कलियुग के इस, अधर्मी युग में
वैसा अवसर आया था,
जब त्याग विनय, भर शौर्य भुजा में
भगवा खुलकर छाया था।
राम भक्त हैं, राम नाम ले
राम की गाथा सुनाते हैं,
स्वर्ण लंका हो, या बाबरी हो
स्वाहा अधर्म की जलाते हैं।।
धर्मनिरपेक्षता के तथाकथित ठेकेदार जो लगभग हर रोज गंगा- जमुनी तहजीब की मिसाल देते फिरते हैं वो यह कतई स्वीकार नहीं करेंगे कि “लव -जिहाद” एक ऐसा भयानक सच है जिसने हज़ारों हिन्दू परिवारों के खुशियो की बलि ले ली है।