दिल्ली के मंगोलपुरी में मुग़ल जेहादियों की पूरी टोली ने घर में घुस कर रिंकू शर्मा नामक एक तरुण की लाठी डंडे से पीटने के बाद उसकी पीठ में छुरा भोंक कर बेरहमी से उसका क़त्ल कर दिया। परिजनों का आरोप है कि मुख्य आरोपी नसीरुद्दीन , जो उसी गली में अपना नाम छिपा कर “लाली” नाम से रह रहा था रिंकू के “राम मंदिर निर्माण सहयोग राशि एकत्र करने ” की मुहिम से चिढ़ा हुआ था और अक्सर इस बात पर उससे झगड़ा करता था।
देश की राजधानी में किसी हिन्दू की सरेआम यूँ निर्मम हत्या करने की ये कोई पहली वारदात नहीं है और न ही शायद ये आखिरी होगी क्यूँकि इस देश में डरे सहमे प्रताड़ित शोषित मुगलों को अपना डर , अपना भय दूर करने के लिए बार ये सब करना ही पड़ता है। और ये करना उनके लिए इसलिए भी जरूरी हो जाता है ताकि , हामिद अंसारी , नसीरुद्दीन शाह और आमिर खान जैसे अबोध , मासूम , निरीह मुगलों को इस देश में रहते हुए जो डर सताता है वो दूर किया जा सके।
24 घंटे बीतने के बाद भी किसी भी समाचार चैनल पर ये खबर कोई स्थान नहीं पा सकी क्यूंकि मृतक एक हिन्दू तरूण था और इस देश में हिन्दू की मॉब लिंचिंग , निर्दयता से उसका क़त्ल कर दिया जाना , काट कर नाली बोरे में फेंक दिया जाना कोई ऐसी बड़ी या अनोखी अनहोनी खबर नहीं है , कभी होती भी नहीं है।
कल्पना करिये सिर्फ एक मिनट को कि ठीक इसके उलट यदि कोई मुग़ल अपने किसी मज़हबी काम को करते हुए ऐसे ही किसी अपराध का शिकार हुआ होता तो अब तक शहर , कस्बे , मुहल्ले और देश को फूँक डालने , दंगे फसाद फैला देने का इन्तक़ामी जेहाद शुरू हो चुका होता।
आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है , देर सवेर उनकी जमानत भी हो ही जाएगी , नहीं तो गवाहों और सबूतों को भी जिबह करने में उनका क़त्ल करने में देर ही कितनी लगेगी ? आरोपियों के उस वहशी झुण्ड में से यदि कोई नाबालिग निकला तो दिल्ली के सड़ जी सीएम साब फट्ट से सिलाई मशीन , रिक्शा ऑटो देकर अपने वोट बैंक भी पक्का कर ही लेंगे।
सब कुछ होगा , यदि नहीं होगा तो अब उस घर में रौशनी नहीं हो पाएगी , घर के चिराग के बुझने के बाद उसके बीमार बूढ़े माँ बाप भी अपनी संतान को अपने सामने यूं क़त्ल होते देखने के दुःख में धीरे धीरे घुल कर अपना जीवन ख़त्म कर लेंगे।
मगर इन सबके बावजूद भी , यदि कुछ नहीं हो पाएगा तो वो ये कि , ये सिलसिला यहाँ ख़त्म नहीं होगा , क्यूंकि हामिद अंसारी , नसीरुद्दीन शाह , आमिर खान , ओवैसी जैसे अमन पसंद , शान्ति पसंद , अहिंसा पसंद डरे हुए लोगों का डर ख़त्म नहीं हो पाएगा। वे अपने आपको असुरक्षित ही महसूस करते रहेंगे -क्या करें अल्पसंख्यक शांतिदूत डरे हुए जो ठहरे।
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