सवाल उठना चाहिए कि सिखों के नरसंहार के 33 साल बाद केस को ओपन किया जा सकता है और उसकी दोबारा जाँच हो सकती है तो 27 साल पहले कश्मीरी पंडितों के साथ हुई हिंसा के केस को खोला जा सकता है और इसकी दोबारा जाँच कराई जा सकती है। दरअसल कश्मीरी पंडितों के साथ जो हुआ यह एक भयानक घटना थी जब कश्मीरी पंडितों के साथ सामूहिक बलात्कार, हत्या, अपहरण ने उन्हें हमेशा के लिए सदमे में धकेल दिया।
‘द कश्मीर फाइल्स (The Kashmir Files)’ फिल्म ने हिंसा और पलायन के शिकार कश्मीरी हिंदुओं का मामला उठाकर मामले को मुख्यधारा के बहस में ला दिया है। अब इस पूरे मामले की जाँच नए सिरे की कराने की माँग की जा रही है।
दिल्ली के वकील विनीत जिंदल ने साल 1990 में हुए कश्मीरी हिंदुओं के नरसंहार की दोबारा जाँच के लिए रामनाथ कोविंद (Ram Nath kovind) के पास याचिका भेजी है। अपनी याचिका में जिंदल ने इस पूरे नरसंहार की जाँच एसआईटी (SIT) कराने की माँग की है।
सुप्रीम कोर्ट में अधिवक्ता जिंदल ने अपनी याचिका में कहा कि उस साल कश्मीर में हिंदुओं का बड़े पैमाने पर नरसंहार हुआ। इस हत्याकांड के बाद केंद्र और राज्य सरकारों ने कश्मीरी पंडितों को न्याय का भरोसा दिया, लेकिन कुछ नहीं हुआ। उन्होंने आगे कहा कि इस नरसंहार को लेकर 215 प्राथमिकी दर्ज की गई थी। इन मामलों की जाँच जम्मू-कश्मीर पुलिस ने की थी, लेकिन वह आतंकवादियों को दंडित करने के लिए कोई उपाय करने में विफल रही।
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