काॅग्रेस का इतिहास हमेशा से ही दंगो वाला राहा है। 2014 में NDA की सरकार बनी। 2014 से NDA सरकार द्वारा पेश हर एक विधेयक के खिलाफ झुठा प्रचार कर लोगो को भडकाना और देश के हालात बिघाडना काॅग्रेस के DNA में राहा है। ये सब बाते हम लगातार 2014 से देखते आ रहे है। कृषि बिल भी काॅग्रेस द्वारा देश जलाने और केंद्र की मोदी सरकार को अपमानित करने के लिए बनाया गया एक निशाना है। पिछले कुछ दिनो से देश की राजधानी दिल्ली में पंजाब के किसान कृषि बिल के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे है। काॅग्रेस ने फैलाए हूए झूठे प्रचारो से, प्रदर्शन कृषि बील के खिलाफ अपनी आवाज बूलंद करके बिल को वापस लेने की माँग कर रहे है।

आझादी के बाद से ही किसान चुनावो का मुख्य स्तंभ राहा है। देश में कही भी चुनाव प्रचार हो बिना किसानो के नाम लिए पूरा नही होता। चुनावी पार्टीया अपने घोषनापत्रो में किसानो को बडी जगह देती है। उनसे बडे बडे वाधे करती है। लेकिन इसके बावजुद भी किसानो का जिवन वही है जो आझादी के बाद था। पिछले 70 सालो से केंद्र में बैठी UPA सरकार ने अपने घोषनापत्रो में किसानो को तो बहुत बडी जगह दि लेकिन अपने जीवन सें उन्हे बहुत दूर रखा। किसान सिर्फ एक चुनावी मुद्दा बनकर रह गया। 2014 में NDA कि सरकार बनी। 2014 से ही मोदी सरकार ने किसानो के हितो को सर्वोपरि रखा। उन्होने किसानो को सिर्फ घोषनापत्रो में नही बल्कि अपने जिवन में जगह दि। 2014 से लेकर वर्तमान तक मोदी सरकार ने हमेशा किसानो के हित में नये कायदे कानुन बनाये। जिसमें फसलो की MSP बढाना, किसान सम्मान निधी, फसल बिमा योजना, किसान पेंशन्स योजना, किसान क्रेडिट कार्ड, नीम कोटेड युरिया, बीजली और पानी की व्यवस्था, साॅइल हेल्थ कार्ड,70 मेगा फुड पाकर्स ऐसे बहुत सी योजनाए है जो सरकार ने शुरू की। उनका संकल्प राहा की वो किसानो कि आय 2022 तक दौगुना कर देंगे। और इसी दिशा में कृषि बिल एक पर्याय है। कृषि बिल द्वारा मोदी सरकार किसानो को उनकी मेहनत का सही दाम देना चाहती है। मंडियो में बिचौलियो द्वारा हो राहा किसानो का शोषन रोककर किसानो को मजबुत बनाना मोदी सरकार का मुख्य उद्देश है। कृषी बिल द्वारा किसानो को फसल बैचने हेतु खुला बाजार उपलब्ध कराना इस बिल का मुख्य उद्देश है। देश में ONE NATION ONE MARKET कि संकल्पना के तहत किसानो की आय बढाना ही मुख्य हेतु है। कृषि बिल दोनों सदनो से पारित होकर 27 सितंबर को राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के साथ कानुन में बदल गया और वही विपक्ष ने विरोध करना शुरू कर दिया। देश के किसानो ने भी इस बिल का हृदय से स्वागत किया।

हमेशा कि तरह ही काॅग्रेस पार्टीने कृषि बिल में अडंगा डालना शुरू कर दिया। कृषि बिल पर झुठा प्रचार कर किसानो को भडकाना चाहा। और आज दिल्ली में क्या परेशानी पैदा हुई है वो सब देख रहे है। विपक्ष पार्टीयो ने बिल के खिलाफ किसानो में एक अलग सा माहौल पैदा कर दिया। किसानो को बताया गया कि, केंद्र सरकार MSP को बंद कराना चाहती है। लेकिन ये सत्य नही है। काॅग्रेस द्वारा MSP पर फैलाया गया झुठ बेबुनियाद है। कृषी बिल में इस का साफ उल्लेख है। कृषक किंमत आश्वासन और कृषि सेवा करार विधेयक 2020 के सदर्भ खंड 5 में गॅरटी मुल्य उपयुक्त बेंच मार्क दाम का उल्लेख है जो MSP के समतुल्य है। किसान रुपी काॅग्रेस का कहना है कि, उद्योगपती किसानो के जमीन पर कब्जा कर लेंगे। लेकिन सरकार ने साफ काहा है की, ये असंभव है और किसानो को इस कि पुरी सुरक्षा दि जायेंगी। किसानो की जमीन पर कब्जा करने की चिंता भी उस काॅग्रेस पार्टी को सता रही है, जिसके बाप दादा वो ने अपने पदो का इस्तेमाल करके करोडो किसानो की जमीन हतिया लि थी।

अब सुलगता हुवा सवाल है की, सिर्फ पंजाब के किसान ही आंदोलन क्यु कर रहे है। इसके कही कारन है, एक तो पंजाब काॅग्रेस शासीत राज्यो में से एक है, जो दिल्ली के करिब है। दुसरा कारन वहा की मंडीयो में बिचौलियो का प्रभाव। पंजाब में करिबन 60 हजार बिचौलिये है। जिनका वाहा की मंडिसमितीयो पर पुरा प्रभाव है। राजनैतिक समर्थन से भी ये बिचौलिये काफी मजबूत स्थिती मे है। किसान इन्ही मंडियो में बिचौलियों की मदत से अपनी फसल बेचते है। वही फसल बिचौलिये किसानो से कम दाम पर लेकर आगे ज्यादा दाम पर बेचते है। किसानो को उनकी मेहनत का एक तिहाई किमत भी नही मिल पाता। वर्ष 2019-20 की खाद्यान्न उत्पादन पर RBI कि रिपोर्ट के अनुसार पंजाब में कुल 30 लाख टन का उत्पादन हुवा है, लेकिन पंजाब को इसका सिर्फ 0.9 प्रतिशत ही फायदा मिला है। बल्की तमिलनाडु पंजाब का एक तिहाई उत्पादन करता है पर पंजाब कि तुलना में अधिक लाभ कमाता है। इसका कारन है पंजाब के बिचौलिये जो सारा फायदा खुद हजम कर जाते है। FCI बिचौलियो के माध्यम से किसानो को सभी भुगतान करते है, जिन्हे आढतिये काहा जाता है। हर लेनदेन में इन्हे 2.5 प्रतिशत कमिशन मिलता है। इन बिचौलियों की युनियन बहुत मजबुत होती है। किसानो द्वारा इन्हे दरकिनार करना किसानो के लिए बहुत मुश्किल हो जाता है। मोदी सरकार द्वारा इन्ह बिचौलियों को हटाना इनके लिए बडा राजस्व नुकसान है। इसके अलावा 1800 मंडियो से प्रति वर्ष राज्य को मिलने वाले कर का नुकसान राज्य सरकार को उठाना पडेगा। दिल्ली में चल राहा किसान आंदोलन विपक्ष के लिए बडा मंच बन गया है। केंद्र सरकार के खिलाफ बोलने वाले तमाम लोग आज दिल्ली में किसान बन घुम रहे है। जिन्हें आलु काहा उगता है ये भी नही पता आज वो कृषि बिल के खिलाफ ज्ञान बाटता फिर राहा है। तुकडे तुकडे गँग, खालिस्तानी आंतकी इस आंदोलन का देश जलाने के मकसद से इस्तेमाल कर रही है। आंदोलन में कही जगह पर खिलिस्तानी आतंकी भिंडरावाले की तस्वीर लगे पोस्टर दिखाई दिये, कोई कश्मिर में 370 वापस लाने की माँग कर राहा है, इस आंदोलन के बिच शाहिनबाग के जेहादी भी किसान बने हुए दिखाई दिए। किसान के रूप में खालिस्तानी आतंकी ने प्रधानमंत्री को जान सें मारने की धमकी दि, भीमआर्मी भी आजकल किसान बन गयी, कुछ दिनो पहिले पंजाब-हरियाना के किसानो पर पराली जलाने पर प्रतिबंध लगाने वाली केजरिवाल सरकार आज आंदोलनकारी यो का दिल्ली में स्वागत कर रही है। इससे साफ दिखाई देता है की ये किसानो का आंदोलन नही हो सकता। अगर किसानो का आंदोलन होता तो भिंडरावाले की नही बल्कि किसानो को नायक के रूप में पेश करने वाले लाल बहादूर शास्त्री जी के पोस्टर लगते। लेकिन ये आंदोलन केवल और केवल राजनैतिक षडयंत्र है जो कॉग्रेस से प्रभावित है।

जब अंग्रेज भारत आए तो उन्होंने सबसे पहले एग्रिकल्चर मार्केटिंग बोर्ड का सिस्टम शुरू किया और किसानो को इसी मार्केटिंग बोर्ड में अपनी उपज को बेचने कि जबरदस्ती की। अंग्रेज चाहते थे कि किसान गरीब ही रह जाए. आझादी के बाद भी कुछ नही बदला। मार्केटिंग बोर्ड कि जगह मंडियो ने ले ली। किसानो को अपने उपज का सही दाम मिले, उसे अपनी फसल बैचने हेतु बहुत से पर्याय मिले, उनके अनाज के साथ हो रही बिचौलियों द्वारा भ्रष्टाचार को रोकने के मुख्य हेतु से ही कृषि बिल लाया गया है। NDA सरकार के अलावा कभी भी किसी राजनैतीक दलो ने किसानो के व्यवहार को नही जानना चाहा, उसे अपने फसल का उचीत दाम भी मिलता है भी याहा नही इस पर भी ध्यान नही दिया केवल अपने परिवार में ही व्यस्त रहे। मोदी सरकार ने किसानो के जीवन के उस कमी को पेहचाना और उस कमी को भरने की कोशिश की।

2011 की जनगणना के अनुसार देशभर में करिबन 52 प्रतिशत लोग कृषि से जुडे है। देश कि आधी से ज्यादा आबादी कृषि से जुडे होने के साथ किसान रात दिन मेहनत करने के बावजुद भी देश की जीडिपी में कृषि का केवल 17 से 18 प्रतिशत ही योगदान राहा है। हमारा देश कृषि प्रधान होने के बाद भी, दुनिया भर में उत्पाद के निर्यात में भारत का हिस्सा सिर्फ ढाई प्रतिशत हि राहा है। इसका कारन किसानो को अपनी फसल बैचने के लिए प्रयाप्त साधनों का उपलब्ध ना होना। 2016 की एक रिपोर्ट के मुताबीत किसानो की प्रति महिने की औसतन कमाई केवल 6 हजार 400 रूपये रही है यानी साल भर में 77 हजार रूपये की ही कमाई किसान करता है। हालांकि उसपर औसतन कर्ज की किमत 1 लाख 4 हजार के करिब होती है। यानी कमाई से ज्यादा किसान पर कर्ज का बोझ ही होता है। संसद में 38 प्रतिशत सांसद किसान है यानी हर 3 के पीछे एक संसद किसान होते हुए भी किसान आत्महत्या करने पर मजबुर हो जाता है। किसानो कि इसी बिगडती स्थिती को सुधारने के लिए मोदी सरकार ने लिया गया ये एक फैसला है। आज देश का युवा खेती सें मुह मोडता दिखाई देता है। गावो में 72 प्रतिशत तक युवा खेती से जुडे है लेकिन दुर्भाग्य है की सिर्फ 1 प्रतिशत ही यूवा खेती करना चाहता है। हर साल किसानो की गिरती आय का जिम्मेदार 70 साल का प्रशासन भी राहा है। इसी गिरती आय को बढाने के लिए मोदी सरकार 2014 से लगातार कृतिशील रही है।

बाजारो में देखे तो अनाज काफी मेहंगा मिल जाता है। जिस गेहू को किसान 20 रूपये प्रति कीलो बैचता है वही गेहू ब्रँन्डेड कंपनी के स्टिकर के साथ 30 रूपये प्रति किलो हो जाता है और आटे का रूप लेते ही 60-70 रूपये प्रती किलो हो जाता है। जिस मुँगफली को किसान मंडी में 70 रूपये प्रति किलो बैचता है वही मुँगफली ग्राहको तक पहुंचते पहुंचते 120 रूपये प्रति किलो हो जाता है। 20 रूपये का गेहु 60-70 रूपये किलो हो जाता है। 70 रूपये की मुँगहली 120 रूपये किलो हो जाती है,किसानो से 10 रूपये किलो लिया गया जौ लंबी चैन के बाद 40 रूपये किलो बन जाता है। जो फसल उगाता है उसे असली किमत का एक तिहाई हिस्सा भी नही मिल पाता। बाजार में 100 रूपये किलो बैचे जाने वाले अनाज कि किंमत का केवल 10-23प्रतिशत हिस्सा ही किसानो को मिल पाता है। अगर किसान सिधा अपनी फसल बेचे तो उसे ज्यादा फायदा होगा। किसान सक्षम बन पायेगा और इस सब के लिए कृषि बिल अवश्य है। इन सब बातो को किसानो को समजना होगा,कृषी बिल मंडी यो को संमाप्त नही बल्की फसल बैचने के नये अवसर प्रदान करता है।

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