1 जनवरी 1877 को क्वीन विक्टोरिया ने किया था भारत पर कब्जा

1 जनवरी 1877 को दिल्‍ली दरबार में Queen Victoria बनी थीं ब्रिटिश भारत की महारानी
आज से 144 साल पहले 1 जनवरी 1877 को ऐलान किया गया कि भारत क्‍वीन विक्‍टोरिया के शासन तले आ गया है और क्‍वीन विक्‍टोरिया ही अब भारत की भी महारानी या राष्‍ट्राध्‍यक्ष हैं।

ब्रिटिश साम्राज्‍य का हिस्‍सा बनने से पहले भारत पर ईस्‍ट इंडिया कंपनी का शासन था। लेकिन 1857 के सिपाही विद्रोह या गदर के बाद तत्‍कालीन ब्रिटिश सरकार ने फैसला लिया कि भारत को अब ब्रिटिश साम्राज्‍य का हिस्‍सा बना लेना चाहिए। इसी क्रम में आज से 144 साल पहले 1 जनवरी 1877 को ऐलान किया गया कि भारत क्‍वीन विक्‍टोरिया के शासन तले आ गया है और क्‍वीन विक्‍टोरिया ही अब भारत की भी महारानी या राष्‍ट्राध्‍यक्ष हैं।

1877 में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बेंजामिन डिजरायली थे , जो कि कंजर्वेटिव पार्टी के थे। यों तो 1858 के बाद से ही भारत पर सीधे तौर पर ब्रिटिश राजशाही का नियंत्रण था लेकिन यह सोचा गया कि इसकी औपचारिक घोषणा की जाए ।
इसके लिए ब्रिटिश संसद में 1876 में रॉयल टाइटल्‍स बिल लाया गया जिसका उदारवादियों ने विरोध किया। क्‍वीन विक्‍टोरिया ने अपने पति प्रिंस एल्‍बर्ट की मृत्‍यु के बाद पहली बार स्‍वयं पार्लियामेंट का शुभारंभ किया।

भारत पर ब्रिटेन की राजसत्‍ता का ऐलान करने के लिए 1 जनवरी 1877 का दिन चुना गया साथ ही यह भी तय किया गया कि दिल्‍ली के कॉरोनेशन पार्क में एक आयोजन कर इसकी घोषणा की जाए। इसे दिल्‍ली दरबार का नाम दिया गया। इसमें क्‍वीन विक्‍टोरिया आईं, उनके साथ प्रधानमंत्री डिजरायली भी आए।

और इसी के साथ महारानी विक्टोरिया ने भारत पर 1 जनवरी 1877 को कब्जा कर लिया और भारतीयों को अपना गुलाम बना लिया , फिर भी भारतीय लोग 1 जनवरी को नववर्ष के रूप में मनाते हैं ।

जबकि हमारा खुद का नववर्ष

|| चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा ||

को होता है।

जिस समय पेड़-पोधों मे फूल ,मंजर ,कली आना शुरू होते है , वातावरण मे एक नया उल्लास होता है जो मन को आह्लादित कर देता है | जीवो में धर्म के प्रति आस्था बढ़ जाती है | इसी दिन ब्रह्मा जी ने सृष्टि का निर्माण किया था | भगवान विष्णु जी का प्रथम अवतार भी इसी दिन हुआ था | नवरात्र की शुरुआत इसी दिन से होती है | जिसमे हमलोग उपवास एवं पवित्र रह कर नववर्ष की शुरूआत करते है |

न शीत न ग्रीष्म, पूरा पावन काल। ऎसे समय में सूर्य की चमकती किरणों की साक्षी में चरित्र और धर्म धरती पर स्वयं श्रीराम रूप धारण कर उतर आए, श्रीराम का अवतार चैत्र शुक्ल नवमी को होता है। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि के ठीक नवे दिन भगवान श्रीराम का जन्म हुआ था | आर्यसमाज की स्थापना इसी दिन हुई थी | यह दिन कल्प, सृष्टि, युगादि का प्रारंभिक दिन है | संसारव्यापी निर्मलता और कोमलता के बीच प्रकट होता है हमारा अपना नया साल ,
विक्रम संवत्सर विक्रम संवत का संबंध हमारे कालचक्र से ही नहीं, बल्कि हमारे सुदीर्घ साहित्य और जीवन जीने की विविधता से भी है।कहीं धूल-धक्कड़ नहीं, कुत्सित कीच नहीं, बाहर-भीतर जमीन-आसमान सर्वत्र स्नानोपरांत मन जैसी शुद्धता। पता नहीं किस महामना ऋषि ने चैत्र के इस दिव्य भाव को समझा होगा और किसान को सबसे ज्यादा सुहाती इस चैत मेे ही काल गणना की शुरूआत मानी होगी।

फिर भी अधिकतम हिन्दू अपना नववर्ष ना मनाकर अंग्रेजों का नववर्ष मनाते हैं जिस दिन वह क्वीन विक्टोरिया द्वारा गुलाम हुए थे ।

DISCLAIMER: The author is solely responsible for the views expressed in this article. The author carries the responsibility for citing and/or licensing of images utilized within the text.