भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में सैकड़ों क्रांतिकारियों ने देश की आजादी को अपने खून से सींचा मगर यह देश का दुर्भाग्य ही रहा कि देश के इन महापुरुषों को कांग्रेस सरकार ने इतिहास की किताबों से गायब कर दिया। मगर कहते हैं कि बादलों के पीछे सूरज को लाख छुपा लो मगर सत्य का सूर्योदय कभी न कभी होता ही है ऐसे में आज पूरे देश को जानना चाहिए भारत मां के वीर सपूत सर्वोच्च बलिदान विनायक दामोदर सावरकर के बारे में… कांग्रेस ने कोशिश करके विनायक सावरकर को इतिहास की किताबों से गायब कर दिया मगर खुद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे लोकमान्य तिलक वीर सावरकर के प्रशंसक थे।
22 मार्च सन् 1901 को इंग्लैण्ड की महारानी विक्टोरिया का देहावसान हुआ। अंग्रेजों द्वारा देश भर में शोक मनाये जाने की घोषणा की गई। सावरकर ने ‘मित्र-मेला’ संगठन की बैठक बुलाई और उसमें भाषण दिया। आपने भाषण में कहा कि महारानी विक्टोरिया हमारे देशवासियों की शत्रु थी, उन्होंने हमें गुलाम बनाया हुआ है।
हम उनके लिए शोक क्यों मनायें? समाचार पत्रों में इससे सम्बन्धित समाचार प्रकाशित होने से अंगे्रजों को इस घटना का पता चला और सावरकर जी को फग्र्युसन कालेज से निकाल दिया गया। लोकमान्य तिलक को इस घटना का पता चलने पर उनके मुंह से निकला कि ‘लगता है कि महाराष्ट्र में शिवाजी ने जन्म ले लिया है।‘ इसके बाद तिलक जी ने सावरकर जी को बुलाकर उनके शौर्य की प्रशंसा की और उन्हें आशीर्वाद सहित सहयोग का आश्वासन दिया।
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