बीजेपी की प्रवक्ता रहीं नुपुर शर्मा के विरोध में पश्चिम बंगाल की सड़कों पर भी बवाल हुआ. हावड़ा में गुरुवार को उन्मादी प्रदर्शनकारियों की भीड़ ने NH को पूरी तरह से ब्लॉक कर दिया। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने इस्लामी नारे लगाए और सड़कों पर आगजनी की .

इस दौरान विरोध प्रदर्शन को लेकर ममता बनर्जी ने कहा कि “संकीर्ण राजनीतिक लाभ के उद्देश्य से कुछ लोगों की सांप्रदायिक राजनीति के कारण हम नुकसान क्यों उठाएं? यूपी, गुजरात में जाओ और विरोध-प्रदर्शन करो. जिन राज्यों में बीजेपी सत्ता में है। वे बंगाल में सत्ता में नहीं हैं, इसलिए यहां पब्लिसिटी के लिए ऐसा न करें। हम सभी हाथ जोड़कर अनुरोध कर रहे हैं कि नाकेबंदी की राजनीति से दूर हो जाएं। कोई एक दिन के लिए उकसाएगा। कल, आसपास कोई नहीं होगा ! अगर कल दंगा होता है, तो किसी के पास जवाब नहीं होगा।”

ममता बनर्जी ने ये भी कहा कि  “मैं इस तरह के (हिंसक) विरोध का समर्थन नहीं करती। अगर आप लोग इतने नाराज हैं तो दिल्ली जाइए। वहां शांति से विरोध प्रदर्शन कीजिए और पीएम के इस्तीफे की मांग कीजिए। आप यहां समस्या क्यों पैदा कर रहे हैं? मैं आप सभी से शांति बनाए रखने और विरोध वापस लेने का अनुरोध करती हूं।”

ये बात बिल्कुल सही है कि हिंसा और विरोध प्रदर्शन के जरिये किसी भी समस्या का समाधान नहीं हो सकता लेकिन ये बात उस राज्य की मुख्यमंत्री बोल रहीं हैं जहां हुईं हिंसा ने पूरे देश को झकझोर कर दिया . हिंदुओं के घरों को आग के हवाले करना, बहन-बेटियों से बलात्कार, बीजेपी कार्यकर्ताओं की हत्याएं, दिनदहाड़े TMC के कार्यकर्ताओं की गुंदागर्दी ये सब क्या था ? क्या ये हिंसा का हिस्सा नहीं था. तो फिर उस वक्त ममता बनर्जी ये सब क्यों देखती रहीं, उस समय प्रदर्शनकारियों को क्यों नहीं रोका ? मतलब TMC सरकार के पक्ष में सड़कों पर बवाल हो तो ठीक लेकिन किसी दूसरे के लिए विरोध हो तो वो गलत . ये कैसी मानसिकता है ?

इतना ही नहीं ममता बनर्जी जिस तरह से दिल्ली और उत्तर प्रदेश जाकर प्रदर्शनकारियों को विरोध के लिए उकसाने का काम कर रही हैं तो उन्हें ये पता होना चाहिए कि यूपी में CM योगी आदित्यनाथ जी की सरकार है जहां दंगाईयों की ऐसी कुटाई होती है कि उसकी आवाज सोशल मीडिया तक पहुंचती हैं . आखिरी में एक बार और कहुंगी की हिंसा, विरोध प्रदर्शन, सड़कों पर यातायात को बाधित करना सही नहीं है लेकिन कुछ लोग इसमें भी राजनीति में फायदे का रास्ते ढूंढ लेते हैं , कुछ यही हाल है ममता बनर्जी का !

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