सहस्राब्दी का सबसे बड़ा धोखा
“ब्राह्मणों ने १००० वर्षों तक दूसरों पर अत्याचार किया”
८०० साल मुगलों के गुलाम 200+ साल ईसाइयों के गुलाम लेकिन ब्राह्मणों को दोष दें, जिन्हें 1000 से अधिक वर्षों से मुसलमानों और ईसाइयों दोनों द्वारा बेरहमी से निशाना बनाया गया था
किसी भी ब्राह्मण ने अपने फरमान को दूसरों पर या सार्वजनिक रूप से लागू नहीं किया। वे जो कुछ भी अभ्यास करते थे, वे अपने घर की परिधि में ही करते थे। चूंकि ब्राह्मणों को मंदिरों की देखभाल करने के लिए सौंपा गया था और जैसे ही उन्होंने देवताओं को भोग लगाया और जनता को प्रसाद दिया, उन्हें बनाए रखना पड़ा समाज के हित और कल्याण में स्वच्छता के बहुत उच्च मानक।
ज़रा सोचिए अगर एक मंदिर के पुजारी को चीनी वायरस हो और उसने सभी को प्रसाद बांटा हो ? इसलिए हमारे वैदिक समाज में ब्राह्मणों के पालन के लिए सख्त नियम थे ब्राह्मण कभी शासक नहीं थे, वे केवल राजाओं के सलाहकार थे। केवल राजा ही समाज के नियमों को लागू करते थे, जब राजा आसपास होता है तो ब्राह्मण दूसरों को कैसे दबा सकते हैं ? तो वास्तव में ब्राह्मणों ने दूसरों पर अत्याचार किया, यह मुगलों और ईसाइयों (ब्रिटिश) का एक नकली प्रचार है । एक और अफवाह का प्रचार किया जा रहा है कि ब्राह्मणों में श्रेष्ठता जटिल है । अरे! ब्राह्मणों ने अपना पूरा जीवन भगवान की सेवा में बिताया, वे शिक्षक थे और उन्होंने समाज के अन्य वर्गों से भीख मांगकर अपना जीवन व्यतीत किया। वैदिक काल में ब्राह्मणों ने कभी धन संचय नहीं किया उनका अगला भोजन उनके द्वारा प्राप्त भिक्षा पर निर्भर था, क्या आपने “दरिद्र ब्राह्मण” शब्द सुना है, अधिकांश ब्राह्मण पूरी तरह से गरीबी में थे जब ब्राह्मणों ने अपना जीवन भिक्षा और भिक्षा पर व्यतीत किया, तो श्रेष्ठता का प्रश्न कहाँ है ?
१००० से अधिक वर्षों से मुसलमानों और ईसाइयों ने हिंदू समाज को व्यभिचारी तथ्यों और एक दूसरे के खिलाफ खड़ा करके विभाजित करने की पूरी कोशिश की है। वे जानते थे कि अगर आप ब्राह्मणों और संस्कृत को नष्ट कर देंगे तो वे हमारे हिंदू समाज को तोड़ सकते हैं फूट डालो राज करो उनकी नीति थी दुर्भाग्य से मुसलमानों और ईसाईयों द्वारा संस्कृत और ब्राह्मणों को सभी बुराइयों का मूल कारण बताने की चाल आजादी के बाद भी 75 वर्षों तक जारी रही। इस नकली प्रचार को रोकना होगा और मैं मुगलों और अंग्रेजों के इन छद्मों को बेनकाब करने की पूरी कोशिश करूंगा यहाँ सच्चाई सामने है १५४३ में फ्रांसिस जेवियर ने रोमन चर्च को लिखा, “यदि ब्राह्मण नहीं हो, जो मंदिरों का रखरखाव कर रहे हैं, तो पूरे भारत को ईसाई धर्म में परिवर्तित किया जा सकता है” क्योंकि सनातन संस्कृति को बचाने में हमेशा बलि ब्राह्मण ने ही दी है क्षत्रिय और ब्राह्मण ने ना केवल हिंदू धर्म को बचाया है बल्कि समय समय पर अपने प्राणों की आहुति भी दी है
अफगानिस्तान पर आक्रमण करते हुए तालिबान ने साफ साफ कहा कि 40 वर्ष तक की विधवा महिला उन्हे सौंप दो, इससे आपको ख्याल आया होगा कि हिंदुस्तान में सतीप्रथा क्यों थी क्योंकि मुगलों ने जब जब अखंड भारत को गुलाम बनाया तब तब अपने अस्तित्व और सम्मान को बचाने के लिए अपने पति की मृत्यु होते ही उसी के साथ चिता में जल जाना मजबूरी था वो भी मुगलों के अत्याचारों की वजह से, जिसे वामपंथियों ने सतीप्रथा एक कुरीति थी ऐसा कहकर प्रचार किया पर कभी भी ये नही बताया कि इस प्रथा का जन्म मुगलों के अपराधबोध से शुरू हुआ । आज जहां अफगान की स्थति देखकर आप अंदाजा लगाइए कि कैसे महिलाओं को बंदी बनाकर उनके सम्मान को तहस नहस किया जा रहा है आज आपको “जोहर” क्यों हुआ अंदाजा लग जायेगा, अपने स्वाभिमान की रक्षा के लिए जोहर हुआ जिसे ये बॉलीवुड भांडो ने अपने अपने एजेंडा को चलाने के लिए बदनाम किया ।
आज अपनी संस्कृति और सभ्यता के लिए जाना जाता है हिंदुस्तान, जिसे बचाकर रखने में प्रत्येक हिंदू का हाथ है ब्राह्मण और क्षत्रिय ने अपना खून बहाकर इस संस्कृति को बचाया है और आज इन्हे ही बदनाम करके देश की व्यवस्था को चोट पहुंचाने का कार्य कुछ गद्दार कर रहे है हमे इस बात को समझना होगा, इस विषय की गहराई से जानकारी जुटाकर इन अवसरवादी लोगो को टोकना होगा, तभी देश बचेगा, तभी संस्कृति और संस्कार बचेंगे ।
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