कथित किसान आंदोलन की सच्चाई को अगर गौर से देखा जाए तो इसकी कलई खुलती हुई नजर आएगी। किसानों के नाम पर हो रहे इस आंदोलन में रोजाना पतंजलि, जिओ ,अडानी, अंबानी को निशाना बनाया जा रहा है। अब यहां पर सवाल यह उठता है कि किसान तो देशी काम करता है जमीन से जुड़ा हुआ होता है ऐसे में स्वदेशी उत्पादों के प्रति किसान को कौन भड़का रहा है? हैरानी की बात यह है कि इस आंदोलन को देश की तमाम कम्युनिस्ट पार्टियां समर्थन कर रही हैं ऐसे में विदेशी कंपनी अमेजॉन, नेटफ्लिक्स का विरोध यहां नहीं किया जा रहा है मगर स्वदेशी उत्पादों वाली कंपनियों का यहां विरोध किया जा रहा है।


किसान आंदोलन की कड़वी सच्चाई यह है कि यह आंदोलन पाकिस्तान के इशारे पर खालिस्तानी गैंग के द्वारा संचालित किया जा रहा है, इस आंदोलन का सिर्फ और सिर्फ एक ही उद्देश्य है वो है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार का विरोध करना। भोले-भाले किसानों को भड़का कर कांग्रेसी और कम्युनिस्ट गैंग जियो और पतंजलि का लगातार विरोध कर रहे हैं और किसानों से जियो के सिम कार्ड को जलवा रहे हैं। गौरतलब है कि पतंजलि के तमाम उत्पाद स्वदेशी है और देश के तमाम किसान पतंजलि से जुड़े हुए हैं और इसके जरिए आर्थिक लाभ कमाते हैं, ऐसे में किसानों के द्वारा पतंजलि के उत्पादों का विरोध किया जाना हैरतभरा है।


जबकि दूसरी तरफ 90 के दशक में कम्युनिस्ट आंदोलन में विदेशी ब्रांड कोका कोला का लगातार विरोध किया जाता था मगर अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 2014 के बाद शासन में आते ही इन्होंने अपनी सारी वैचारिक लड़ाई को बन्द कर, सिर्फ और सिर्फ अंध मोदी विरोध शुरू कर दिया है। दरअसल इन्हें चिढ़ है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की राष्ट्रवादी विचारधारा से जिसमें उनका साथ देते हैं योग गुरु स्वामी रामदेव.. इसी वजह से लगातार कांग्रेस और कम्युनिस्टों के द्वारा पतंजलि के उत्पादों को निशाना बनाया जाता है।

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