देश में किसान आंदोलन के बहाने अपनी सियासी जमीन तैयार कर रहे भारतीय किसान यूनियन के प्रमुख राकेश टिकैत ने एक बार फिर देश विरोधी बयान दिया है, रामपुर में राकेश टिकैत ने कहा है – “किसान तो वापस नहीं आएगा, किसान वहीं रहेगा। सरकार को बातचीत करनी चाहिए। 5 सितंबर को हमने बड़ी पंचायत बुलाई है। आगे का जो भी फैसला होगा, उसमें लिया जाएगा । दो महीने का सरकार के पास समय है । अपना फैसला सरकार भी कर ले, किसान भी कर लेंगे।जंग होगी देश में, ऐसा लग रहा है, युद्ध होगा।”

टिकैत रटी रटाई एक ही जवाब हर बार देते हैं कि सरकार का जो कानून है वो किसानों के हित में नहीं है उससे सिर्फ देश के किसानों का नुकसान होगा . किसानों के धरने पर राकेश टिकैत ने कहा कि हम शांतिपूर्ण तरीके से आंदोलन कर रहे हैं, इसलिए सरकार हमें गंभीरता से नहीं ले रही है ना ही हमारी बात मान रही है , अगर हम क्रांतिकारी तरीके से धरना देंगे तो सरकार सुन लेगी।

बता दें आपको संसद का मॉनसून सत्र शुरू होने वाला है और उसके पहले ही टिकैत संसद के बाहर किसानों को इक्ट्ठा करने की योजना बना चुका है. जिसके तहत 22 तारीख से 200 किसान हर रोज संसद के बाहर जमा होंगे . जब तक पार्लियामेंट चलेगी, तब तक हर रोज वहां किसानों का जमावड़ा लगेगा, अब जब भी किसान जाएगा, तो लाल किला नहीं संसद भवन ही जाएगा। डीटीसी बस से टिकट लेकर जाएगा।

ये बात तो साफ हो चुकी है टिकैत का मकसद किसानों के लिए लड़ना नहीं बल्कि अपनी नेतागिरी चमकानी है , टिकैट की नजर 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव पर हैं. 2022 के चुनाव को लेकर राकेश टिकैत ने कहा, “हमारी क्या तैयारी हो, हम एक ही बार बताएंगे। हम आदेश देंगे, वो लग जाएंगे।” ट्रैक्टर अभियान पर राकेश टिकैत ने कहा, “हमने यह कहा कि ट्रैक्टर पर रंग रोगन करा लो बढ़िया सा बंपर लगवा लो, क्योंकि दिल्ली आना जाना तो लगा रहेगा।”

पश्चिम बंगाल में खेला हुआ क्या यूपी में भी ‘खेला’ होगा, इस पर राकेश टिकैत ने जवाब देते हुए कहा कि  “उत्तर प्रदेश में भी ‘खेला’ होगा अगर ‘खेला’ करवाना चाहेंगे तो ‘खेला’ होगा। सरकार के पास 2 महीने का टाइम है। 5 सितंबर को हमारी पंचायत है, उससे पहले पहले बातचीत करके हमारा समाधान कर दें नहीं तो इनका ‘खेला’ जरूर होगा।” टिकैत हर बार किसानों को सरकार के खिलाफ भड़काने का काम कर रहे हैं लेकिन लगता है किसान अब टिकैत के झांसे में आने वाले नहीं है. एक-एक कर तमाम हथकंडे टिकैत के फेल होते जा रहे हैं।

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