माननीय सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश श्री मार्कण्डेय काटजू द्वारा ब्रिटेन की अदालत में , भारत के आर्थिक और भगोड़े अपराधी घोषित ,नीरव मोदी के पक्ष में बयान देते हुए ऐसी बात कह दी जिसने न सिर्फ भारतीय न्याय व्यवस्था की साख पर प्रश्न चिन्ह लगा दिया है बल्कि भारतीय न्यायपालिका की छवि को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर गहरा आघात लगा है | 

भारत से करोड़ों रूपए का घपला घोटाला करके ब्रिटेन भागा हुआ व्यवसायी अपराधी नीरव मोदी , को भारत वापस लाने के लिए भारत द्वारा ब्रिटेन में चलाई जा रही प्रत्यर्पण की प्रक्रिया में वीडियो कांफ्रेसिंग के ज़रिये अपनी गवाही दर्ज़ कराते हुए पूर्व मुख्य न्यायाधीश मार्कण्डेय काटजू ने सीधे सीधे कहा कि , नीरव मोदी को भारत नहीं भेजा जाना चाहिए क्यूँकि यहाँ उसके विरुद्ध चलाए /चल रहे सारे वादों में निष्पक्ष सुनवाई होने की गुंजाईश नहीं है |

और इसके लिए एक अजीब सा तर्क भी उन्होंने दिया है कि देश के कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा था कि देश के किसी भी अपराधी को , चाहे वो कहीं भी हो ,बख्शा नहीं जाएगा | आखिर एक कानून मंत्री ये नहीं कहेगा तो क्या कहेगा ? देश के सर्वोच्च न्यायिक संस्थान के कभी प्रमुख रह चुके काटजू के इस बयान का कैसा और कितना फर्क पड़ेगा , ये अंदाज़ा लगाना कठिन नहीं हैं | 

मार्कण्डेय काटजू , अपनी सेवा निवृत्ति के बाद से ही अपने ऐसे रुख और उल जलूल बयानों के कारण न सिर्फ चर्चा में बने रहते हैं बल्कि , बार बार भारतीय न्याय व्यवस्था ,अदालतों और न्यायाधीशों तक पर अनर्गल टिप्पणी करके बहुत बार खुद पर कंटेम्प्ट की कार्यवाही झेलने तक की नौबत तक जा पहुँचे हैं | अभी कुछ दिनों पूर्व ही ऐसे ही एक बयान के लिए , उनके विरूद्ध शुरू की ,न्यायिक अवमानना की एक कार्यवाही के बाद उन्होंने क्षमा याचना करके अपनी जान छुड़ाई थी | 

कभी 99 प्रतिशत भारतीयों को मूर्ख बता कर तो कभी पूर्व यौनकर्मी अभिनेत्री सनी लियोनी के पक्ष में बयान देकर , तो कभी और किसी कारण से काटजू , कुछ कुछ दिनों बाद खुद को समाचारों में ले ही आते हैं | ये बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि देश के सर्वोच्च समकक्ष पद पर आसीन रहा व्यक्ति सार्वजनिक रूप से ऐसी बातें न सिर्फ देश ,समाज के लिए /के बीच बोले बल्कि विदेशों तक में भी देश की न्यायिक व्यवस्था का नाम खराब करे | 

वर्तमान में जब सरकार , न सिर्फ पुराने कानूनों को , सामयिक और सटीक करने के लिए , लोक कल्याण और शासन प्रशासन के मार्ग दर्शन के लिए कानूनों में सुधार सहित नए कानूनों के मसौदे , निर्माण आदि में लगी है तो ऐसे में विधिक व्यवस्था , सरकार , प्रशासन और देश समाज को सही सलाह देने , विचार विमर्श करने , शोध ,विकल्प सुझाने की बजाय काटजू जाने किन कारणों से से ऐसा आचरण और विचार प्रकट कर रहे हैं | 

कभी प्रशांत भूषण , कभी ज़फर इस्लाम , तो कभी मार्कण्डेय काटजू , अलग अलग चेहरों और पदों के पीछे बैठे ये ज़िम्मेदार लोग लगातार भारतीय न्यायपालिका पर साजिशन प्रतिकूल तथा अपमानजनक टिप्पणियाँ करके देश के सबसे ज्यादा भरोसेमंद संस्थान को नुकसान पहुंचा कर राष्ट्र और न्याय विरोधी काम कर रहे हैं जो न सिर्फ निंदनीय है बल्कि चिंताजनक भी है | 

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