सिनेमा के दिग्गज अभिनेता रजनीकांत को 51वां दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। दादा साहब फाल्के को भारतीय सिनेमा का सबसे प्रतिष्ठित अवॉर्ड माना जाता है। राजनीति के जानकार मोदी सरकार के इस कदम को एक सफल कूटनीतिक चाल बता रहे हैं जिसके निहितार्थ इसमें छिपे हैं कि तमिलनाडु में विधानसभा चुनाव होने हैं ऐसे में बीजेपी सरकार तमिल सुपरस्टार को सबसे बड़े पुरस्कार से नवाज रही है तो निश्चित तौर पर रजनीकांत के फैन बीजेपी के इस कदम से खुश हो सकते हैं और इसका सकारात्मक परिणाम एआईएडीएमके बीजेपी गठबंधन को मिल सकता है।

गौरतलब है कि तमिलनाडु में विधानसभा की कुल 234 सीटें हैं और इसका कार्यकाल 24 मई को पूरा हो रहा है। तमिलनाडु में पिछले 10 सालों से ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (अन्नद्रमुक) का शासन है…राज्य की जनता ने वर्ष 2016 के विधानसभा चुनाव में अन्नाद्रमुक प्रमुख जे जयललिता को दोबारा गद्दी सौंपी थी। इस चुनाव में अन्नाद्रमुक को 135 सीटों पर विजय हासिल हुई थी जबकि द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (द्रमुक) 88 सीटों पर सिमट गई थी। इस बार के विधानसभा चुनाव में अन्नाद्रमुक और बीजेपी का गठबंधन हुआ है और उसका मुकाबला द्रमुक और कांग्रेस गठबंधन से होगा।

इससे पहले लगातार यह खबरें उड़ती रही है कि रजनीकांत बीजेपी के लिए सॉफ्ट रहते हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनकी मित्रता है। बीच में यह बातें भी उठी थी कि रजनीकांत दक्षिण भारत में बीजेपी का बड़ा चेहरा हो सकते हैं या फिर वे स्वयं की राजनीतिक पार्टी बनाकर बीजेपी के साथ गठबंधन कर सकते हैं। मगर रजनीकांत ने अपनी खामोशी के साथ इन सभी बातों पर विराम लगा दिया।

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