किसानों का विरोध एक अंतर्राष्ट्रीय मुद्दा बन गया है और सभी की इसके ऊपर अपनी अपनी राय है.

लेकिन, एक नेता इस के बीच में एक गिद्ध की तरह व्यवहार कर रहा है, अर्थात; श्री अरविंद केजरीवाल, आगामी पंजाब चुनाव में केवल वोट हासिल करने के लिए वह हर तरह की गंदी राजनीति कर रहे हैं.

सबसे पहले, उन्होंने किसान के बिल का एक हिस्सा पारित किया, लेकिन जब यह खबर सार्वजनिक हुई तो उन्होंने अपने आप को सच्चा दिखाने के लिए उस बिल को फाड़ दिया. इस बात पे गलत बयां दे दिया की लागु करना आवश्यक था जबकि ऐसे बिलकुल नहीं था हमारे पास राजस्थान का उदाहरण है , मगर हमें केजरीवाल को समझना होगा ये वह वही व्यक्ति है जिसने एक बार सर्जिकल स्ट्राइक पर सवाल उठाया था, लेकिन बाद में यह दिखाने के लिए कि वह एक राष्ट्रवादी है जल्दी जल्दी धारा 370 को खत्म करने का समर्थन किया और फारुख अब्दुल्ला जो कई मुद्दों पे केजरीवाल का समर्थन करते रहे थे उनको उनके  ‘हाउस अरेस्ट’ के मुद्दे पे चुप रहे, उसी तरह चंद्रा बाबू नायडू को जब ‘हाउस अरेस्ट’ किया गया तो केजरीवाल कुछ नहीं बोले – वो नायडू  जो दिल्ली के उप राज्यपाल से मिलने तक आय थे केजरीवाल के लिए जब केजरीवाल उप राज्यपाल के आवास पे धरने पे थे.

लोग केजरीवाल के अन्ना हजारे, प्रशांत भूषण, और योगेंद्र यादव के अपमान के बारे में बात करते हैं, लेकिन वो सारी बाते केजरीवाल की अब की हरकतों के सामने छोटी पड़ जाती है, जब राज्यसभा की 3 में से 2 सीटें बहरी गुप्ता को दी गईं और कुमार विश्वास को दरकिनार कर दिया गया तब लोगो ने बात को गंभीरता से नहीं लिया। पार्टी ने कहा यह एक आंतरिक मुद्दा है और इस विषय को नजरअंदाज करने की कोशिश की गई, लेकिन तब केजरीवाल एक कदम आगे निकल गए और २०२० विधानसभा चुनाव के दौरान द्वारका विधानसभा सीट की उम्मीदवारी महाबल मिश्रा के बेटे को दी गई और आदर्श शास्त्री को नहीं, तब काफी कुछ साफ़ हो गया , यह कुछ अन्य सीटों पर भी हुआ, और तब अधिकांश लोगों ने समझा कि ये क्या चल रहा है.

ज्यादातर लोग कहते हैं कि राजनीति गंदी है, लेकिन केजरीवाल ने राजनीति के मायने बदल दिए हैं, अब अगर हम उनका अनुसरण करते हैं तो हमें महसूस होगा कि उनकी राजनीति की शैली में कोई नैतिकता, विचारधारा और दृष्टि नहीं है, बल्कि सत्ता के लिए सिर्फ एक मोह है। मनीष सिसोदिया और केजरीवाल स्कूलों और अस्पतालों के सुधार के बारे में बात करते हैं, लेकिन जो स्कूल पहले से ही थे उनको सुन्दर बना देना कोई बहुत बड़ी बात नहीं हुई, उन्होंने कितने नए स्कूलों का निर्माण किया? पश्चिमी दिल्ली में बिजली की स्थिति सभी को पता है, अगर हम दिल्ली के किसी भी सरकारी अस्पताल में जाते हैं, तो हम इस हकीकत को देखेंगे कि एक हॉस्पिटल में जो असली जरुरत है (जो चमकदार दिवार नहीं होती है ) उसकी कितनी कमी है , और अगर इतनी अछि है तो दिल्ली के स्वस्थ्य मंत्री और उप मुख्यमंत्री ने अपना कोरोना का इलाज प्राइवेट हॉस्पिटल में क्यों कराया?

 हिटलर के प्रोपेगंडा के बाद, हम केजरीवाल के प्रोपेगंडा को विज्ञापन और आरोप लगाके के धीरे से माफ़ी मांग लेने की आदत से देख सकते है.

केजरीवाल कभी अपने पुराने लोगो के नहीं हुए इस लिस्ट में एक नाम और है आशुतोष का जो की आप के टिकट पर चांदनी चौक से चुनाव हारे मगर कई लोगो का कहना है की वो बाद में विधान सभा लड़ना चाहते थे मगर पार्टी ने उन्हें दूसरा मौका नहीं दिया क्योकि शायद  वो लोक सभा लड़ चुके थे , इस बात में बहुत दम न हो मगर करीब यही बात आशीष खेतान के साथ भी हुई और वो भी आशुतोष के साथ साथ ही पार्टी से चले गए, केजरीवाल की ये दोहरी राजनीती आतिशी और राघव चड्डा के मामले में नहीं दिखती है, क्युकी ये दोनों भी लोक सभा हर कर विधान सभा में पार्टी के प्रत्यासी बने और चुने गए, शायद केजरीवाल को सिर्फ चाटुकारो का साथ ही चाहिए सच बोलने वालो का नहीं, जिसका सबसे अच्छा उदाहरण कुमार विश्वास का है.

केजरीवाल का कहना है की दिल्ली में पानी की समस्या दूर किया मगर उन्होंने इसके लिए क्या किया? शायद कुछ नहीं क्योकि पहले से जितनी पानी थी उसीको और बाट देना एक स्मार्ट कदम जरूर है मगर कोई क्रन्तिकारी कदम नहीं.

अभी हाल में ही केजरीवाल का ये झूठ भी पकड़ा गया था जब उन्होंने कहा था की दिल्ली पुलिस ने उन्हें ‘ हाउस अरेस्ट’ कर लिया था किसान आंदोलन में जाने से रोकने के लिए और पुलिस से वीडियो जारी कर उनकी पोल खोल द। वैसे ये भी कम आश्चर्य की बात नहीं है की जब योगेंद्र यादव जैसे नेता जब किसान आंदोलन में दिल्ली का सब्जी दूध तक रोकने की बात कर रहे थे तब दिल्ली के मुख्या मंत्री ने इस मुद्दों पे कोई भी आपत्ति जाते बिना आंदोलन को समर्थन दिया। ये दूसरे राज्य के लिए परेशान है मगर दिल्ली की हवा , यमुना की सफाई, कोरोना कण्ट्रोल के मामले जैसे मुद्दों से भागते फिरते है। जब से एम् सी डी का चुनाव पास आया है दिल्ली में ओछी राजनीती ने और जोड़ पकड़ लिया है और झेल रहे है दिल्ली वाले , फण्ड न जारी करने के मुद्दे की राजनीती से आम लोग परेशान हो रहे है सड़क की गन्दगी लोग झेल रहे है।

एक आर टी आई के मुताबित दिल्ली सरकार ने दीवाली पूजा पर प्रति मिनट 20 लाख रुपये खर्च किए हैं और रोज़ाना विज्ञापन पर दिल्ली सरकार करोड़ों खर्च करती  है, यहां तक कि सरकारी स्कूल का एक नया हॉकी स्टेडियम जो 20-25 लाख रुपये में बनाया गया होता है, उसके प्रचार प्रसार में उससे अधिक खर्च  विज्ञापन में कर दिया जाता है, और ज्यादातर न्यूज़ पोर्टल्स ने केजरीवाल पर सवाल उठाना बंद कर दिया है क्योंकि अगर फिर सवाल उठेगा तो दिल्ली सरकार विज्ञापन देना बंद कर सकती है। हमें ऐसी कैंसर की राजनीति के विकास को रोकने की जरूरत है चाहे हम किसी पार्टी के साथ हो मगर ऐसे राजनीती को रोकना आवश्यक है.

आशुतोष रवीन्द्र

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