उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव का रण धीरे-धीरे अपने आखिरी दौर में पहुंचने लगा है, रविवार को पांचवे दौर की वोटिंग होगी, जिसके बाद दो और फेज की वोटिंग बाकी रह जाएगी. जहां तमाम पार्टियां धुआंधार प्रचार और रैली में जुटी है वहीं चुनावी शोर-गुल में मायावती खामोश दिख रही हैं. जिसे लेकर चुनावी रणनीतिकार कई तरह की अटकलें लगा रहे है.
इस बीच बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष और गृहमंत्री अमित शाह की ओर से बीएसपी की तारीफ ने सबको चौंका दिया। पिछले कुछ सालों में अपने कई दांव-पेच और चौंकाने वाले नतीजे लाने की वजह से बीजेपी के चाणक्य कहे जाने वाले शाह के विरोधी दल को मजबूत बताने को लेकर राजनीतिक पंडित भी ये सोचने में लग गए कि आखिर अमित शाह ने BSP की तारीफों के पुल क्यों बांधे, आखिर इसके पीछे BJP का क्या गेम प्लान हो सकता है?
दरअसल एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में अमित शाह ने एक सवाल के जवाब में कहा, “BSP ने अपनी प्रासंगिकता बनाए रखी है। मुझे विश्वास है कि उन्हें वोट मिलेगा। मुझे नहीं पता कि यह कितनी सीटों में तब्दील होगा लेकिन बसपा को वोट मिलेगा।” शाह ने कहा कि मायावती की जमीन पर अपनी पकड़ है। जाटव वोटबैंक मायावती के साथ जाएगा। मुस्लिम वोट भी बड़ी मात्रा में मायावती के साथ जाएगा। वहीं राजनीतिक जानकारों का मानना है कि अमित शाह ने यूं ही बीएसपी को मजबूत नहीं बताया, बल्कि इसके पीछे एक बड़ा गेमप्लान है।
दरअसल, यूपी चुनाव में कहने को तो चार राष्ट्रीय और कई क्षेत्रीय दल दावेदारी पेश कर रहे हैं, लेकिन असली मुकाबला तो बीजेपी और सपा के बीच ही है . ऐसे में बीजेपी की कोशिश है कि मुकाबला त्रिकोणीय दिखे, ताकि बीजेपी के विरोधी दलों का बंटवारा हो सके। माना जा रहा है कि बीएसपी और कांग्रेस को कमजोर आंकते हुए ज्यादातर मुस्लिम वोटर्स सपा की तरफ जा रहे हैं। यही वजह है कि अमित शाह ने बीएसपी को मजबूत बताते हुए यह भी कहा कि मुस्लिम वोट भी बीएसपी को मिल रहा है। यही हाल जाटव वोटरों का भी है। बता दें आपको जाटव को बीएसपी का कोर वोटर माना जाता है, इस बार मायावती के मुकाबले में नहीं दिखने की वजह से जाटव मतदाता भी नया ठिकाना तलाश सकते हैं। ऐसे में बीजेपी को आशंका है कि अगर इन्होंने सपा की ओर रुख किया तो नुकसान उठाना पड़ सकता है।
वहीं दूसरी तरफ इस बार के चुनाव में मायावती साइलेंट मोड में नजर आ रही हैं। उनकी चुप्पी हैरान करने वाली है। राजनीतिक जानकार इसके पीछे कई वजहें मानकर चल रहे हैं। उनका मानना है कि मायावती इस बार बीजेपी के दबाव में काम कर रही हैं इसलिए टिकटों का बंटवारा इस कदर हुआ जिससे बीजेपी को फायदा मिले। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक कुछ लोग ये भी मान रहे हैं कि मायावती आय से अधिक संपत्ति समेत कई मामलों की वजह से बीजेपी के दबाव में हैं, जिसकी वजह से बीजेपी के खिलाफ लगातार जहर उगलने वाली मायावती ने पूरे चुनाव में बीजेपी के खिलाफ एक भी शब्द नहीं बोला ।
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