राजस्थान में जब से गहलोत सरकार आयी है, प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ अपराध की घटनाओं में तेजी से बृद्धि हुई हैं. राजस्थान सरकार कान में तेल डालकर सो रही हैं, देश में मुख्य मीडिया में जैसे सांप सूंघ गया हैं. कोई भी अशोक गहलोत की निकम्मी सरकार से सवाल नहीं पूछ रहा.

2019-20 के महिलाओं के खिलाफ क्राइम के जो आकड़े हैं उसमे राजस्थान एक स्थान पर हैं। 2020 तक 50% की वृद्धि हुई हैं. महिलाओं के साथ रेप और गैंग रेप की घटनाएं दिन दहाड़े घटित हो रही हैं, राजस्थान पुलिस मूकदर्शक बनी हुई हैं.

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पिछले 30 दिनों में रेप और गैंगरेप के 561 मामले सामने आये हैं. इनमे कुछ ऐसे घिनौने मामले है जिन्हे सुनकर आपका दिल दहल जाये।

एक बूढी महिला खाने के लिए खाना मांगती हैं तो दरिंदे उसके साथ रेप कर देते हैं. अपराधियों का मनोबल इतना बढ़ा हुआ हैं की एक लड़की छत पर कपडे सुखाने जाती है तो उसको उठा के ले जाते हैं और गैंगरेप करते हैं. एक महिला बस स्टैंड पर बस का इंतजार कर रही थी तो उसे उठा के ले गए. एक लड़की गाये चराने जाती है तो उसे उठा के ले जाते हैं.

जयपुर ग्रामीण सांसद, राज्यवर्धन सिंह राठौर के अनुसार केवल 2020 में 13,750 दुष्कर्म हुए हैं. गहलोत सरकार का एक मात्र लक्ष्य अपनी कुर्सी बचाना हैं. इसकी वजह से ही उन्होंने सबको खुली छूट दे रखी है। इसी कारण राज्य के हालात इतने खराब हैं।

अपराध और दुष्कर्म के अधिकतर मामलों में सोहैल, अजहर, असलम आदि नाम आने से गहलोत सरकार चुप्पी साध लेती हैं. अपने वोट बैंक बचाने के लिए ये करवाई नहीं कर रहे. इसका सबसे बड़ा खामियाज़ा राजस्थान की बेटियां भुगत रही हैं.

लॉकडाउन में पूरा देश कोरोना के संकट से लड़ रहा था, लेकिन राजस्थान की महिलायें और बेटियां, बेलगाम हो चुके इन हैवानों से भी अपनी अस्मत बचाने के लिए लड़ रही थी. क्योंकि इनको बचाने वाली वहां की गहलोत सरकार आंख और कान बंद करके बैठी हुई थी।

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