केरल में कई सालों से सभ्यता सँघर्ष के तहत संघ अब्राहमिक रिलीजन इस्लाम-ईसाईयत से लोहा ले रहा है। संघ कार्यकर्ताओं की इसी जुझारू क्षमता से घबराकर केरल में संघ कार्यकर्ताओं की हत्याएं की गई हैं। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की मजबूत उपस्थिति है, ऐसे में भाजपा चुनावी जीत को लक्ष्य मानकर चल रही है। केरल विधानसभा चुनाव में महज 6 माह का समय बचा है। भाजपा मुस्लिम, ईसाई समुदाय की सोशल इंजीनियरिंग और हिंदू मतदाताओं के ध्रुुवीकरण से अपनी राजनीतिक जमीन को पुख्ता करने का प्रयास कर रही है। भाजपा ने कांग्रेस से आए टाम बड़क्कन और एमपी अब्दुल्ला कुट्टी को क्रमशः प्रवक्ता और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया है। ऐसा करके भाजपा ने संदेश दिया ​है कि वह केरल में ईसाई और मुस्लिम समुदाय के नेताओं को राष्ट्रीय स्तर पर जगह देकर राज्य में अपना विस्तार करना चाहती है। भाजपा केरल में वाम मोर्चा सरकार को उखाड़ने के लिए डटकर मैदान में आ चुकी है।


केरल में बीजेपी आगे बढ़ रही है तो इसके पीछे वजह मोदी का नेतृत्व भी है. केरल में संघ की स्थापना के 75 साल हो चुके हैं. सियासी तौर पर उसे अधिक सफलता भले न मिली हो, लेकिन सांस्कृतिक रूप से संघ ‘आगे बढ़ा है’. बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, केरल में आरएसएस की 4,000 शाखाएं हैं. यह संघ के किसी भी दूसरे संगठनात्मक प्रान्त की शाखाओं से ज्यादा है. उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में केरल से अधिक शाखाएं हैं, लेकिन आरएसएस ने प्रशासनिक सुविधा के लिए बड़े राज्यों को कई प्रांतों में बांट दिया है. इसके इलावा राज्य में संघ के 500 स्कूल हैं. राज्य में संघ के प्रमुख प्रचारक कहते हैं, ‘हम सांस्कृतिक परिवर्तन चाहते हैं और इसमें हमें कामयाबी मिली है.’।

DISCLAIMER: The author is solely responsible for the views expressed in this article. The author carries the responsibility for citing and/or licensing of images utilized within the text.