संकेत गोखले और इन जैसे तमाम उन एजेण्डाबाज तथा पूर्वाग्रह से ग्रस्त मानसिकता वाले लोगों के लिए एक कड़े सबक की तरह आया है न्यायालय का ये ताज़ा फैसला। माननीय न्यायालय ने अपने आदेश में न सिर्फ अपनी ट्वीट से पूर्व केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी की पत्नी द्वारा विदेश में खरीदी गई एक संपत्ति के क्रय हेतु खर्च किए गए धन के सन्दर्भ में झूठी और अपमानजनक टिप्पणी वाली ट्वीट करने वाले तथाकथित RTI कार्यकर्ता संकेत गोखले ने अपने ट्विट्टर हैंडल से की थी। जिसके विरुद्ध अदालत में ये वाद दायर किया गया था। इस ट्वीट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को भी टैग कर प्रवर्तन निदेशालय द्वारा जांच की बात की गई थी।

अदालत ने याचिका द्वारा दायर इस ट्वीट को , जानबूझकर अपने फॉलोवर बढ़ाने की मंशा से की गई विवादित ट्वीट जो सर्वथा झूठ और मनगढंत तथ्यों पर आधारित था। इसे जानबूझ कर वरिष्ठ मंत्री और जाँच संस्था के संज्ञान में लाने की कोशिश की गई। अदालत से स्पष्ट माना और कहा कि संकेत गोखले ने जानबूझ कर और गलत मंशा से इस तरह का ट्वीट किया।

अदालत ने पूरे मामले को समझते हुए आदेश दिया कि , साकेत गोखले 24 घंटे के अंदर उन तमाम ट्वीट्स को हटाने को कहा है और ऐसा ही निर्देश सोशल नेट्वर्किंग साइट ट्विटर को भी दिया गया है कि वो भी अपनी तरफ से इसे पुख्ता करे। इतना ही नहीं अदालत ने एक नियत समय के अंदर इसकी अनुपालन रिपोर्ट अदालत में दाखिल करने का निर्देश दिया है।

अदालत ने कहा की अभिव्यक्ति की आजादी का अर्थ ये नहीं कि कोई भी बेलगाम होकर सार्वजनिक मंचों पर किसी के प्रति जानबूझ कर बिना किसी सत्यता को जांचे परखे इस तरह के आरोप लगाए कि उससे दूसरे व्यक्ति के गरिमामय जीवन जीने के अधिकार का हनन होता हो। अदालत ने कहा कि इस तरह से एक सेवानिवृत्त सार्वजनिक सेवा अधिकारी के ऊपर झूठे आरोप लगाना गलत है।

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