ये जो पब्लिक है ,सब जानती है | तो ये जो लोग हैं इस देश के वो सच में ही बहुत मासूम हैं ,पहला तो सब कुछ फट्ट से भूल जाते हैं , यहाँ तक कि बड़े से बड़ा घाव ,निकृष्ट से भी निकृष्ट विश्वासघात और छोड़िए खुद पर बार बार आघात तक करने वालों को भी भूल जाती और दूसरा ये की झट्ट से माफ़ करने को तैयार बैठे रहते हैं | मगर जब तुम हिंदी सिनेमा से लाट साब बन कर बॉलीवुड हो सकते हो तो फिर थोड़ा बहुत हक़ तो हमारा भी बनता ही है न ,हमारा यानि खालिस जनता का , बस थोड़ा सा बदल जाने का | 

तो यकायक ही जनता भी बदल गई और सीधे सपाट होकर बोल दिया , हे भानुमति अपने ईंट रोड़े पत्थर बालू सब कहीं और को शिफ्ट कर लो अब हम अपनी सरकार बना लेंगे | बस यहीं से  जनता को फैसले लेने की जो आदत पड़ी वो दिनों दिन पक्की सी होती चली गई | पहले देखते रहते थे अबकि वालों  ने कहा ,घर में घुस कर मार  मार के तुम्बा बना देते हैं , बनाया दो दो बार , खैर | 

पिछले दिनों सिनेमाई बादशाहत और ख़ानदानियत -दो बहुत जरूरी एक्स फैक्टर के बिना बिहार से निकल कर आया एक युवक , धोनी जैसी दशकों में एक बनने वाली फिल्म को अपने करियर  के शुरू में ही निभा कर हिंदी सिनेमा को अपनी काबलियत का एहसास कराने के बावजूद , संदिग्ध  परिस्थितियों में मृत पाया जाता है | अपने संघर्ष और सफलता के सारे साझीदारों के ठीक बीच में ,उनके साथ काम करते ,खून पसीना बहाते हुए एक नवोदित प्रतिभावान नवयुवक  अभिनेता को खो देने के बावजूद संवेदनशीलता दिखाना तो दूर , उसकी मौत की लीपापोती की गंदी कोशिश में बॉलीवुड की सारी बदसूरत सच्चाई उबकाई की तरह सामने आ गिरी | 

अफ़सोस की बात है मगर हैरानी की कतई नहीं कि ,ये जो हम एक फिल्म देख कर सात सात सौ करोड़ जितना पैसा ,जिसके या जिनके खातों में डलवाते हैं , वो आमिर ,शाहरुख ,सलमान जैसे अभिनेता अपनी पिक्चरों में हिंदू धर्म मान्यताओं आस्थाओं का ही उपहास उड़ा कर ,उनका अपमान कर फ़िल्में बनाते दिखाते हैं  और फिर पूरी दुनिया के सामने कहते फिरते हैं इस देश भारत में रहना उन्हें असुरक्षित लगता है |

सुशांत सिंह राजपूत जिस प्रदेश से आते हैं वो है बिहार यानि सम्वेदना और स्नेह से रेशा रेशा जुड़ा हुआ जनसमूह ,जहाँ हिंदी फिल्मी के हीरो के नाम पर उसके हिस्से में बहुत गिने चुने नाम हैं | इस सारे घटनाक्रम के कारण के रूप में जब बार बार भाई भतीजावाद , गुटबंदी ,षड्यंत्र के सारे तत्य निकल कर आम लोगों के सामने आने लगे तो फिर , फिर जनता ने फैसला ले लिया | 

महेश भट्ट , खुजलाहट से भरे एक निहायत ही निकृष्ट व्यव्हार और कथन के लिए कुख्यात निर्देशक की एक फिल्म जिसमें अपने सामान्य ज्ञान वाले चुटकुलों के लिए सोशल मीडिया की सरताज उनकी सुपुत्री आलिया भट्ट सहित संजय दत्त और अन्य सितारे हैं ,सुका यू ट्यूब टीज़र /ट्रेलर लोगों ने हाथों हाथ लिया | वैसे इसे लातों लात कहना ज्यादा सटीक होगा | अभी तक की एकदम लेटेस्ट जानकारी के अनुसार अब तक मात्र 7.2.मिलियन दर्शकों ने इनका अंगूठा और अकड़ दोनों को झुका चूर चूर कर दिया | 

हालाँकि मरम्मत अभी चालू आहे ,लेकिन आम लोगों ने ये सन्देश दे दिया है हिंदी सिनेमा के हर नकली चेहरे को कि , लो अब तो खुद गई तुम्हारी सड़क | 

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