वीर भोग्या वसुंधरा….भारत के इतिहास में वैसे तो कई बड़े युद्ध हुए, लेकिन कुछ युद्ध ऐसे भी थे जो सेना के रणभूमि में उतरने से पहले ही खत्म हो गए। ऐसी ही एक भिडंत हुई थी शिवाजी महाराज और मुगल योद्धा अफज़ल खान के बीच। जिसमें शिवाजी ने 63 पत्नियों के हत्यारे अफज़ल खान का पेट चीर कर मौत के घाट उतार दिया था।

अफजल खान बीजापुर की आदिल शाही हुकूमत का बेहतरीन योद्धा था,जो हर तरह की रणनीति अपनाने में माहिर था। बीजापुर और मराठों के बीच हुई लड़ाई में आदिल शाह की मां ने मराठों पर कब्जा करने के लिए अफजल खान को भेजा था। अफजल खान युद्ध से पहले छल से शिवाजी महाराज की हत्या करना चाहता था। दरअसल, अफजल खान के पास एक बड़ी सेना थी, लेकिन फ़िर भी वह ज्योतिष पर भरोसा करता था। खान को शिवाजी से युद्ध पर जाने के पहले उसके ज्योतिषियों ने उसके जीवित वापस न लौटने की भविष्यवाणी की।

 ज्योतिषियों की भविष्यवाणी से अफज़ल खान को मौत का डर सताने लगा। उसे डर था कि कहीं उसकी मौत के बाद उसकी पत्नियां दूसरी शादी न कर लें, इसलिये सभी 63 पत्नियों को बीजापुर के पास एक बावड़ी में फेंककर मौत के घाट उतार दिया। इस नरसंहार के बाद अफज़ल खान ने अपनी पत्नियों की कब्रें बनवाई और उनके पास ही अपनी कब्र इसीलिए बनवाई कि युद्ध में उसकी मौत होने के बाद उसे वहीं दफनाया जाए। आख़िरकार 63 पत्नियों के क्रूर हत्यारे अफ़ज़ल खान को शिवाजी महाराज ने पेट चीर कर मौत के घाट उतार दिया।

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