पिछले कुछ महीनों से राजधानी दिल्ली की सीमा पर आंदोलन का नेतृत्व कर रहे किसान नेता महेंद्र सिंह टिकैत ने अपने एक साक्षात्कार में कांग्रेस सहित तमाम विपक्षी दलों व उनके राजनेताओं को आड़े हाथों लेते हुए उन्हें कर्तव्यविमुख और गैर जिम्मेदार करार दिया .

टिकैत ने सभी को निशाने पर लेते हुए कहा कि किसान और किसान नेताओं को विवश होकर खुद इसलिए ही सड़कों पर उतरना पड़ा क्योंकि मौजूदा कृषि कानूनों को लेकर इन विपक्षी दलों का रवैया बेहद निराशाजनक रहा है . राहुल गाँधी को तो कृषि ,बजट , अर्थव्यवस्था , सैन्य सुरक्षा जैसे गंभीर विषयों की न तो समझ है और न ही कोई जानकारी .

कुछ यही टिप्पणी उस दिन संसद सत्र में विपक्ष के प्रश्नों का उत्तर देते हुए वित्त मंत्री सुश्री निर्मला सीतारमण ने कांग्रेसी युवराज राहुल गाँधी की समझ को लेकर किया था . उन्हें डूम्स डे मैन -वो व्यक्ति जो निराधार आशंकाओं और झूठे अनुमान लगा कर बात बेबात किसी अनहोनी ,अनिष्ट का डर दिखाने वाला व्यक्ति

उन्हें डूम्स डे मैन की संज्ञा देते हुए कहा कि , वे कुछ भी मिथ्या , भ्रम , फैला कर चुपचाप विदेश यात्रा पर निकल जाते हैं . और तो और उनकी राजनीतिक समझ सिर्फ इतनी है है कि न तो चुनाव पूर्व की कैंपेनिंग के समय और न ही चुनावोपरांत की हार-जीत के बाद , खुद अपने लोगों , अपनी पार्टी यहां तक कि अपने राजनैतिक सहयोगियों को भी बीच मंझधार छोड़ कर अपनी अवकाश और विश्राम यात्राओं पर निकल जाते हैं .

संसद हो या सड़क , किसी भी समय ,किसी भी विषय पर बोलने ,भाषण देने और यहां तक कि संबोधन में भी राहुल गाँधी न सिर्फ तथ्य और सत्य से कोसों दूर रहते हैं बल्कि कई सरल शब्दों को भी उच्चारित करते हुए ऐसी ऐसी भूल करते हैं की फिर महीनों तक उस पर चुटकुले और मीम्ज बना कर लोगबाग उपहास उड़ाते रहते हैं .

सबसे बड़ी विडंबना यह है कि अपनी इस छिछली होती छवि , अल्प ज्ञान और निरर्थक बोल वचन के बावजूद भी खुद पार्टी के कई दिग्गजों द्वारा नेतृत्व परिवर्तन की माँग उठाए जाने के बावजूद राहुल गाँधी को एक दिन देश का प्रधानमंत्री बनते देखने के लिए इस ज़िद के पूरी पार्टी की साख और अस्तित्व धूल धूसरित हो गया है .

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