीयों का, अपने अपने पार्टी आलाकमान से घर जाने दो, यहां और नहीं रुक सकते, गर्मी में मर जायेंगे की गुहार लगाने लगे थे कुछ सांसद

पहले संसद में गुंडागर्दी और बाद में नाखून कटवा कर शहीद बनने की कोशिश में खुद की बेइज्जती करवा कर भागना पड़ा संजय सिंह और उन आठो सांसदों को जो रात को डिनर के बाद और सुबह ब्रेकफास्ट से पहले तक के क्रांतिकारी धरने के हिस्सा थे

ये वो ही आठो सांसद थे जिन्हें बदतमीजी, संसद का अपमान, उपसभापति पर हमले की कोशिश, संसद के मार्शलों से मारपीट और गाली गलौच करने के कारण संसद से निलंबित किया गया हैं

पर मर्यादा की सारी सीमाएं तोड़ते हुए इन सांसदों ने कहा कि हम संसद में ही रुकेंगे। उल्लेखनीय है कि कल रात संसद वैसे भी लगभग 12 बजे तक काम ही कर रही थी। लोकसभा का सत्र रोज देर रात तक चल रहा हैं।

जब सांसदों को आने आलाकमान से आदेश आया कि संसद में ही रुको तब तक ये आठो सांसद बंगाली मार्केट से मंगवा कर डिनर कर चुके थे और सुस्ता रह थे। तुरंत इनके घरो से गद्दे , तकिये, पंखे, औडोमास आदि मंगवाया गया। संसद के अधिकारियों की तरफ से भी विशेष पंखे, चाय कॉफी और चादरों की व्यवस्था की गई।

ये तमाशा सुबह होते होते फ्लॉप हो गया। अभी धूप आनी शुरू ही हुई थी कि सांसदों की सांसें फूलने लगी। किसी माननीय को पसीने आने लगे, किसी माननीय को चक्कर जैसा लगने लगा।

सुबह 9 बजे तक अपनी अपनी एसी गाड़ियों में बैठ चुके थे संजय सिंह जैसे नकली क्रांतिकारी

बस आलाकमान के आदेश का इंतजार था। जैसे ही आदेश आया, सभी माननीय सीधा भागकर अपने सरकारी बंगलों में जा छिपे।

सुबह जब तक खेतों में किसानों ने हल उठाया तब तक किसानो के नाम पर क्रांति करने वाले सांसद भागकर एसी कमरों में बंद हो चुके थे

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