गाँव और छोटे क़स्बों में शिक्षा के अवसर सीमित हैं। सरकारें कितना भी ढोंग कर लें ज़मीनी सच्चाई हमेशा बहुत कड़वे और नग्न रूप में दिखाई देती हैं। हमारे इस ढुलमुल रवैए से एक समाज के रूप में हमारे बीच जाने कितने बच्चे अब्दुल कलाम, रामानुजम, रमन बनने से वंचित रह जाते होंगे, इसकी  हम केवल कल्पना ही कर सकते हैं। आज करोना की आपदा के बीच इस छेत्र में आमूल चूल परिवर्तन करने का अवसर उपलब्ध हो गए हैं । जरूरत है इस अवसर को खुले मन और संस्थागत तरीके से अपनाने का।  

महीनों से पढ़ाई-लिखाई सब ऑनलाइन चल रही है। इसमें हर तरह के स्कूल, संस्थान, विद्यालय ऑनलाइन शिक्षा देने के लिए बाध्य हुए हैं। और इस परिवर्तन के वजह से लोगों में ऑनलाइन शिक्षा के प्रति जागरूकता कई गुना बढी है। अब इस अभियान को गति देने की आवश्यकता है। इससे जो अध्यापक या पेशेवर लोग शहर में रहकर गाँव और दूर दराज़ के इलाक़ों में अपनी सेवा देना चाहें,उनके लिए अवसर बनाने की आवश्यकता है।

केंद्रीय और राज्य के स्तर पर सभी कोर्स ऑनलाइन कक्षाओं के ज़रिए पढ़ाएँ जाएँ। इससे जिन स्कूलों में अच्छी पढ़ाई नहीं हो रही या अध्यापक उपलब्ध नहीं हैं वहाँ के बच्चों के लिएँ ऑनलाइन पढ़ाई का ऑप्शन उपलब्ध कराया जाए। इससे दो बातें और होंगी: एक तो विद्यार्थी को अपने शिक्षक के पढ़ाए गए पाठ्यक्रम को ऑनलाइन रिविजन  करने का अवसर मिलेगा और दूसरे उन्हें अपने शिक्षक से प्रश्न करने का भी प्रोत्साहन मिलेगा। इससे शिक्षा का स्तर ऊपर उठेगा।

ऑनलाइन शिक्षा को एक संस्थागत ढ़ाचा बनाकर इसे ओपन यूनिवर्सिटी जैसे मान्यता दे दी जाए। इससे जो विद्यार्थी स्कूल या कॉलेज जाने में सक्षम नहीं हैं वो ऑनलाइन क्लआसेज़ ले कर डिग्री हासिल कर सकते हैं। इसको ओपन यूनिवर्सिटी जैसे किसी संस्था से जोड़ देना चाहिए जिससे इसके प्रचार प्रसार में आसानी हो। इनकी रिकॉर्डेड कक्षाएँ यू-टूब, फ़ेसबुक, जैसे ऑनलाइन मध्यम के अलावा टेलिविज़न पर भी दिखाया जाएँ। कक्षा चलाने के लिए वेब ऑनलाइन तकनीकी का इस्तेमाल करके बहुत ज़्यादा लोगों और बड़े भूभाग तक पहुँचा जा सकता है। ये सस्ती और अच्छी शिक्षा को गाँव गाँव ले जाने का बहुत असरकारक माध्यम बन सकता है। इसमें हर स्तर की पढ़ाई शामिल की जा सकती है। बहुत सारे विश्वविद्यालय सेशन से पीछे चल रहे हैं। इससे बहुत सारे विद्यार्थियों का नुक़सान होता है। ऑनलाइन जाने से वो इस संस्थागत बीमारी से बच सकते हैं। अपना पढ़ाई और इम्तहान ऑनलाइन करके वो विश्विद्यालयों की गंदी राजनीति की वजह से होने वाली विसंगतियों से अपने को बचा सकेंगे।

अच्छी और गुणात्मक सामग्री ऑनलाइन यदि उपलब्ध हो तो जो क़स्बा और गाँव में स्तरहीन शिक्षा की वजह से पढ़ नहीं पाते या आगे नहीं बढ पाते उसमें बहुत सुधार होगा। हमारे विद्यालयों में अच्छे शिक्षकों की बहुत कमीं हैं। शिक्षा का स्तर चिंतनीय है। केंद्रीय स्तर पर शिक्षा का गुणवत्ता नियंत्रण करना बहुत आवश्यक है। इस क्रम में ये बहुत बड़ा अवसर आया है जो हमारी मृतप्राय शिक्षा व्यवस्था के लिए संजीवनी सिद्ध हो सकता है। सरकारें उन पेशेवर लोगों की सहायता भी ले सकती हैं जो शिक्षा मे योगदान करना चाहते हैं पर अपने नौकरी, पेशे के वजह से दूर दराज के गाँव में पढ़ाने नहीं जा सकते। इन लोगों को अगर अनलाइन शिक्षा के लिए उपयोग मे लाया जाए तो इस छेत्र में एक तरह की क्रांति आ सकती है। 


आगे 5G आने से मोबाइल या ब्रॉड्बैंड की छमता बढ़ती ही जाएगी। इससे ज़्यादा से ज़्यादा व्यापार, कला, पढ़ाई, मनोरंजन आगे और ऑनलाइन होती ही जाएँगी। तो इसमें जितना निवेश होगा उतना ही अच्छा होगा। आगे की दुनिया ऑनलाइन तकनीकी का अधिकतम उपयोग करने वालीं है। करोना के आपदा से ये अवसर निकल कर आया है और इसका दोनों हाथों से सरकारों और संस्थाओं को स्वागत करना चाहिए।

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