दिल्ली में कोरोनावायरस कम होने के बाद केजरीवाल सरकार ने धीरे-धीरे सब कुछ खोल दिया है। मगर दिल्ली में केजरीवाल सरकार ने अब तक मंदिर खोलने की अनुमति नहीं दी है ऐसे में केजरीवाल के इस फैसले पर सवालिया निशान खड़े हो रहे हैं। जब दिल्ली में इमामों को 30 हजार रुपए महीना मिल रहा है, तो वहीं दूसरी तरफ पुजारियों-ग्रंथियों को कुछ नहीं मिल रहा है।दिल्ली में सिनेमा, स्पा और सभी सार्वजनिक स्थानों को खोल दिया गया है लेकिन सरकार अपनी हिंदू विरोधी मानसिकता के कारण मंदिरों में श्रद्धालुओं को जाने की इजाजत नहीं दे रही। आगामी त्योहारी सीजन को देखते हुए ऐसा किया जाना बहुत जरूरी है।

दिल्ली में कोरोना के मामले लगातार घटने के बाद सरकार तीन महीने से अनलॉक की इजाजत दे रही है। हर सार्वजनिक स्थल को जनता के लिए खोल दिया गया है लेकिन हैरानी की बात यह है कि अभी तक मंदिरों में श्रद्धालुओं के जाने की अनुमति नहीं दी गई है। पिछले महीने जन्माष्टमी पर भी साफतौर पर कहा गया था कि लोग अपने घरों में ही त्योहार मनाएं। अब अगले सप्ताह से शरद नवरात्र शुरू हो रहे हैं और मंदिरों में जाकर पूजा-अर्चना की जानी है लेकिन दिल्ली सरकार ने अब तक मंदिरों में श्रद्धालुओं के प्रवेश की अनुमति नहीं दे रही।

केजरीवाल सरकार की तरफ से सभी मस्जिदों के इमामों को 30 हजार रुपए महीने की आर्थिक सहायता दी गई। दिल्ली सरकार के सामने पहले भी यह मांग की गई थी और उस समय आश्वासन दिया गया था कि सरकार इस दिशा में सोचेगी लेकिन हैरानी की बात यह है कि दिल्ली सरकार तुष्टिकरण की राजनीति करते हुए पुजारियों और ग्रंथियों के लिए कोई कदम नहीं उठा सकी। यहां तक कि कोरोना काल में जब सभी धार्मिक स्थल बंद रहे तो भी पुजारियों और ग्रंथियों को कोई आर्थिक मदद नहीं दी गई। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल हिंदूविरोधी मानसिकता को त्यागें और संविधान का सम्मान करते हुए सभी धर्मों को बराबर आदर दें।

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