झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार पूरी तरह से राज्य के सरकारी स्कूलों का राजनीतिकरण करने में जुट गई है. कुछ दिनों पहले ही राज्य के तकरीबन 35 हजार से ज्यादा सरकारी स्कूलों को हरे रंग में रंगने का आदेश और अब झारखंड मुक्ति मोर्चा के संरक्षक, राज्यसभा सांसद और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन को किताबी ज्ञान का हिस्सा बनाने की तैयारी में हैं. यानि दिशोम गुरु के नाम से जाने जाने वाले शिबू सोरेन के बारे में स्कूली छात्र अपनी किताब में पढ़ पाएंगे .
एक तरफ JMM की सहयोगी पार्टी कांग्रेस इसका समर्थन कर रही है तो बीजेपी ने इसपर विरोध जताया है . मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक दो दिन पहले राज्य के शिक्षा मंत्री, JMM नेता जगरनाथ महतो ने बोकारो की यात्रा के दौरान शिबू सोरेन और अन्य ‘झारखंड मुक्ति आंदोलन’ के नेताओं-विनोद बिहार महतो और सुनील महतो को स्कूल के सिलेबस में शामिल करने की घोषणा की थी . उन्होंने कहा कि साल 2000 में झारखंड के अलग राज्य बनने के बाद से किसी भी सरकार ने कोई काम नहीं किया। हमारे छात्रों को राज्य के आंदोलन और उन लोगों के बारे में बताना बेहद जरुरी है जिन्होंने राज्य के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया था।
दरअसल बात बस इतनी भर नहीं है सवाल ये भी है कि क्या शिबू सोरेन पर जो भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं, वो भी सिलेबस में पढ़ाया जाएगा? बीजेपी प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव सोरेन सरकार से पूछा है कि क्या सरकार छात्रों को शिबू सोरेन से जुड़े “भ्रष्टाचार के आरोपों” के बारे में भी बताएगी। उन्होंने कहा कि हम ये स्वीकार करते हैं कि शिबू सोरेन जी ने सभी बाधाओं के खिलाफ झारखंड आंदोलन का नेतृत्व किया, लेकिन एक वास्तविकता ये भी है कि नरसिम्हा राव की सरकार के दौरान 90 के दशक के दौरान जब अलग झारखंड के निर्माण का अवसर आया तब शिबू सोरेन पर कांग्रेस से पैसे लेने के बाद चुप रहने के आरोप लगे थे।” बीजेपी प्रवक्ता ने यह भी कहा कि शिबू सोरेन पर संसद में वोट देने लिए के लिए नोट लेने का भी आरोप है। ऐसे में हमारे बच्चों को क्या इसकी जानकारी भी दी जाएगी?”
भ्रष्टचार के आरोपों से घिरी हेमंत सोरेन सरकार अब खुद अपने परिवार को किताबों में जबरदस्ती घुसा रही है, सोरेन परिवार का इतिहास कितना साफ़ रहा है ये किसी से छिपा नहीं है. तो ऐसी हालत में सोरेन परिवार का ‘काला इतिहास’ पढ़ने में भला किसे दिलचस्पी होगी !
वैसे भारतीय राजनीति में अपनी वाह-वाही और डिंगे हांकने में हमारे नेताओं का कोई जवाब नहीं है.
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