पांच राज्यों में विधानसभा के चुनाव हैं लेकिन दिल्ली के मुख्यमंत्री पंजाब और गोवा के विधानसभा चुनावों में ज्यादा ही दिलचस्पी ले रहे हैं, खास कर पंजाब में तो आम आदमी पार्टी ऐसे चुनाव प्रचार में जुटी है मानो पंजाब में केजारीवाल की पार्टी सालों में एक्टिव है, खैर पंजाब चुनाव में केजरीवाल का चुनावी स्टंट भी दिख रहा है . फ्री-फ्री का नारा लगाने वाली आम आदमी पार्टी अब हिंदुओं को लुभाने में जुटी हुई है .
दरअसल पंजाब चुनाव में धर्मांतरण का मुद्दा इधर कुछ दिनों से ज्यादा गरम है ऐसे में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पंजाब के जालंधर में कहा कि, “धर्म एक निजी मामला है। हर किसी को भगवान की पूजा करने का अधिकार है। धर्म परिवर्तन के खिलाफ कानून जरूर बनाया जाना चाहिए लेकिन किसी को भी इसके जरिए गलत तरीके से परेशान नहीं किया जाना चाहिए। उन्हें डराकर उनका धर्म परिवर्तन करना गलत है।”
पंजाब में एक चरण में 20 फरवरी को मतदान होना है और वोटों की गिनती 10 मार्च को होगी। ऐसे में काफी हद तक ये माना जा रहा है कि केजरीवाल ने भी यह बयान पंजाब के विधानसभा चुनावों में हिंदुओं को लुभाने के लिए दिया है। पंजाब विधानसभा चुनाव को देखते हुए वहां की तमाम सियासी पार्टियां हिंदुओं को अपने पाले में करने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। तभी तो नये नवेले पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी केदारनाथ धाम के दर्शन करने पहुंचे तो अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने धार्मिक स्थलों पर जाकर खूब तस्वीरें खिंचाई और उन्हें सोशल मीडिया पर पोस्ट भी किया. जिससे इन तस्वीरों के जरिये वो जनता को ये दिखा सकें कि पंजाब में हिंदुओं के वो कितने बड़े हितैषी हैं.
ऐसे में भला दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल कैसे पीछ रहते , लगे हाथों उन्होंने भी पहले जालंधर के देवी तालाब मंदिर में दर्शन किये और फिर पंजाब में एक जगराते में शिरकत की . इतना ही नहीं जिन प्रभु श्री राम के लिए कभी भी उन्होंने दो मीठे बोल नहीं बोले उनकी नगरी अयोध्या में भी राम लला के दर्शन करने अरविंद केजरीवाल पहुंच चुके हैं.
दरअसल, मंदिर और भगवान के दर्शन तो इन नेताओं के लिए दिखावा है . असल कहानी तो ये है कि मंदिरों का चक्कर लगाने वाले राजनेताओं की नजर पंजाब में 38.5 फीसदी हिंदू वोटरों पर है, अरविंद केजरीवाल भी इन वोटों के महत्व को बखूबी समझते है. इन 38.5 फ़ीसदी हिंदू वोटरों की खास बात यह है कि यह एक मुट्ठी की तरह हैं, जहां भी जाते हैं पूरी तरह से जाते हैं. आखिर में वहीं पार्टी जीत जाती हैं। पंजाब का सिख समुदाय हमेशा से धर्मांतरण के प्रति संवेदनशील रहा है। वे ना सिर्फ पंजाब में ईसाइयों द्वारा किए जा रहें धर्मांतरण के प्रति संवेदनशील है बल्कि पाकिस्तान में इस्लामिक कट्टरपंथियों द्वारा किए जानेवाले जबरन धर्मांतरण से भी वो परेशान हैं।
वैसे देखा जाए तो न केवल पंजाब , बल्कि केजरीवाल ने यूपी के प्रमुख शहरों जैसे नोएडा, अयोध्या, लखनऊ और आगरा में भी तिरंगा यात्राएं आयोजित करके यूपी में हिंदुओं को अपने पाले में लाने की कोशिश की थी। इतना ही नहीं, कभी राम मंदिर के खिलाफ बोलने वाले केजरीवाल ने अयोध्या में रामलला से मिलने और उनकी पूजा करने की भी इच्छा जताई है। जब यूपी के लोगों ने देखा कि केजरीवाल ने दिल्ली में पटाखों पर प्रतिबंध लगा दिया है और वह केवल अपने राजनीतिक अवसरवाद के लिए राम-भक्त हैं, तो उन्होंने विपक्षी दलों को खुश करना शुरू कर दिया, जिन्हें कई लोग हिंदू-विरोधी मानते हैं। बहराल, जनता जानती है कि केजरीवाल का धर्मांतरण पर बोलना भी एक चुनावी स्टंट है।
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