अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का रास्ता साफ़ 27 साल बाद हुआ है. लेकिन इन 27 सालों में मामला कोर्ट में तो था ही, लेकिन इस दौरान कई हिन्दूओं ने राम मंदिर निर्माण के लिए अपने प्राणों की आहुति भी दी है. कई भाजपा की सरकारों का बलिदान करना पड़ा है. 1990 के दशक में सैकड़ो कारसेवकों पर उस समय की राज्य सरकार ने गोलियां चलवाकर उनके प्राण ले लिए थे. उस समय उत्तरप्रदेश में सपा की सरकार थी और मुलायम सिंह यादव मुख्यमंत्री थे. इस बात को ख़ुद मुलायम सिंह यादव ने भी माना कि उनके आदेश पर ही कारसेवकों पर गोलियां चलाई गई थी. दरअसल 30 अक्टूबर 1990 को अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए हजारों कार सेवक जमा हुए थे. जिसके बाद पुलिस ने भीड़ पर गोलियां चलाईं, जिसमें कई कारसेवकों की मौत हो गई थी. लेकिन हिंदू कभी डरा नहीं बल्कि ओर मजबूत हुआ. हिन्दू न गोलियों से डरा और न ही जेल से. हिन्दूओं का सिर्फ एक ही लक्ष्य था, अयोध्या में भगवान श्री राम का मंदिर निर्माण। राम मंदिर निर्माण के लिए कई आंदोलन हुए और कई जाने गई, तब जाके आज राम मंदिर निर्माण का रास्ता साफ़ हुआ है.

6 दिसंबर 1992 को जब बाबरी मस्जिद का ढाँचा गिराया गया था तब उस समय की केंद्र सरकार ने 5 भाजपा शासित राज्यों की सरकारों को एक ही झटके में बर्ख़ास्त कर दिया था। लेकिन भाजपा इस बार कमजोर नहीं बल्कि मंदिर निर्माण के लिए ओर आश्वस्त हो गई थी और कभी भी अपने लक्ष्य से नहीं भटकी। चाहे भाजपा को सरकार मिले या न मिले, लेकिन राम मंदिर निर्माण हमेशा से ही घोषणा पत्र में प्राथमिक रहता था. अशोक सिंघल, लाल कृष्ण आडवाणी, कल्याण सिंह और अन्य कई लोगों ने अपना पूरा जीवन राम मंदिर निर्माण के लिए ही झोक दिया। अशोक सिंघल तो आख़िरी साँस तक मंदिर निर्माण के लिए लड़ते रहे थे.

गोधरा कांड को कौन भूल सकता है जब हजारों कारसेवक अयोध्या से गुजरात ट्रेन के माध्यम से पहुँचे थे. 27 फ़रवरी 2002 को गुजरात में स्थित गोधरा शहर में एक कारसेवको से भरी रेलगाड़ी में विशेष समुदाय द्वारा आग लगाने से 90 कारसेवक मारे गए थे जिनमें अधिकांश हिन्दू ही थे। कम उम्र में ही हिन्दूओं ने राम मंदिर निर्माण के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी. इन 27 साल में हिन्दूओं ने बहुत कुछ देखा है और बहुत कुछ सहा है. लेकिन कभी भी सांस जाने का नहीं सोचे बल्कि राम मंदिर निर्माण के लिए आश्वस्त थे. आज जब यह एलान हो गया है कि 5 अगस्त 2020 को राम मंदिर निर्माण का भूमिपूजन होने वाला है तो उन सभी को एक सच्ची श्रदांजलि होगी, जिन्होंने राम मंदिर निर्माण के लिए हँसते-हँसते अपनी जान भी गंवा दी लेकिन जान की परवाह नहीं की.

ज्ञात हो कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 5 अगस्त को सुबह अयोध्या पहुंचेंगे। नरेंद्र मोदी अयोध्या में हनुमानगढ़ी के दर्शन भी करेंगे, उसके बाद स्थापित राम लला के दर्शन करेंगे और फिर राम मंदिर निर्माण के लिए भूमिपूजन करेंगे। दरअसल, प्रधानमंत्री कार्यालय को ‘श्री राम मंदिर तीर्थ क्षेत्र’ ट्रस्ट के द्वारा राम मंदिर भूमिपूजन के लिए 2 तारीख़े भेजी गई थी जिसमें 3 अगस्त और 5 अगस्त शामिल थी. जिसके बाद 5 अगस्त को अंतिम किया गया. इसी तारीख़ (5 अगस्त 2019) को ही पिछली साल जम्मू-कश्मीर से वर्षों से लंबित धारा 370 को हटाकर मोदी सरकार ने इतिहास रचा था. प्रधानमंत्री बनने के बाद यह पहला मौक्का होगा जब नरेंद्र मोदी अयोध्या पहुँचेंगे।

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