झारखंड में इस्लामिस्ट आतंक मचा रहे हैं और हेमंत सोरेन और उनके मंत्री सख्त कार्रवाई करने के बजाये सिर्फ आदेश दे रहें हैं. दरअसल हाल के दिनों में झारखंड के अलग-अलग जिलों में खास समुदाय के लोग वहां के सरकारी स्कूलों में अपने हिसाब से नियम बना रहे हैं, मसलन रविवार को होने वाली साप्ताहिक अवकाश के बदले शुक्रवार यानि जुमे के दिन स्कूलों में छुट्टी कर दी जा रही है. और तो और स्कूलों में हाथ जोड़कर प्रार्थना करने पर भी मनाही है. वहीं कई जगहों पर स्कूल के नाम के आगे उर्दू शब्द जोड़ दिया गया है. हालांकि जब ये सारे मामले सरकार और प्रशासन की नजर में आए तो प्रशासन हरकत में आया। बावजूद इसके कई जगहों पर प्रशासन के आदेश का भी यहां रहने वाले मुसलमानों पर कोई असर नहीं पड़ा
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक शिक्षा मंत्री के आदेश के बावजूद पलामू जिले में शुक्रवार को मुस्लिमों ने जबरदस्ती 5 सरकारी स्कूलों को बंद करवा दिया। समझाने के बाद भी वे नहीं माने और स्कूल की गेट पर ताला जड़ दिया। ये स्कूल पलामू जिले के नवाबाजार और विश्रामपुर में हैं। शुक्रवार 29 जुलाई को जब स्कूल खुले तो मुस्लिम समुदाय के लोग विश्रामपुर के चार स्कूलों में पहुंच गए और जबरन बंद करवा दिया। स्कूल के शिक्षकों ने शिक्षा मंत्री के आदेश का भी हवाला दिया। अधिकारियों से बात भी करवाई। लेकिन फिर भी स्थानीय मुस्लिम समुदाय के लोग नहीं माने।
वहीं पलामू के नावाबाजार में भी एक स्कूल को बंद करवा दिया गया। डिहरिया में तो मुस्लिम समुदाय के लोगों ने स्कूल के मेन गेट ही ताला जड़ दिया और शिक्षकों को स्कूल के बाहर रोक दिया। यहां के मुस्लिम समुदाय के लोगों का कहना है कि यह अल्पसंख्यक बहुल इलाका है। यहां रविवार को अवकाश और शुक्रवार को क्लास नहीं होने देंगे। प्रखंड कार्यक्रम पदाधिकारी मणि कुमार पांडेय ने कुछ स्कूलों को जबरन बंद करवाने की बात स्वीकार करते हुए स्पष्ट किया है कि स्कूलों में रविवार को ही छुट्टी रहेगी।
रिपोर्ट के मुताबिक पलामू जिले में 20 उर्दू विद्यालय हैं। लेकिन इनके अलावा गुपचुप तरीके से 49 अन्य स्कूलों में भी उर्दू जोड़कर शुक्रवार को छुट्टी शुरू कर दी गई थी। मीडिया में यह खबर सामने आने के बाद पलामू के जिला शिक्षा पदाधिकारी उपेंद्र नारायण इन स्कूलों के नाम से उर्दू हटाने और इन्हें शुक्रवार को खोलने का आदेश जारी किया था।
लेकिन सवाल ये कि क्या सिर्फ खानापूर्ति के लिए सरकार की तरफ से आदेश दे देना ही काफी है ? अगर सरकार इस तरह की घटनाओं को गंभीरता से नहीं लेगी तो वो दिन दूर नहीं जब यह खास समुदाय के लोग एक-एक कर देश में हर जगह, हर संस्था पर अपना कब्जा जमा लेंगे !
फोटो साभार: दैनिक भास्कर
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